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    एचआरटीसी ने खरीदा महंगा डीजल, 1.39 करोड़ का नुकसान

    By Virender KumarEdited By:
    Updated: Fri, 13 Aug 2021 10:02 PM (IST)

    हिमाचल पथ परिवहन निगम को घाटे में ले जाने के लिए कुप्रबंधन भी जिम्मेदार है। शुक्रवार को विधानसभा में पेश हुई कैग रिपोर्ट से पता चला है कि निगम ने महंगा डीजल खरीदा जिससे 1.39 करोड़ लाख का नुकसान हुआ। निगम ने दो कंपनियों के साथ एग्रीमेंट किया था।

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    एचआरटीसी ने खरीदा महंगा डीजल, 1.39 करोड़ का नुकसान। जागरण आर्काइव

    शिमला, राज्य ब्यूरो। हिमाचल पथ परिवहन निगम को घाटे में ले जाने के लिए कुप्रबंधन भी जिम्मेदार है। शुक्रवार को विधानसभा में पेश हुई कैग रिपोर्ट से पता चला है कि निगम ने महंगा डीजल खरीदा, जिससे 1.39 करोड़ लाख का नुकसान हुआ। निगम ने दो कंपनियों के साथ एग्रीमेंट किया था। जिस कंपनी ने मूल्य वर्धित कर यानी वैट सहित डीजल देने का आफर किया था उसे ठुकरा दिया और दूसरी कंपनी से उतने ही रेट पर कांटेक्ट किया, लेकिन इस पर वैट अलग से चुकाया। इसके लिए कंपनी के साथ कोई मोलभाव नहीं किया। इस संबंध में निगम ने सात नवंबर, 2015 को दूसरी कंपनी के साथ एग्रीमेंट किया और इस एग्रीमेंट को पहली अक्टूबर, 2015 से लागू कर दिया। इससे तेल कंपनी को फायदा हुआ लेकिन निगम को नुकसान झेलना पड़ा।

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    60 लाख 51 लाख का घाटा

    राष्ट्रीय राजमार्ग पर दौडऩे वाली हिमाचल पथ परिवहन निगम की बसों में फास्टैग नहीं लगाया। इससे टोल प्लाजा पर नगद भुगतान करना पड़ रहा है। फास्टैग लगाया होता इससे करीब 60 लाख का कैश वापस आना था लेकिन लापरवाही के कारण नहीं आ पाया। फास्टैग योजना नेशनल हाईवे अथारिटी आफ इंडिया ने शुरू की थी। यह 15 अप्रैल, 2016 में शुरू होगी थी। इसके तहत प्रदेश के पास टोल प्लाजा में छूट मिली थी, लेकिन घाटे में चल रही है निगम के प्रबंधन ने इसे जरूरी नहीं समझा।

    घाटे में चल रहा निगम

    निगम पहले से ही घाटे में चल रहा है। सरकारी बसों का बेड़ा अब करीब 3300 हो गया है। आलम यह कि आय कम होने के कारण यह सरकार पर निर्भर हो गया है। अगर सरकार ने पैसा न मिले तो कर्मचारियों को वेतन देने के लाले पड़ जाएंगे। वित्तीय कुप्रबंधन के कारण पेंशनर्स को समय पर पेंशन नहीं मिल पा रही है।