धर्मशाला के त्रियुंड ट्रैक की सैर का यह है बेस्ट टाइम, रूह खुश कर देंगे प्रकृति के ये नजारे, जानिए बेस्ट रूट
Dharamshala Triund Trek हिमाचल प्रदेश में सैलानियों को घूमने के लिए कई सुंदर स्थल हैं। कई ट्रैकिंग रूट भी हैं लेकिन त्रियुंड ट्रैक पर्यटकों की पहली पसंद रहता है। धर्मशाला में धौलाधार की पहाडि़यों में स्थित यह ट्रैक बेहद खूबसूरत है।

धर्मशाला, नीरज व्यास। Dharamshala Triund Trek, आप धर्मशाला आ रहे हों और त्रियुंड तक नहीं गए तो सुंदर व मनमोहक प्राकृतिक नजारों को देखने का मौका आपने खो दिया। इसलिए अपने दोस्तों के साथ धर्मशाला घूमने का मन बनाया है तो थोड़ी सी ट्रैकिंग त्रियुंड तक भी कर लें। यहां तक के रोमांच के सफर में आपको खुशी व आनंद के वह लम्हें मिलेंगे जो आपने पहले कभी नहीं बिताए होंगे। जी हां हम बात कर रहे हैं धर्मशाला से सटे पर्वत धौलाधार व उसके प्रमुख ट्रैकिंग स्थल त्रियुंड की। प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर यह स्थल धर्मशाला से कुछ किलोमीटर की दूरी पर एक बेहतर ही मनमोहक स्थल पर स्थित है।
इसके पूर्व में खनियारा, चामुंडा, पालमपुर दिखाई देता है तो उत्तर में विशाल धौलाधार पर्वत खड़ा है। वहीं दक्षिण में धर्मशाला, कांगड़ा, शाहपुर व ब्यास नदी व पौंग डैम दिखता है तो पश्चिम में गुणा माता व घेरा की पहाड़ियां दिखाई देती हैं। यह समुंद्र तल से 2828 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, जिससे कांगड़ा घाटी के सुंदर दृश्य यहां पर देखने को मिलते हैं। त्रियुंड धर्मशाला से करीब 19 से 20 किलोमीटर की दूरी पर है। त्रियुंड को हिमाचल प्रदेश के खूबसूरत व पर्यटकों के पसंदीदा ट्रैक के रूप में जाना जाता है।
ऐसे पहुंचे धर्मशाला व धर्मशाला से त्रियुंड
अगर आपने धर्मशाला आने का मन बनाया है तो आप धर्मशाला तक की यात्रा बस में, गगल तक हवाई जहाज में और पठानकोट से रेल में यात्रा पुराना कांगड़ा व नगरोटा बगवां, पालमपुर तक कर सकते हैं। उसके बाद वहां से बस ले सकते हैं। दिल्ली से धर्मशाला, चंडीगढ़ से धर्मशाला, पठानकोट से धर्मशाला तक सीधे बसें चलती हैं। धर्मशाला पहुंचने पर यहां विभिन्न होटलों में आप रुक सकते हैं। होटलों की आनलाइन बुकिंग कर सकते हैं।
विश्राम गृह व टेंट की व्यवस्था
त्रियुंड ट्रैक बेहतर सुंदर व छोटा है। यहां आप मैक्लोडगंज से जा सकते हैं। त्रियुंड में आप रात भी गुजार सकते हैं यहां पर वन विभाग का विश्राम गृह है, जहां पर आप पहले बुकिंग करवाकर ठहर सकते हैं, इसके अलावा अब कुछ निजी तौर पर टेंट की व्यवस्था भी कर रहे हैं। यहां पर जाकर टेंट ले सकते हैं और वहां ठहर कर रात के मनमोहक नजारों को जीवन भर के लिए कैद कर सकते हैं। टेंट में एक हजार रुपये में आपको ठहरने से लेकर ब्रेकफास्ट, लंच और डिनर की व्यवस्था रहेगी।
आठ से नौ किलोमीटर का ट्रैक
धर्मशाला से नौ किलोमीटर मैक्लोडगंज व एक किलोमीटर धर्मकोट तक का सफर गाड़ी में कर सकते हैं इसके बाद धर्मकोट के गलू मंदिर से त्रियुंड करीब आठ से नौ किलोमीटर दूर है। वहां तक पहुंचने में तीन से चार घंटे का समय लग जाता है। त्रियुंड जाने के लिए पैदल जाने के साथ किराये पर घोड़ा भी उपलब्ध रहता है। घोड़े पर सवार होकर भी त्रियुंड तक जाया जा सकता है।
यह ट्रैक है खतरनाक
त्रियुंड तक जाने के लिए भागसू वाटरफाल और शिवा कैफे से होकर भी एक रास्ता जाता है, लेकिन यह गलू मंदिर के ट्रैक के मुकाबले थोड़ा सा कठिन है, इसलिए ज्यादातर ट्रैकर चुनौतीपूर्ण ट्रैक के बजाय गलू मंदिर ट्रैक को त्रियुंड जाने के लिए प्रयोग करते हैं।
प्रकृति के नजारे कर देंगे रोमांचित
त्रियुंड पहुंचते ही आपकी सारी थकान दूर हो जाएगी। आप जब सामने विशाल धौलाधार को अपने बिल्कुल नजदीक पाते हो और कांगड़ा घाटी के मनमोहक नजारों सहित प्रकृति के कई मनमोहक नजारों देखते हो। इसके अलावा त्रियुंड की शीतल पवन आपको और भी रोमांचित व आनंदित कर देती है।
बरतें ये सावधानी
अगर आप त्रियुंड ट्रैक पर जा रहे हैं तो सावधानी बरतना भी जरूरी है। सबसे पहले तो अपने साथ गर्म कपड़े लेकर जाना न भूलें, कभी भी मौसम खराब हो जाता है और तापमान में गिरावट आ जाती है, अगर गर्म कपड़े न डाले हों तो परेशानी हो सकती है। अपने साथ चिकित्सा सहायता किट और सामान्य दवाएं जरूर ले जाएं। आप अच्छी क्वालिटी के जूते पहनें, अपने साथ बारिश से बचने के लिए छाता, रेनकोट आदि भी जरूर रखें। अपने साथ सनैक्सव खाने पीने का भी सामान रखें जिसे बनाने में ज्यादा समय न लगे व कुछ रेडिमेड खाद्य पदार्थ रखें, जिन्हें भूख लगने पर प्रयोग कर सकें। अपने कैमरे के लिए अतिरिक्त बैटरी या पावर बैंक ले जाना न भूलें। अपने साथ एक प्रशिक्षित गाइड रखें। हो सके तो अपने साथ लंबी रस्सी, रोशनी के लिए टॉर्च व जरूरत पर आग जलाने के लिए लकड़ी काटने का सामान जरूर रखें।
इन महीनों में करें त्रियुंड की यात्रा, सर्दियों में न लें रिस्क
त्रियुंड की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय मई-जून और सितंबर-अक्टूबर के महीने का होता है। इन महीनों में यहां का मौसम बहुत सुखद होता है। सर्दियों के मौसम में यहां काफी ठंड पड़ती है। त्रियुंड में बर्फ अधिक गिरती है। इसलिए यह ट्रैक सर्दियों में खतरनाक हो सकता है। इसलिए गर्मियों में या सितंबर अक्टूबर में इस ट्रैक का लुत्फ उठाना बेहतर है।
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