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    ज्वालामुखी मंदिर के गर्भगृह में पानी का रिसाव, राजा ने सोने की परत से मढ़ाया था गर्भगृह का शिखिर संकट में

    Jawalamukhi Temple ज्वालामुखी मंदिर के प्राचीन भवन के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडरा लगे हैं। मंदिर के मुख्य गर्भ की छत में पिछले दो साल से बारिश का पानी पांच जगह से टपक रहा है। लेकिन लापरवाह प्रशासन इसकी मरम्मत के लिए तारीख पर तारीख डालता जा रहा है।

    By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Updated: Wed, 12 Jan 2022 08:04 AM (IST)
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    ज्वालामुखी मंदिर के प्राचीन भवन के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडरा लगे हैं।

    ज्वालामुखी, प्रवीण कुमार शर्मा। Jawalamukhi Temple, ज्वालामुखी मंदिर के प्राचीन भवन के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडरा लगे हैं। मंदिर के मुख्य गर्भ की छत में पिछले दो साल से बारिश का पानी पांच जगह से टपक रहा है। लेकिन लापरवाह प्रशासन इसे हल्के में लेकर इसकी मरम्मत के लिए तारीख पर तारीख डालता जा रहा है। कभी राज्य के भीतर के बड़े कारीगरों को इसे ठीक करवाने के लिए लाने तो कभी अन्‍य राज्यों से कारीगर लाने की बात करते करते 24 महीने बीत गए हैं, लेकिन मरम्मत का कार्य शुरू नहीं हो पाया है।

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    छत की मरम्मत के लिए 10 लाख के बजट का भी नियमित प्रावधान किया जा रहा है, लेकिन न कारीगर आ रहे हैं और न ही इसकी मरम्मत हो रही है। हालात यह हैं कि मामूली बारिश होते ही गर्भगृह की छत से पानी रिसने लग रहा है। इतने बड़े शक्तिपीठ जहां करोड़ों की चढ़त हर साल माता के भक्‍त अपनी आस्थावश चढ़ाते हैं, वहां प्रशासनिक नजरअंदाजी लोगों का मुंह चिढ़ाने लग पड़ी है।

    सोने की परत से मढ़ा है गर्भगृह का शिखिर

    मुख्य मंदिर गर्भगृह की जिस छत से पानी का रिसाव हो रहा है वह सोने की परत से मढ़ी हुई है। महाराजा रणजीत सिंह ने पंजाब के सवर्ण मंदिर ,उत्तर प्रदेश के काशी विश्वनाथ सहित ज्वालामुखी में मंदिर के शिखिर को सोने की परत से सजाया था।

    किसने बनाया था ज्वालामुखी मंदिर का भवन

    शक्तिपीठ ज्वालामुखी मंदिर की खोज पांडव काल में हुई है। देश के 51 शक्तिपीठों में शुमार इस मंदिर में मूर्ति नहीं अपितु साक्षात माता की 9 दिव्य ज्योतियों के दर्शन होते हैं। मंदिर का प्राथमिक निर्माण राजा भूमि चंद ने करवाया। जबकि इसके बाद पंजाब के राजा रणजीत सिंह हिमाचल के राजा संसार चंद ने 1835 में भवन निर्माण का कार्य पूरा करवाया था। मंदिर में विकास के नाम पर कई भवन व प्राचीन धरोहरें कई साल पहले तुड़वाकर उनकी जगह नए निर्माण हुए हैं।

    थक चुका है मंदिर न्यास

    मंदिर न्यास के सदस्य जेपी दत्ता, त्रिलोक चौधरी, शशि चौधरी, प्रशांत शर्मा,देश राज भारती, सौरभ शर्मा ने कहा यह इतना गंभीर मामला है कि इस पर देरी किसी भी सूरत में नहीं होनी चाहिए थी। न्यास ने रिसाव का पता चलते ही इसकी मरम्मत के लिए 10 लाख का बजट निर्धारित किया। दो साल से बजट फाइल में ही है और पानी का रिसाव बढ़ता जा रहा है। इस बारे में न्यास सदस्‍य शीघ्र ही मुख्यमंत्री से मिलकर बात रखेंगे।

    क्‍या कहते हैं मंदिर अधिकारी

    मंदिर अधिकारी ज्‍वालामुखी दीनानाथ यादव का कहना है पानी का रिसाव हो रहा है इससे अवगत हूं। हमनें गुबंद के कई कारीगरों से इस पर बात की है लेकिन बात नहीं बन पाई। दरबार साहिब अमृतसर में भी इस बारे संपर्क साधा गया था। जबकि गुजरात राज्य से भी कारीगरों के साथ संपर्क किया गया था। हम जल्दी से जल्दी गर्भगृह की छत की मरम्मत के लिए प्रयास कर रहे हैं। इस कार्य के लिए विशेषज्ञ कारीगरों की जरूरत है जो यहां नहीं हैं।