Himachal Mandir: भगदड़ जैसी स्थिति में कांगड़ा के शक्तपीठों में व्यवस्था डामाडोल, ज्वालामुखी में निकासी द्वारों पर ताले
Stampede Alert In Temple कांगड़ा जिले के शक्तिपीठों में सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया गया। ज्वालामुखी मंदिर में सुरक्षा व्यवस्था में सुधार की जरूरत है। चामुंडा मंदिर में सुरक्षा चाक-चौबंद है परिसर खुला होने से भगदड़ की आशंका नहीं है। बज्रेश्वरी मंदिर में प्रवेश और निकासी के लिए एक ही द्वार होने और तंग बाजार के कारण भगदड़ की स्थिति में दिक्कत हो सकती है।
जागरण टीम, कांगड़ा। Stampede Alert In Temple, जिला कांगड़ा के शक्तिधाम प्रबंधन को उतराखंड के हरिद्वार स्थित श्री मनसा देवी मंदिर में रविवार को भगदड़ से हुई श्रद्धालुओं की मौत मामले से सीख लेते हुए यहां पुख्ता इंतजाम करने चाहिए। रविवार को दैनिक जागरण ने जिला कांगड़ा के तीनों शक्तिधामों में पड़ताल की है। विश्व विख्यात शक्तिपीठ श्री ज्वालामुखी मंदिर में सुरक्षा व्यवस्था माता रानी ज्वालामुखी के भरोसे ही है।
पिछले कई सालों से जो व्यवस्था चली जा रही है, उसमें रती भर भी सुधार नहीं हुआ है। यदि किसी स्थान पर भगदड़ मच जाए तो सभी दरवाजों को खोलकर यात्रियों की निकासी करवाई जाती है लेकिन ज्वालामुखी मंदिर में उल्टा चल रहा है, यहां पर पहले ही सभी छोटे रास्तों के दरवाजों को ताला लगाकर बंद कर दिया जाता है, यदि ईश्वर ना करे कभी भगदड़ जैसी नौबत आ जाए तो लोग मंदिर से बाहर भी नहीं निकल पाएंगे, क्योंकि दरवाजों पर तो पहले ही ताले लगे होते हैं।
एक तरफ नाला, दूसरी तरफ भूस्खलन का रहता है खतरा
मंदिर के एक तरफ बड़ा नाला है यहां पर भी कभी पानी का बहाव ज्यादा आ जाए तो कई बार पानी मंदिर के अंदर चला जाता है और काफी लंबे समय तक मंदिर को बंद रखना पड़ता है, ताकि पानी को निकाला जा सके। इसके लिए भी मंदिर न्यास ने कोई विकल्प नहीं खोजा है। नाले में वर्षों पहले बनाया गया चेक डैम जर्जर अवस्था में पहुंच गया है, उसके पांव उखड़े हैं। इसके अलावा ज्वालामुखी मंदिर को जाने वाला मुख्य रास्ता कच्ची पहाड़ी के साथ सटा हुआ है यहां पर कई बार ज्यादा भारी बारिश हो जाने से मिट्टी का मलबा और पत्थर अक्सर सड़क पर गिरते हैं।
पत्थर व मलबा गिरने से दो लोगों की हो चुकी है मौत
कुछ साल पहले यहां पर भारी मलबा और पत्थर गिरने से दो लोगों की मौत हो चुकी है। इसके अलावा हर साल यहां पर पत्थर ,पेड़ और मलबा मुख्य मंदिर मार्ग पर गिरता है। कई दुकानदारों का काफी नुकसान हो जाता है। मंदिर को जाने वाले रास्ते पर बनाई गई कनोपी के ऊपर बिजली की तारे भी जाती है हालांकि मंदिर न्यास और प्रशासन ने बिजली विभाग से इन तारों का प्रबंध करने के लिए आग्रह किया है और बजट का भी प्रविधान किया है। लेकिन बात अभी तक सिरे नहीं चढ़ पाई है। पहाड़ी पर कई पेड़ सुख गए हैं ।
चामुंडा मंदिर में सुरक्षा चाकचौबंद, खुली जगह भगदड़ से निपटने का इंतजाम
