Kangra News: भारी बारिश से मकान को हुए नुकसान की नहीं दी बीमा राशि, अब देने होंगे 13.36 लाख रुपये
Kangra News उपभोक्ता आयोग ने एसबीआई जनरल इंश्योरेंस कंपनी को मकान के नुकसान की बीमा राशि न देने पर रविंदर कुमार को 1336840 रुपये देने का आदेश दिया। यह राशि ब्याज मुआवजे और न्यायालय शुल्क के साथ चुकानी होगी। रविंदर कुमार ने घर बनाने के लिए ऋण लिया था और बारिश से नुकसान हुआ था जिसके बाद बीमा कंपनी ने दावा देने से इनकार कर दिया था।
जागरण संवाददाता, धर्मशाला। Kangra News, एसबीआइ जनरल इंश्योरेंस कंपनी को मकान के नुकसान के बाद बीमा राशि न देने पर 13,36,840 रुपये देने होंगे। यह राशि नौ प्रतिशत ब्याज की दर से शिकायत दर्ज करवाने की तिथि से इसके भुगतान तक देनी होगी। इसके अतिरिक्त 50 हजार मुआवजा व 15 हजार न्यायालय शुल्क भी शिकायतकर्त्ता को देना होगा। वहीं पूरा ऋण और उस पर लगे ब्याज को भी माफ करना होगा।
यह फैसला उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष हिमांशु मिश्रा व सदस्य आरती सूद व नारायण ठाकुर की खंडपीठ द्वारा सुनाया गया है। जानकारी के मुताबिक रविंदर कुमार निवासी बंदला तहसील पालमपुर ने एसबीआइ जनरल इंश्योरेंस कंपनी से 22 अगस्त 2022 को घर बनाने के लिए 24 लाख रुपये का ऋण लिया। उन्हें दो दो किस्तों में 12 लाख रुपये मिले, जिससे उन्होने मकान की नींव और संरचना का काम शुरू किया।
बैंक ने उनके निर्माण के लिए भारत गृह रक्षा पालिसी के तहत बीमा किया जो पांच जनवरी 2023 से चार जनवरी 2033 तक कवर था। जिसकी प्रीमियम 15,099 रुपये की राशि उनके बैंक खाते से काटी गई थी।
बारिश के कारण हुआ था मकान को नुकसान
25 जुलाई 2023 को भारी बारिश और भूस्खलन के कारण उनके मकान के निर्माणाधीन हिस्से को भारी नुकसान पहुंचा। बैंक एवं इंश्योरेंस कंपनी ने सर्वे कर करीब 13.36 लाख रुपये के नुकसान का आकलन निर्धारित किया। वहीं रविंदर कुमार ने आर्किटेक्ट से भी नुकसान का आकलन करवाया जो कि 19 लाख रुपये बना। इसके बाद रविंदर कुमार की ओर से नुकसान की भरपाई के लिए बीमा कंपनी से संपर्क किया गया लेकिन बीमा कंपनी द्वारा नुकसान के एवज में बीमा राशि उन्हें नहीं दी गई।
उपभोक्ता आयोग ने माना दोषी
रविंदर कुमार द्वारा सेवा में कमी को लेकर शिकायत उपभोक्ता आयोग में दी गई। इसके बाद उपभोक्ता आयोग द्वारा एसबीआई जनरल इंश्योरेंस कंपनी व एसबीआइ बैंक की सेवा में कमी का दोषी माना गया। उपभोक्ता को न सिर्फ दावा राशि, बल्कि पूर्ण ऋण और उस पर लगाए गए ब्याज से भी मुक्त किया गया।
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