स्वर्ण क्रांति का प्रतीक सुगंध गेंदा दिवस का आइएचबीटी में हुआ आयोजन,14 नगर निकायों सहित सहकारी समितियों के प्रतिनिधियों ने लिया भाग
सीएसआइआरआइएचबीटी पालमपुर ने स्वर्ण क्रांति सुगंध गेंदा दिवस का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में 36 पंचायत और 14 नगर निकायों सहित पचास सहकारी समितियों के प ...और पढ़ें

पालमपुर, संवाद सहयोगी। सीएसआइआरआइएचबीटी पालमपुर ने स्वर्ण क्रांति सुगंध गेंदा दिवस का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में 36 पंचायत और 14 नगर निकायों सहित पचास सहकारी समितियों के प्रतिनिधियों ने प्रतिभागिता की जिनके साथ लगभग 1000 से अधिक किसान जुड़े हैं। इस कार्यक्रम में विभिन्न सत्रों में इस फसल की पूरी जानकारी दी गई। समारोह का मुख्य आकर्षण हिमाचल प्रदेश के विभिन्न गांवों के सुगंधित गेंदे के प्रगतिशील किसानों को बीज वितरण, प्रशिक्षण व्यावहारिक प्रदर्शन पर चर्चा की।
डा संजय कुमार, निदेशक सीएसआइआर, आइएचबीटी पालमपुर ने बताया में बताया कि कांगड़ा जिला अंतरराष्ट्रीय बाजार में पसंदीदा उच्च मांग वाले सुगंधित घटकों के साथ सुगंध तेल का उत्पादन करने के लिए उपयुक्त है। सुगंधित फसलों की खेती से उच्च गुणवत्ता वाले सुगंध तेल का उत्पादन करके हिमाचल प्रदेश के किसानों अपनी आजीविका बढ़ा सकते हैं। क्षेत्र के छोटे किसान छोटे समूहों का निर्माण कर उच्च लाभ प्राप्त करने के लिए छोटी जोत में फसल उगा कर लाभ प्राप्त कर सकते हैं। टैजेटस माइन्यूटा, सुगंधित गेंदा एक वार्षिक सुगंध फसल है। यह पौधा पत्तियों और फूलों में मौजूद अपने सुगंध तेल के लिए व्यावसायिक रूप से उगाया और काटा जाता है और इसका उपयोग खाद्य, स्वाद, कॉस्मेटिक, इत्र और औषधीय उद्योगों में किया जाता है। उन्होंने आगे बताया कि सीएसआइआर.अरोमा मिशन के तहत आज 200 किलो बीज कांगड़ा व चंबा के किसानों को वितरित किया गया। जिससे 1670 कनाल क्षेत्र के इस फसल की खेती की जा सकती है।
यह बोले वूल फेडरेशन के अध्यक्ष त्रिलोक कूर
वूल फेडरेशन अध्यक्ष त्रिलोक कपूर ने यह आश्वासन दिया कि इन सहकारी समितियों के सभी प्रतिनिधि इन उच्च मूल्य वाली फसलों की खेती के लिए अपने.अपने क्षेत्र में काम करेंगे। उन्होनें पालमपुर एवं आस-पास के किसानों को 70 किलो बीज उपलब्ध कराने के लिए संस्थान का आभार व्यक्त किया। अपने संबोधन में किसानों को ऐसी नगदी सगंध फसलों को लगाने तथा सरकारी योजनाओं को जनजन तक पहुंचाने के लिए प्रेरित किया।
यह बोले वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक
डॉ. राकेश कुमार वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक और कार्यक्रम समन्वयक ने देश की अर्थव्यवस्था के लिए टैजेटसमाइन्यूटा फसल की कृषि तकनीक एवं गुणवत्ता युक्त उत्पादन के बारे में चर्चा की। प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जब फसल पूरी तरह से खिल जाती है तो प्रति हेक्टेयर लगभग 12 से 15 टन बायोमास और 30 से 45 किलोग्राम तेल प्रति हेक्टेयर प्राप्त किया जा सकता है। पहाड़ी इलाक़ों में उगायेटैजेटस तेल की कीमत 10,000 रुपये से 12,000 रुपये प्रति किलोग्राम के बीच होती है। किसान इस फसल को उगाकर और 5.6 महीने की अवधि मेंटैजेटस तेल का उत्पादन करके प्रति हेक्टेयर 1.2 से 1.5 लाख का शुद्ध लाभ प्राप्त कर सकते हैंए हालांकि पारंपरिक फसलों के मामले में लगभग रु 50,000 हेक्टेयर प्राप्त होता है।
इस माह में सीएसआइआर अरोमा मिशन फेज टू के तहत किसानों को 400 किलो सुगंधित गेंदा बीज वितरित किया गया। टेजेटसमाइन्यूटा 585 कनाल भूमि को कवर करेगा और इससे 350 से अधिक किसानों को लाभ होगा। चंबा से प्रगति किसान कल्याण समिति सोसायटी के अध्यक्ष पवन कुमार ने भी अपने विचार प्रकट करते हुए बताया कि सिहुंता जिला चंबा की 5 उपसमितियां इस फसल को उगा रही है तथा वर्तमान में प्रत्येक किसान प्रति बीघा भूमि से 15,000 से 20,000 रुपये का शुद्ध लाभ कमा रहा है ।
संस्थान के संकाय सदस्यों ने अपनी प्रस्तुतियों में कृषि तकनीक, बुवाई, स्थल चयन, मिट्टी के नमूने, वृक्षारोपण, वृक्षारोपण तकनीक, पोषक तत्व प्रबंधन, खरपतवार प्रबंधन, कीट प्रबंधन, कटाई, आसवन, भंडारण और तेल की पैकेजिंग आदि के बारे में चर्चा की। निश्चित और प्रतिकूल मौसम की स्थिति और जंगली जानवरों की स्थितियों, आवारा मवेशियों की समस्याएं दुर्गम क्षेत्र और उच्च श्रम पर कम शुद्ध लाभ के कारण किसानों ने पारंपरिक खेती की फसलों में अपनी मुख्य समस्याओं पर भी चर्चा की गई। इसे देखते हुए सुगंध गेंदे की फसल एक उपयुक्त विकल्प प्रदान करती है क्योंकि यह इन कारकों से अप्रभावित रहती है और बंजर भूमि को उपयोग में भी लाती है। वैज्ञानिक टीम ने किसानों की समस्याओं पर भी चर्चा की और बुवाई, खेती और कटाई से संबंधित उनके प्रश्नों का समाधान किया।

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