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    हिमाचल प्रदेश के पहाड़ों में भी बसता है चंडीगढ़ सेक्‍टर-13, चार दशक पहले पड़ा था नाम, बेहद रोचक है किस्‍सा

    Chandigarh in Himachal Lahaul Spiti हिमाचल प्रदेश के जनजातीय जिला लाहुल स्‍पीति में भी एक चंडीगढ़ बसता है। इस गांव का नाम चंडीगढ़ पड़ने के पीछे की कहानी बेहद रोचक है। ग्रामीण चार दशक पूर्व यह गांव बसाया था।

    By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Updated: Thu, 21 Jul 2022 10:19 AM (IST)
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    हिमाचल प्रदेश के जनजातीय जिला लाहुल स्‍पीति में भी एक चंडीगढ़ बसता है।

    काजा, जसवंत ठाकुर। Chandigarh in Himachal Lahaul Spiti, हिमाचल प्रदेश के जनजातीय जिला लाहुल स्‍पीति में भी एक चंडीगढ़ बसता है। इस गांव का नाम चंडीगढ़ पड़ने के पीछे की कहानी बेहद रोचक है। आधुनिकता की इस चकाचौंध के बीच सुखमय जीवन को कौन ठुकराना चाहता है। लेकिन शीत मरुस्थल स्पीति घाटी के कौरिक गांव के युवाओं को अपने बुजुर्गों के उस निर्णय पर फक्र है जिन्होंने आज से चार दशक पहले अपनी जन्मभूमि को छोड़कर चंड़ीगढ़ बसने के सरकार के सुझाव को ठुकरा दिया था। बुजुर्गों ने कौरिक के समीप हुर्लिंग पंचायत में ही चंडीगढ़ नामक गांव बसा डाला। हालांकि चंडीगढ़ जैसी सुविधा तो नहीं लेकिन युवाओं को फक्र है कि वो अपनी जन्मभूमि से जुड़े हुए हैं। इस गांव में आज सेब की बंपर पैदावार हो रही है। इस सेब की देशभर की मंडियों में मांग रहती है, क्योंकि इन सेब को कोल्ड स्टोर की जरूरत नही पड़ती और लंबे समय तक स्वाद बना रहता है।

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    कौरिक के चंडीगढ़ गांव में बसे युवा तेंजिन, टशी, छेरिंग व सोनम डोलमा ने बताया कि चार दशक पहले उनके बुजुर्ग चीन सीमा के समीप प्रदेश के अंतिम गांव कौरिक में रहते थे। लेकिन भारतीय सेना व सरकार के आग्रह पर देश हित में वहां से विस्थापित होना पड़ा। सरकार ने चंडीगढ़ में सेक्टर 13 देने का आफर किया। लेकिन बुजुर्गों ने सरकार के सुझाव को ठुकरा दिया। बुजुर्गों का कहना था कि ऐसा करने से उनकी सभ्यता संस्कृति खत्म हो जाएगी।

    उन्होंने कहा कि दुनिया हालांकि यह बात सुनकर मजाक बनाती है लेकिन हमें अपनी संस्कृति, सभ्यता व संस्कारों पर गर्व है। हम बुजुर्गों की बदौलत अपनी सभ्यता संस्कृति को संजोए हुए हैं और शिष्टाचार व नैतिकता को अपनाए हुए हैं। शिष्टाचार व नैतिकता हमारे जीवन में बहुत अहम चीजें हैं। आज हम अपने इस चंडीगढ़ गांव में खुश हैं और सेब की पैदावार कर देश को बेहतरीन गुणवत्ता का सेब उपलब्‍ध करवा रहे हैं।

    उन्होंने बताया कि उन्हें फक्र है कि वो आज अपनी जन्मभूमि से जुड़कर देश के प्रहरियों की भी भूमिका निभा रहे हैं। समदो में आईटीबीपी व सेना के अधिकारियों ने भी बताया कि ग्रामीणों का उन्हें बहुत सहयोग मिलता है। स्थानीय विधायक एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री डा. रामलाल मार्कंडेय ने बताया कि सरकार सीमावर्ती क्षेत्रों में आधातभूत सुविधाओं को लेकर गंभीर है। सरकार प्राथमिकता में विकास के कार्यों को धरातल पर उतार रही है।