Khushwant Singh Litfest: महात्मा गांधी के पोते राजमोहन गांधी बोले- याद रखें पूर्वजों का देश के लिए दिया योगदान
11th Khushwant Singh Litfest महात्मा गांधी ऐसा देश चाहते थे जहां सबको बोलने की आजादी हो। भारत को विश्व गुरु नहीं बल्कि पृथ्वी या विश्व का प्रेमी बनना चाहिए। लोगों को एकत्रित करने के लिए कोई गुरु या मसीहा नहीं आने वाला है।

सोलन, मनमोहन वशिष्ठ। 11th Khushwant Singh Litfest, महात्मा गांधी के पोते और लेखक राजमोहन गांधी ने कहा है कि हमारे पूर्वज कौन थे, यह देखने के बजाय यह देखना चाहिए कि उनका योगदान देश के लिए क्या रहा। वह 11वें खुशवंत सिंह लिटफेस्ट के पहले दिन के 'रिफ्लेक्शन आन ए 75 इयर्स लीगेसी' विषय पर चर्चा कर रहे थे। सत्र में उनकी पुस्तक 'इंडिया आफ्टर 1947' पर चर्चा करने के लिए उनके साथ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सांसद महुआ मोइत्रा उपस्थित रहीं। राजमोहन गांधी ने कहा कि महात्मा गांधी ऐसा देश चाहते थे, जहां सबको बोलने की आजादी हो। भारत को विश्व गुरु नहीं, बल्कि पृथ्वी या विश्व का प्रेमी बनना चाहिए। लोगों को एकत्रित करने के लिए कोई गुरु या मसीहा नहीं आने वाला है, यह भूमिका लोगों को स्वयं निभानी पड़ेगी। राजमोहन गांधी ने कहा कि राम कोई मानव नहीं बल्कि भगवान हैं। महात्मा गांधी की भगवान राम के प्रति आस्था किसी से छिपी नहीं है। भगवान राम आज भी हर समय लोगों के साथ हैं। महुआ मोइत्रा ने कहा कि हालांकि हमारा परिवार धार्मिक नहीं है, लेकिन मां हमेशा कहती हैं कि जब हमारे साथ राम-लक्ष्मण हैं तो फिर हम भूत प्रेत से क्यों डरें। यह विश्वास भगवान राम को हमारे रक्षक के रूप में दिखाता है।
इससे पहले कसौली क्लब में लिटफेस्ट भारत-पाक संबंधों में सुधार लाने के आह्वान के साथ शुरू हुआ। लिटफेस्ट के निदेशक व खुशवंत सिंह के बेटे राहुल सिंह ने स्वागत भाषण में कहा कि लिटफेस्ट के माध्यम से भारत व पाकिस्तान के लोगों को सांस्कृतिक व लिटफेस्ट जैसे कार्यक्रमों से आपस में जुड़ने का मौका मिलता है। लेकिन, भारत पाक के संबंधों के बीच आई खटास के बाद पाकिस्तान के साहित्यकारों का यहां आना बंद हो गया।
पर्यावरण में हो रहे बदलाव से सभी चिंतिंत
पर्यावरण में बहुत बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है, जो हर किसी के लिए चिंता का विषय है। यह बात साहित्यकार अमिताव घोष ने सत्र 'द क्लाइमेट आफ चेंज' विषय पर चर्चा करते हुए कही। घोष ने बताया कि 1986 में कसौली में विवान सुंदरम के घर में ही अपनी किताब 'द शेडो लाइन्स' लिखी थी। उन्होंने वैश्विक स्तर पर पयार्वरण में बदलाव पर भी अपने विचार रखे। जब हम देवदार के पेड़ देखते हैं तो हमें बहुत अच्छे लगते हैं, लेकिन आज वह कट रहे हैं। फेस्ट के दूसरे दिन नौ सत्रों में अमिताव घोष, महुआ मोइत्रा, रेवती लाल, समर हलरंकर, ऊषा उत्थुप, सृष्टि झा, मालविका सांघवी, तुषार कपूर, दिव्या दत्ता, पवन वर्मा, मकरंद परांजपे, प्रणय लाल, बिक्रम ग्रेवाल, आरआइ सिंह, कंवर संधू, गुल पनाग, तरुण तेजपाल, मल्लिका साराभाई, रजा मुराद, बालाजी विट्ठल संवाद करेंगे।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।