Vikram Batra के 'यह दिल मांगे मोर' नारे ने कारगिल में हाई किया था सेना का जोश, वीरगाथा सुन खड़े हो जाते हैं रोंगटे
Kargil Hero Vikram Batra कारगिल हीरो विक्रम बत्रा का यह दिल मांगे मोर नारा आज भी देशवासियों को प्रेरित करता है। उनकी 27वीं पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि दी जा रही है। विक्रम बत्रा ने कारगिल युद्ध में प्वाइंट 5140 पर तिरंगा फहराकर यह नारा दिया था। अब उनकी कहानी पाठ्यपुस्तकों में भी शामिल की गई है जिससे युवा पीढ़ी प्रेरणा ले सके। उनके बलिदान को देश हमेशा याद रखेगा।
कुलदीप राणा, पालमपुर। कारगिल युद्ध (आपरेशन) के दौरान 20 जून 1999 को प्वाइंट 5140 को फतह करने के लिए परमवीर चक्र विजेता कैप्टन विक्रम बत्रा यह दिल मांगे मोर का नारा देकर साथियों के साथ दुश्मन पर चढ़ाई की थी। उनके इस नारे ने सैनिकों का जोश हाई कर दिया था। इसी नारे के साथ उन्होंने दुश्मन को ढेर कर कब्जा छुड़ा लिया था। आज भी यह नारा पूरे देश के लिए प्रेरणा है। 2014 में पालमपुर की चुनावी रैली में नरेंद्र मोदी ने भी स्लोगन बोलकर जीत मांगी थी। 26 वर्षों में भी स्वजन और देशवासी बिक्रम बतरा के सर्वोच्च बलिदान को नहीं भूले हैं।
धारावाहिक परमवीर चक्र देख छाया था सेना में जाने का जुनून
बलिदानी के जुड़वा भाई विशाल बत्रा बताते हैं कि दोनों भाईयों ने सशस्त्र बलों में शामिल होने का सपना 1986-87 में हर रविवार को प्रसारित होने वाले टीवी धारावाहिक परमवीर चक्र देखने के दौरान मन में पाला था। विक्रम ने मार्च 1996 में एसएसबी पास कर ली। छह दिसंबर 1997 को बिक्रम को 13 जैक राइफल्स में कमीशन मिल गया। उनकी पहली पोस्टिंग सोपोर में हुई थी, वहां वह उग्रवाद विरोधी अभियानों में शामिल रहे। अपनी वार्षिक छुट्टी के दौरान वह सोपोर में अपने समक्ष चुनौतियों के बारे में उनसे घंटों बात करते थे। कारगिल युद्ध में उनका पहला मिशन 17,000 फीट पर प्वाइंट 5140 पर कब्जा करना था। 20 जून को प्वाइंट 5140 पर तिरंगा फहराकर "ये दिल मांगे मोर" का रेडियो में उद्घोष किया। बतरा 7 जुलाई 1999 को कारगिल युद्ध में देश के लिए बलिदान हुए थे।
कारगिल महानायक की 27वीं पुण्यतिथि
कारगिल युद्ध के महानायक परमवीर चक्र विजेता बलिदानी कैप्टन बिक्रम बत्रा की 27वीं पुण्यतिथि पर सोमवार को देशभर में कार्यक्रम आयोजित होंगे। पालमपुर स्थित उनके गृह कस्बे सहित प्रदेशभर के स्कूलों में भी कार्यक्रम कर कारगिल हीरो के बलिदान काे नमन किया जाएगा।
चार वर्ष से नहीं बन पाया वन विहार, पिता ने जताया रोष
पालमपुर में बलिदानी कैप्टन सौरभ कालिया की स्मृति में बने सौरभ वन विहार की तर्ज पर बलिदानी कैप्टन विक्रम बत्रा के नाम भी वन विहार निर्माण की प्रस्तावना चार वर्ष पहले हुई थी। इसके लिए 4 करोड़ 10 लाख रुपये मंजूर हुए और राशि वन विभाग के खाते में है। सभी औपचारिकताओं के बावजूद निर्माण कार्य शुरू हुआ, लेकिन रफ्तार नहीं पकड़ पाया है। बलिदानी पिता ने भी निर्माण कार्य में देरी पर रोष जताया है।
पाठ्य पुस्तकों में वीर गाथा पढ़ेंगे बच्चे
अब पाठ्य पुस्तकों में बच्चे बलिदानी परमवीर चक्र विजेता बिक्रम बत्रा की कहानी पढ़ेंगे। अब एनसीईआरटी ने 26 वर्षों के लंबे इंतजार बाद आठवीं कक्षा की अंग्रेजी की किताब में हिमाचल प्रदेश के दो परमवीर चक्र विजेताओं की गाथा को एक अध्याय में शामिल किया है। आजाद भारत के प्रथम परमवीर चक्र विजेता मेजर सोमनाथ शर्मा और कारगिल युद्ध में परमवीर चक्र जीतने वाले कैप्टन बिक्रम बत्रा की बहादुरी को बच्चों की प्रेरणा के लिए प्रस्तुत किया है।
जो सम्मान बेटे के कारण मिला, वह विभाग में रहते नहीं मिला : गिरधारी लाल बतरा
बलिदानी के पिता शिक्षाविद गिरधारी लाल बत्रा बताते हैं कि जो सम्मान बेटे के कारण मिला, इतना शिक्षा विभाग में प्रधानाचार्य रहते भी नहीं मिल पाया है।
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