यह दिल मांगे मोर... के नारे से सैनिकों में जोश भरने वाले विक्रम बत्रा को देश कर रहा याद, यूं ही नहीं कहा गया शेरशाह
Captain Vikram Batra Death Anniversary कारगिल युद्ध में ... यह दिल मांगे मोर... से सैनिकों में जोश पैदा करने वाले कैप्टन विक्रम बतरा को उनके बलिदान दिवस पर पालमपुर में श्रद्धांजलि दी गई। युद्ध में विक्रम बतरा को परमवीर चक्र मिला था।
पालमपुर, संवाद सहयोगी। Captain Vikram Batra Death Anniversary, कारगिल युद्ध में ... यह दिल मांगे मोर... से सैनिकों में जोश पैदा करने वाले कैप्टन विक्रम बतरा को उनके बलिदान दिवस पर पालमपुर में श्रद्धांजलि दी गई। युद्ध में विक्रम बतरा को परमवीर चक्र मिला था। वीरवार को पालमपुर में विक्रम बतरा के पिता जीएल बतरा और मां कमल कांता बतरा ने प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। प्रशासन की तरफ से एसडीएम डाक्टर अमित गुलेरिया उपस्थित रहे। हिमाचल भाजपा महामंत्री त्रिलोक कपूर व पालमपुर की महापौर पूनम बाली ने भी श्रद्धांजलि दी। कारगिल हीरो बलिदानी कैप्टन विक्रम बतरा को पालमपुर में ही नहीं पूरे प्रदेश व देश में याद किया जा रहा है।
कैप्टन विक्रम बतरा ने 20 जून 1999 को अल सुबह करीब साढ़े तीन बजे श्रीनगर-लेह मार्ग के ठीक ऊपर 5140 पीक को पाकिस्तानी सेना से छुड़ाने के बाद यह दिल मांगे मोर... का नारा दिया था। चोटी पर कब्जे के बाद जब कैप्टन विक्रम बत्रा का रेडियो पर यह संदेश आया तो हर सैनिक में जोश भर गया। उन्हें इस मिशन के दौरान काेड नाम शेरशाह दिया गया था, इस मिशन के बाद उन्हें कारगिल का शेर नाम से जाना जाने लगा। 5140 पीक पर तिरंगा फहराते हुए कैप्टन विक्रम बत्रा का फोटो जब अखबार में आया तो हर कोई उनका दीवाना हो गया था।
विक्रम बत्रा को 6 दिसंबर 1997 को जम्मू के सोपोर में 13 जम्मू कश्मीर राइफल्स में बतौर लेफ्टिनेंट नियुक्ति मिली। पहली जून को उनकी टुकड़ी को कारगिल युद्ध में भेजा गया था और उन्होंने हर मोर्चा पर दुश्मन को मुंह तोड़ जवाब दिया।
4875 चोटी को दुश्मन से छुड़ाने के अभियान के दौरान वह वीरगति को प्राप्त हुए थे। एक अन्य लेफ्टिनेंट नवीन दुश्मन की गोलीबारी में घायल हो गए, उन्हें बचाते हुए कैप्टन विक्रम बत्रा को दुश्मन की गोली लग गई।