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    हिमाचल में कला अकादमी सम्‍मान से सम्‍मानित होंगी ये चार वि‍भूतियां, जानिए उपलब्‍ध‍ियां

    By Rajesh Kumar SharmaEdited By:
    Updated: Thu, 11 Feb 2021 12:30 PM (IST)

    Kala Academy Award कला अकादमी सम्मान से सम्मानित होने जा रही चार विभूतियों ने अपने-अपने क्षेत्र में बेहतर काम किया है। उनके इसी काम के लिए भाषा कला एव ...और पढ़ें

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    कला अकादमी सम्मान से सम्मानित होने जा रही चार विभूतियों ने अपने-अपने क्षेत्र में बेहतर काम किया है।

    शिमला/धर्मशाला, जेएनएन। हिमाचल कला संस्कृति भाषा अकादमी ने वर्ष 2017 व 2018 के लिए कला अकादमी सम्मान घोषित कर दिए हैं। यह सम्मान चार विभूतियों को मिला है। ललित कला व निष्पादन कला सम्मान चयन समिति की स्वीकृति और मुख्यमंत्री एवं अध्यक्ष अकादमी, कार्यकारी परिषद के अनुमोदन के उपरांत सम्मान घोषित हुए हैं। अकादमी के सचिव डा. कर्म सिंह ने बताया कि वर्ष 2017 का ललित कला सम्मान डा. नंदलाल ठाकुर को चित्रकला विधा में मिलेगा। 2018 का ललित कला सम्मान खिमी राम को पारंपरिक शिल्प कला में उनके विशिष्ट योगदान के लिए दिया गया है। निष्पादन कला सम्मान वर्ष 2017 के लिए संजय सूद व वर्ष 2018 के लिए एसडी कश्यप को चुना गया है। कला सम्मान में 51 हजार रुपये की सम्मान राशि, सम्मान चिह्न व प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाता है। शिक्षा, भाषा कला एवं संस्कृति मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने बताया कि अकादमी की ओर से घोषित कला सम्मान और साहित्य पुरस्कार इसी वित्त वर्ष में भव्य समारोह का आयोजन कर दिए जाएंगे।

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    अभिनय व नाट्य निर्देशन में संजय सूद बेमिसाल

    वर्ष 2017 का निष्पादन कला के क्षेत्र में सम्मान पाने वाले संजय सूद शिमला में लोक संपर्क विभाग में जिला लोक संपर्क अधिकारी हैं। उनका रंगमंच कलाकार एवं नाट्य निर्देशन के क्षेत्र में विशेष योगदान रहा है। उन्होंने आगरा बाजार, खामोश अदालत जारी है, गौदान, होली, आषाढ़ का एक दिन, बैरी, राजा का बाजा, सैंया भए कोतवाल, खडिय़ा का घेरा, मारीच ये संवाद, एल्डरी सन, पंछी ऐसे आते हैं आदि लगभग 35 नाटकों में अभिनय किया है। नाट्य निर्देशन में संजय सूद के रंग नगरी, बहुत बड़ा सवाल, समरथ को नहीं दोष गोसाईं, पेपर वेट, बड़े भाई साहब आदि नाटक उल्लेखनीय हैं। उन्होंने कुछ कहानियों का मंचन भी किया है। इनमें सड़क, मनोवृत्ति, डाक्टर की फीस, संक्रमण (फिर याद आए पापा), गुलकी बन्नो, ईदगाह, निराश पीढ़ी, गुल्ली डंडा तथा दल-दल आदि प्रमुख हैं। रेडियो नाटकों में प्रथम राष्ट्रीय पुरस्कार भी प्राप्त किया है। आकाशवाणी, रेडियो शिमला, हमीरपुर से प्रसारित नाटक शृंखलाएं गई भैंस पानी में, शटराला, चौपाल, भायतू अनेकों नाटकों में प्रमुख भूमिका निभाई है। संजय सूद ने करीब, माया मेम साहब, थ्री इडियट््स, मैं ऐसा ही हूं, मदारी, द म्यूजिक टीचर, अंटू की अम्मा, शिमला मिर्ची, हो गया दिमाग का दही, तमाशा आदि ङ्क्षहदी फिल्मों और कन्नड़ फिल्म स्वास्तिक में भी अभिनय किया है।

    प्रख्यात गायक व संगीतकार हैं एसडी कश्यप

    वर्ष 2018 का निष्पादन कला सम्मान प्राप्त करने वाले एसडी कश्यप हिमाचल प्रदेश के प्रख्यात गायक, संगीतकार एवं संगीत निर्देशक हैं। उन्होंने वर्ष 1970 में सरकारी नौकरी छोड़कर 70 के दशक में मुंबई में रहकर फिल्मों, धारावाहिकों से संगीतकार के रूप में ख्याति अर्जित की। इसके बाद उन्होंने हिमाचल को अपना कार्य क्षेत्र बनाया। पहले जिला मंडी के सकरोह में फिर पनारसा में रिकॉर्डिंग स्टूडियो की स्थापना करके लोकगीतों की असंख्य कैसेट तथा सीडी का निर्माण करके हिमाचल के पारंपरिक लोक संगीत को अपने संगीत, निर्देशन से लोकप्रिय बनाया और अनेक लोकगायकों को भी मंच प्रदान किया। कश्यप ने प्रख्यात पाश्र्व गायिका आशा भोंसले, अनुराधा पौडवाल, सुरेश वाडेकर, मोहम्मद अजीज, विनोद राठौड़ आदि प्रख्यात गायकों के गीतों का भी निर्देशन किया। अब तक लगभग 4000 से अधिक गीत रिकॉर्ड करके संगीतबद्ध किए हैं। लगभग 1000 गीत स्वयं लिखकर स्वरबद्ध भी कर चुके हैं।

    नामी कलाकार हैं डा. नंदलाल

    ललित कला के क्षेत्र में कला सम्मान पाने वाले डा. नंदलाल ठाकुर, धामी, शिमला के निवासी और ललित कला के प्रसिद्ध कलाकार हैं। एमबीए पेंटिंग (गोल्ड मेडलिस्ट) एमए इतिहास, विजुअल आर्ट में पीएचडी हैं। नंदलाल पहाड़ी चित्रकला एवं आधुनिक चित्रकला के सिद्धहस्त कलाकार हैं। उन्होंने ललित कला की विभिन्न विधाओं में महारत हासिल की है। जहांगीर आर्ट गेलरी मुंबई, महाराष्ट्र तथा मागटी क्लब तवीलिसी जार्जिया में भी स्वनिर्मित चित्रों की सोलो प्रदर्शनी कर चुके हैं। वर्तमान में राष्ट्रीय ललित कला अकादमी दिल्ली की सामान्य परिषद में हिमाचल प्रदेश के प्रतिनिधि सदस्य हैं। इसी साल इन्हें ललित कला अकादमी दिल्ली का उपाध्यक्ष चुना गया है।

    पारंपरिक शिल्पी हैं खिमी राम

    वर्ष 2018 का ललित कला सम्मान खिमी राम को पारंपरिक शिल्पकला में उनके विशिष्ट योगदान के लिए दिया गया है। उनके द्वारा पारंपरिक मुखौटे, धातु मोहरे तथा वाद्ययंत्रों आदि का निर्माण किया जा रहा है। शिल्प कला के इस पारंपरिक शिल्पी ने देश के विभिन्न राज्यों में हिमाचली शिल्प की पहचान कायम की है।