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    Barot Valley: गर्मी से राहत ही नहीं आपको सुकून भी देगा यह हिल स्‍टेशन, प्राकृतिक नजारों के हो जाओगे मुरीद

    By Rajesh Kumar SharmaEdited By:
    Updated: Mon, 06 Jun 2022 03:12 PM (IST)

    Himachal Hill Station Barot Valley हिमाचल प्रदेश का बेहद खूबसूरत छोटा सा हिल स्‍टेशन बरोट पर्यटकों को खूब पसंद आता है। बरोट ऐसा हिल स्‍टेशन है यहां आपको गर्मी से राहत के साथ एक सुकून भी मिलेगा। यहां के प्राकृतिक नजारे आपकी सारी थकान मिटा देंगे।

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    हिमाचल प्रदेश का छोटा सा हिल स्‍टेशन बरोट। फोटो- खुशी राम ठाकुर।

    धर्मशाला, नीरज व्यास। Himachal Hill Station Barot Valley, गर्मियों का सीजन बढ़ने के साथ ही मैदान तपते हैं तो लोग ठंडे स्थानों में ठंडी छांव के साथ-साथ सुंदर प्राकृतिक नजारों को खोजने निकलते हैं। हिमाचल प्रदेश में अ‍नगिनत ऐसे स्‍थान हैं, जहां आपको गर्मी से राहत मिल सकती है। लेकिन एक स्‍थान ऐसा भी जहां गर्मी से राहत ही नहीं एक सुकून भी मिलता है। हम बात कर रहे हैं कांगड़ा और मंडी की सीमा पर ऊहल नदी के साथ बसे बरोट की। बरोट घाटी पर्यटकों को काफी रास आती है। यहां मनाली व शिमला की तरह पर्यटकों की भीड़ नहीं होगी।

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    अगर आप बरोट नहीं गए तो समझ लो गई प्राकृतिक नजारों से रूबरू होने से महरूम रह गए। मंडी जिला की चौहार घाटी का बरोट बहुत ही सुंदर व आकर्षक है, जो पर्यटकों को अपनी तरफ खींच रहा है। समुद्री सतह से छह हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित बरोट ऊहल नदी के साथ बसा छोटा सा खूबसूरत हिल स्टेशन है। इस स्थान को बिजली परियोजना के लिए ऊहल नदी पर बसाया गया था। लेकिन आज यह सबसे ज्यादा लोकप्रिय पर्यटन स्थल बन चुका है। मंडी से करीब 80 किलोमीटर दूर देवदार के घने जंगलों से घिरा बरोट नेचर और एडवेंचर प्रेमियों के लिए एक सुंदर स्थल है। यहां पर्यटक प्रकृति की खूबसूरती के बीच ट्रैकिंग से लेकर फिशिंग, कैंपिंग, रेंप्लिंग आदि का मजा ले सकते हैं।

    इसलिए भी मशहूर है बरोट

    बिजली परियोजनाओं के लिए बरोट मशहूर है। बरोट में अंग्रेजों की ओर से बनाई शानन विद्युत परियोजना का जलाशय भी है। वर्ष 1925 में ब्रिटिश सेना के इंजीनियर कर्नल बंटी और मंडी के राजा जोगेंद्र सेन के बीच एक अनुबंध हुआ था, जिससे जोगेंद्रनगर की शानन और बस्सी जल विद्युत परियोजनाएं बनी हैं।

    ट्राउट फिश फार्म के लिए भी जाना जाता है बरोट

    बटोर पर्यटन स्थल अपने ट्राउट फिश फार्म के लिए भी जाना जाता है। इसका संचालन मत्स्यपालन विभाग कर रहा है। यहां हर साल मत्स्य आखेट प्रतियोगिता भी होती है। बरोट 278 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैले नर्गू वन्य जीव अभयारण्य का गेटवे भी है। यहां पर विभिन्न जीव जंतु व पशु प्रजातियों का निवास है।

    हुरंग नारायण का मंदिर आकर्षण का केंद्र

    बरोट के आसपास चौहारघाटी, झांकरी गांव और हुरंग नारायण मंदिर जैसे आकर्षक स्थल भी मौजूद हैं। यह मंदिर भी अपनी विशेषता के लिए आकर्षण का केंद्र है। बरोट ऐसी जगह है जहां साल में किसी भी मौसम में आया जा सकता है। हालांकि मानसून में बारिश अधिक होने के कारण यहां पर कई बार रास्ते भी बंद हो जाते हैं। इसलिए भारी बरसात के दिनों में यहां का प्रोग्राम नहीं बनाना चाहिए।

    ऐसे पहुंचे बरोट

    सड़क मार्ग से पठानकोट-मंडी राष्ट्रीय उच्च मार्ग पर स्थित घटासनी स्थान से बरोट जाया जा सकता है। अगर दिल्ली से आ रहे हैं तो वाया कांगड़ा, बैजनाथ, पामलपुर होकर बरोट पहुंचा जा सकता है। गगल हवाई अड्डे में उतर कर यहां टैक्सी व बस से यात्रा कर सकते हैं। बरोट के नजदीक हवाई अड्डा कुल्लू भी है। यह यहां से 108 किलोमीटर दूर है। हवाई अड्डे से बरोट जाने के लिए बस और टैक्सी सुविधा उपलब्ध है। बरोट घाटी का नजदीकी रेलवे स्टेशन जोगेंद्रनगर है, जहां से आनी से बरोट घाटी पहुंचा जा सकता है।