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हिमाचल प्रदेश में कल से थम जाएगी 108 एंबुलेंस सेवा, 1200 कर्मचारी चले जाएंगे हड़ताल पर, उठा रहे ये मांगें

Himachal 108 Ambulance हिमाचल प्रदेश में बुधवार से 108 एंबुलेंस की पहिये थम जाएंगे। मांगे पूरी न होने के कारण 108 एंबुलेंस कर्मचारियों ने हड़ताल का ऐलान किया है। 25 मई तक यदि मांगे पूरी नहीं हुई तो कर्मचारी हड़ताल पर चले जाएंगे।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Published: Tue, 24 May 2022 01:52 PM (IST)Updated: Tue, 24 May 2022 03:08 PM (IST)
हिमाचल प्रदेश में बुधवार से 108 एंबुलेंस की पहिये थम जाएंगे। File Photo

सोलन, जागरण संवाददाता। Himachal 108 Ambulance, हिमाचल प्रदेश में बुधवार से 108 एंबुलेंस की पहिये थम जाएंगे। मांगे पूरी न होने के कारण 108 एंबुलेंस कर्मचारियों ने हड़ताल का ऐलान किया है। 25 मई तक यदि मांगे पूरी नहीं हुई तो कर्मचारी हड़ताल पर चले जाएंगे। यूनियन के प्रधान पूर्णचंद ने कहा पुरानी जीवीके कंपनी द्वारा कर्मचारियों के वेतन व भत्ते अभी तक नहीं दिए हैं। 2015 से कर्मचारियों को मिलने वाले एरियर की अदायगी भी अभी तक शेष है। उन्होंने कहा हिमाचल प्रदेश में करीब 343 एंबुलेंस कर्मचारी चला रहे हैं व करीब 1200 कर्मचारी अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। बीते दिवस प्रत्येक जिला में उपायुक्त को ज्ञापन के माध्यम से हड़ताल के बारे में अवगत करवाया जा चुका है, लेकिन अभी तक किसी से कोई जवाब नहीं आया है और न ही कर्मचारियों की समस्या को हल करने के लिए किसी ने बात की है।

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उन्होंने कहा कि 25 मई रात्रि 8 बजे से सभी कर्मचारी काम छोड़ देंगे। पूर्ण चंद ने कहा स्वास्थ्य विभाग व प्रदेश सरकार द्वारा इस बारे में अभी तक कोई भी बात नहीं की है। उन्होंने आरोप लगाया है कि नई कंपनी भी कर्मचारियों का शोषण कर रही है। पुरानी कंपनी के अधिकारियों को नौकरी पर रखा है, जबकि कर्मचारियों को बाहर कर दिया गया है।

पुरानी कंपनी में सेवाएं दे रहे करीब 150 लोगों को अभी तक नौकरी पर नहीं रखा गया है, और नए कर्मचारियों को नियुक्ति दी गई है। कर्मचारियों को अभी तक ज्वाइनिंग लेटर भी प्रदान नहीं किए गए हैं, केवल ऑफर लेटर देकर नौकरी पर रख लिया गया है। उन्होंने कहा नई कंपनी लेबर कानून को भी लागू नहीं कर रही है। कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन 18 हजार रपये प्रतिमाह होना चाहिए, लेकिन अधिकतर कर्मचारियों को इससे भी कम वेतन दिया जा रहा है। यही वजह है कि मजबूरन उन्हें आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ रहा है।


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