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    पारंपरिक विवाह व रीति-रिवाज के गीत सहेजेगी कांगड़ा लोक साहित्‍य परिषद Kangra News

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    Updated: Mon, 12 Apr 2021 10:09 AM (IST)

    Kangra Lok Sahitya Parishad कांगड़ा लोक साहित्य परिषद ने कांगड़ा-चंबा जनपदीय सांस्कृतिक परंपराओं से संबंधित छोटे-बड़े 14 वीडियो दस्तावेजीकरण के बाद पारंपरिक विवाह व रीति-रिवाजों से संबंधी महिला लोकगायन को सहेजने की योजना बनाई है। राज मंदिर परिसर नेरटी में कार्यक्रम आयोजित किया गया।

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    कांगड़ा लोक साहित्य परिषद के तत्वाधान में राज मंदिर परिसर नेरटी में आयोजित कार्यक्रम

    धर्मशाला, जागरण संवाददाता। कांगड़ा लोक साहित्य परिषद ने कांगड़ा-चंबा जनपदीय सांस्कृतिक परंपराओं से संबंधित छोटे-बड़े 14 वीडियो दस्तावेजीकरण के बाद पारंपरिक विवाह व रीति-रिवाजों से संबंधी महिला लोकगायन को सहेजने की योजना बनाई है। इसके तहत हिमाचल प्रदेश भाषा, कला एवं संस्कृति अकादमी के संयुक्त तत्वाधान में राज मंदिर परिसर नेरटी में कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें कांगड़ा जिले के खुंडियां क्षेत्र की महिलाएं बुलाई गई थी। इस मौके पर कांगड़ा लोक साहित्य परिषद के निदेशक डा. गौतम शर्मा व्यथित ने उन्हें लोकगायन सुनने और सुनाने के उद्देश्य की जानकारी दी।

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    उन्होंने बताया कि परिषद इस गायन के माध्यम से दो उद्देश्यों पर काम कर रही है। पहला यह कि विभिन्न क्षेत्रों में इस गायन परंपरा की स्थानीय भाषा में कितना अंतर है। दूसरा इसी आधार पर संगीत में कितना फर्क है। उन्होंने कहा कि आधुनिकता के प्रभाव हमारे पारंपरिक जीवन को तेजी से प्रभावित कर रहे हैं। लोकगायन परंपरा के हस्तांतरण के अवसर कम हो रहे हैं।

    महिलाओं का इस धरोहर को संभालने में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इस महिला लोकगायन मंडली को गठित करने वाली हिंदी प्राध्यापिका सुमन वाला ने बताया कि उसके साथ 75 वर्षीय सुन्ना देवी आई हैं, जिनके पास अनगिनत लोकगीत, कथा गीत और कथाएं स्मृति रूप में हैं। वह साक्षर हैं, लेकिन पढ़ना-लिखना नहीं आता।

    अन्य सहयोगी 63 वर्षीय रविंद्रा देवी, 54 वर्षीय लीला देवी, 56 वर्षीय वीना ठाकुर, 45 वर्षीय सुमन बाला और 40 वर्षीय सपना कुमारी हैं। सुमन बाला ने बताया कि उनके क्षेत्र में दो-तीन ऐसी वृद्ध महिलाएं हैं, जिनके पास हर समय के गीत हैं। इस अवसर पर सुन्ना देवी का साक्षात्कार भी रिकार्ड किया गया। दोपहर बाद परिषद सदस्य स्वर्णलता शर्मा ने आमंत्रित महिलाओं को सम्मानित किया।