मां का पहला दूध नवजात के लिए क्यों है इतना उपयोगी, जानिए बाल रोग विशेषज्ञ अजय दत्ता से
World Breastfeeding Weak 2022 मां का पहला दूध बच्चे के लिए आहार नहीं बल्कि अमृत है। जब भी कोई गर्भवती महिला बच्चे को जन्म देती है तो नवजात शिशु को मां का ही दूध पिलाना चाहिए। यह बच्चे के भीतर रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाता है।

धर्मशाला, नीरज व्यास। World Breastfeeding Weak 2022, मां का पहला दूध बच्चे के लिए आहार नहीं बल्कि अमृत है। जब भी कोई गर्भवती महिला बच्चे को जन्म देती है तो नवजात शिशु को मां का ही दूध पिलाना चाहिए। यह बच्चे के भीतर रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाता है। शिशु को कई बीमारियों से भी बचाता है। यही नहीं मां का दूध नवजात शिशुओं की मृत्युदर को कम करने में भी कारगर है। शिशु के विकास के साथ साथ हड्डियों को भी मजबूत करता है। इसलिए यह सिर्फ एक आहार नहीं बल्कि अमृत है।
मां के दूध में वह सभी चीजें हैं जो बच्चे के विकास को जरूरी : दत्ता
क्षेत्रीय चिकित्सालय धर्मशाला के चिकित्सा अधीक्षक व बाल रोग विशेषज्ञ डा. अजय दत्ता बताते हैं कि मां के दूध में वह सभी चीजें मौजूद हैं जो बच्चे की ग्रोथ के लिए जरूरी होती है। मां के दूध से बच्चे को इनफेक्शन का खतरा नहीं होता। बल्कि मां के दूध से बच्चे को उतनी कैलरी मिलती है, जिनकी उसको जरूरत है। इस हिसाब से भी मां का दूध परफेक्ट होता है। मां के दूध के अलावा अन्य दूध में सोर्स आफ इनफेक्शन बढ़ जाता है। इसलिए बच्चों को मां का ही दूध देना चाहिए। पहली अगस्त से सात अगस्त तक विश्व स्तनपान दिवस मनाया जा रहा है।
पहली अगस्त से मनाया जा रहा विश्व स्तनपान सप्ताह
अगस्त माह के पहली से सात अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जा रहा है। इस मौके पर विभिन्न जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करके धातृ महिलाओं को बच्चों को अपना ही दूध पिलाने के लिए जागरूक भी किया जाएगा। छह माह तक बच्चे को मां का ही दूध पिलाना अति आवश्यक है। स्वास्थ्य विभाग व महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से सात दिन तक विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग अपने स्वास्थ्य विकास खंडों में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने जा रहा है तो बाल विकास विभाग आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से लोगों के घरद्वार तक जागरूकता पहुंचाएगा। विश्व स्तनपान सप्ताह 2022 की थीम स्तनपान शिक्षा और सहायता के लिए कदम बढ़ाए हैं।
आधुनिक माताएं अपना दूध पिलाने से करवाती है परहेज
प्राय यह भी पाया गया है कि कुछेक आधुनिक माताएं अपने नवजात बच्चे को अपना दूध पिलाने से परहेज करती हैं और उन्हें डिब्बे का दूध या अन्य विकल्प चुनने लगती हैं। इसकी वजह वह अपनी शारीरिक बनावट को खराब नहीं होने देना चाहती। ऐसे कारणों को खत्म करने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने जागरूकता शुरू की है और महिलाओं व नवजात शिशुओं की माताओं को नवजात बच्चों को अपना दूध ही पिलाने का आग्रह किया है। यही कारण है सरकारी तौर पर कार्यालय में तैनात महिलाओं को प्रसव के बाद छह माह तक की विशेष छुट्टियों का प्रावधान किया गया है ताकि महिलाएं अपने बच्चे पर ही ध्यान दे सकें।
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