मालिक के लिए जान तक देने वाला हिमालयी गद्दी कुत्ता अब पंजीकृत प्रजाति में शामिल, तेंदुए-भालू भी खाते हैं खौफ
हिमाचल प्रदेश का गद्दी कुत्ता अब पंजीकृत प्रजाति में शामिल हो गया है। करनाल स्थित राष्ट्रीय पशु आनुवंशिकी संसाधन ब्यूरो (एनबीएजीआर) ने इस आशय की सूचना हिमाचल प्रदेश सरकार को दे दी है। यह चौथी प्रजाति है जिसका स्वदेशी के रूप में पंजीकरण हुआ है। गद्दी कुत्ता प्रजाति का पंजीकरण ‘INDIA-DOG-006_GADDI_19004’ के रूप में हुआ है। हिमाचली के लिए बड़ी उपलब्धि।

संवाद सहयोगी, पालमपुर। दिन-रात मीलों चल कर सैकड़ों भेड़ों-बकरियों के रेवड़ (झुंड) की सुरक्षा और मालिक के लिए जान तक दे देने वाला हिमालयी गद्दी कुत्ता अब पंजीकृत प्रजाति में शामिल हो गया है। करनाल स्थित राष्ट्रीय पशु आनुवंशिकी संसाधन ब्यूरो (एनबीएजीआर) ने इस आशय की सूचना हिमाचल प्रदेश सरकार को दे दी है। यह चौथी प्रजाति है, जिसका स्वदेशी के रूप में पंजीकरण हुआ है।
यह उपलब्धि चौधरी सरवण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के पशु चिकित्सा महाविद्यालय के 12 विज्ञानियों की है। इससे पूर्व तमिलनाडु के राजापाल्यम और चिप्पीपेराई और कर्नाटक की मुधोल कुत्ता प्रजातियों को एनबीएजीआर ने आधिकारिक मान्यता दी है।
गद्दी कुत्ता प्रजाति का पंजीकरण ‘INDIA-DOG-006_GADDI_19004’ के रूप में हुआ है। सामान्यत: गद्दी कुत्ते को वफादार, और फैमिली डॉग ही नहीं, बहादुर भी माना जाता है, क्योंकि यह तेंदुए और भालू से भी भिड़ जाता है तथा इसकी मांग रहती है। पंजीकृत प्रजाति के रूप में मान्यता मिलने का इसकी मौलिकता और शुद्धता बरकरार रहेगी, जिसे जांचने का अब तक कोई पैमाना नहीं था। अब जीन मैप हो सकेगा।
जगह-जगह घूम कर ब्लड सैंपल लिए गए
2019 में तत्कालीन मुख्य सचिव विनीत चौधरी ने यह परियोजना पशु चिकित्सा महाविद्यालय पालमपुर के विज्ञानियों को दी क्योंकि उन्हें लग रहा था कि हिमाचल इस प्रजाति को खो देगा। दल के सदस्य एक वरिष्ठ विज्ञानी कहते हैं कि सबसे पहले उन्होंने गद्दी डाग कंजरवेशन एंड प्रोपेगेशन यूनिट बनाया। ऐसे गद्दी कुत्तों की तलाश की जो देखने में भी गद्दी कुत्ते ही लगें।
जगह-जगह घूम कर उनके ब्लड सैंपल लिए गए। फिर लैब जांच के लिए एनीमल ब्रीडिंग एंड जेनेटिक्स विभाग ने डाटा एनबीएजीआर को भेजकर उनसे सहयोग मांगा। गद्दी समुदाय के लोगों से कुत्ते लेकर उनकी ब्रीडिंग करवाई। संरक्षण का काम हो ही रहा था, लोगों में और आकर्षण पैदा करने के लिए छोटे-छोटे कुत्ते बेचे भी गए।
पहाड़ी कुत्तों की प्रजातियां किर्गीस्तान से आरंभ हो जाती हैं जो बाद में नेपाल और उत्तराखंड तक पाई जाती हैं। उत्तराखंड में भोटिया कुत्ते होते हैं। तिब्बतन मेस्टिफ भी ऐसी ही प्रजाति है जो पर्वतीय है।
ये रहे दल में शामिल
हिमाचल प्रदेश पशुपालन विभाग में स्पेशल लाइवस्टाक ब्रीडिंग प्रोग्राम के संयुक्त निदेशक डा. मुनीष बत्ता, चौधरी सरवण कुमार कृषि विश्वविद्यालय के पशु चिकित्सा विभाग के डा. वरुण सांख्यान, डा. राकेश ठाकुर, डा. प्रदीप कुमार डोगरा, डा. आदर्श कुमार, डा. शिवानी कटोच, डा. अजय कटोच, डा. अंकज ठाकुर, डा. अंकुर शर्मा, डा. अमित शर्मा, डा. रोहित कुमार और डा. मीसम रजा।
यह बहुत सुखद सूचना है। गद्दी कुत्ता रक्षक है, साथी है और स्वामी के लिए कतई हिंसक नहीं है। अब इसके संरक्षण और संवर्धन के रास्ते खुल गए हैं।
- डा. प्रदीप कुमार शर्मा, निदेशक, पशुपालन विभाग, हिमाचल प्रदेश।
गद्दी कुत्ता पंजीकृत होने वाली चौथी स्वदेशी व हिमालयी क्षेत्र की पहली नस्ल होगा। उपलब्धि के लिए विज्ञानियों की टीम और डा. जीसी नेगी पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान महाविद्यालय के अधिष्ठाता डा. रविंद्र कुमार को बधाई।
- डा. नवीन कुमार, कुलपति कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर।
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