सावन अष्टमी मेलों के दौरान श्री चामुंडा नंदिकेश्वर धाम मंदिर में हर साल एक लाख के करीब श्रद्धालु पहुंचते हैं। इन दस दिनों रोजाना 8 से 10 हजार मां तथा भगवान शिव के दर्शन करते हैं इसी तरह चैत्र ओर शारदीय नवरात्रों में भी एक लाख से ऊपर यात्रा रहती है। श्री चामुंडा नंदिकेश्वर धाम मंदिर खुले वातावरण में स्थित है। मंदिर परिसर भी काफी खुला है। भगदड़ मचने का कोई सवाल ही नहीं उठता है ।बिजली की तारें सुव्यवस्थित ढंग से है मंदिर परिसर में कोई भी सूखा पेड़ या गिरने वाला पेड़ नहीं है ।
सावन अष्टमी मेलों में 10 लंगर समितियों को स्वीकृति
सावन अष्टमी मेलों के दौरान 10 लंगर समितियों को स्वीकृति दी जाती है । सुरक्षा की दृष्टि से इन दिनों 30 पुलिस कर्मी और 30 होम गार्ड तैनात किए जाते है । यातायात व्यवस्था के लिए मंदिर परिसर से वाहर पार्किंग की व्यवस्था की जाती है ।गर्भ गृह को जाने के लिए खुली सीढियां है ।जहां किसी तरह की बिजली तारे नहीं है इन दिनों हर श्रद्धालु के मैटल डिटेक्टर से गुजरना पड़ता है । आने जाने की अलग रास्ते हैं ।
बज्रेश्वरी मंदिर में एक निकासी द्वार, तंग बाजार
कांगड़ा में बज्रेश्वरी मंदिर में प्रवेश व निकासी के लिए एक ही द्वार रखा गया है। अगर मंदिर में भगदड़ हो तो यहां से एग्जिट करने में दिक्कत आ सकती है। कुछ वर्ष पहले मंदिर के साथ ही बने दूसरे द्वार को भी उस समय के मंदिर न्यासियों ने खोलने की व्यवस्था की थी। मंदिर का दूसरा द्वार भी खोला गया, लेकिन उसे चेक करने के बाद बंद कर दिया गया था। इस द्वार के बाहर अब लोगों की दुकानें भी हैं।
भगदड़ मचने पर खराब हो सकती है स्थिति
श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए यहां पर सीसीटीवी हैं और यहां पर सुरक्षा गार्ड भी तैनात रहते हैं। जबकि मंदिर के प्रवेश द्वार से निकलने के बाद तंग गलियां व तंग बाजार हैं। जब नवरात्र होते हैं तो श्रद्धालुओं की लाइनें बाजार तक पहुंचती हैं। यहां पर नेहरु चौक से लेकर मंदिर परिसर तक रास्ते के ऊपर कैनोपी लगाई हुई है, ऐसे में तारों के गिरने की कोई स्थिति तो नहीं है लेकिन यह रास्ता ही इतना तंग तंग है कि भगदड़ की स्थिति में यहां पर हाल खराब हो सकते हैं।
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क्या कहते हैं स्थानीय लोग व श्रद्धालु
- नवरात्रि हो या भारी भीड़ हो छोटे मंदिरों को जाने वाले रास्ते बंद नहीं किए जाने चाहिए क्योंकि यदि कभी किसी प्रकार की कोई भगदड़ होती है तो इन रास्तों से यात्रियों को कुशलता पूर्वक सकुशल बाहर निकाला जा सकता है यदि रास्ते बंद होंगे तो नुकसान हो सकता है।
-देशराज अत्री।
-रामस्वरूप शास्त्री
-अभिषेक श्रद्धालु।
-विवेक श्रद्धालु।
नवरात्र के दौरान बेहतर सुरक्षा व्यवस्था
श्री चामुंडा नंदिकेश्वर धाम मंदिर में सावन अष्टमी मेलों से लेकर चैत्र तथा शारदीय नवरात्र के दौरान सुरक्षा के बेहतर व्यवस्था की जाती है। आज़ तक यहां भगदड़ जैसी घटना नहीं हुई है। सुरक्षा की दृष्टि से पूरे परिसर में 28 सीसीटीवी कैमरे स्थायी तौर पर स्थापित किए गए हैं।
-राकेश कुमार, मंदिर अधिकारी, श्री चामुंडा माता मंदिर।
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