मेजर सुधीर वालिया को साथियों ने दिया था रैंबो नाम, कारगिल युद्ध में दिखाया था शौर्य, मरणोपरांत मिला अशोक चक्र
Major Sudhir Walia कारगिल के युद्ध में अपना शौर्य दिखा चुके मेजर सुधीर वालिया को साथियों ने उनकी बहादुरी के लिए रैंबो नाम दिया था। वह 29 अगस्त 1999 को कुपवाड़ा के जंगलों में आंतकवादियों के साथ मुठभेड़ में वह वीरगति को प्राप्त हुए थे।

धर्मशाला, जागरण संवाददाता। Major Sudhir Walia, कारगिल के युद्ध में अपना शौर्य दिखा चुके मेजर सुधीर वालिया को साथियों ने उनकी बहादुरी के लिए रैंबो नाम दिया था। वह 29 अगस्त, 1999 को कुपवाड़ा के जंगलों में आंतकवादियों के साथ मुठभेड़ में वह वीरगति को प्राप्त हुए थे। नौ वर्ष की सैन्य सेवा में उन्होंने 15 मेडल प्राप्त किए थे। श्रीलंका में उन्हें शांति दूत के रूप में भी पुकारा जाता था। पेंटागन में 70 देशों के प्रतिनिधि गए थे, उसमें भारत की ओर से उन्होंने टॉप किया था। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है उन्होंने भारतीय सेना में दो बार लगातार सेना मेडल प्राप्त किया था, जो बहुत कम सैनिकों को मिलता है। जनरल वीपी मलिक के साथ मेजर सुधीर वालिया ने बतौर निजी सहायक के रूप में भी कार्य किया तथा मरणोपरांत उन्हें अशोक चक्र दिया गया।
देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले मेजर सुधीर वालिया को मरणोपरांत 2000 में अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था। उन्होंने द जाट रेजिमेंट में कमीशन किया, उन्हें विशेष पाठ्यक्रम के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका भेजा गया, जहां वे प्रथम रहे। 1994 में उन्हें सेना पदक से भी सम्मानित किया गया था। बनूरी में उनके नाम पर प्रेरणा स्थल बना है, उनकी प्रतिमा भी स्थापित की गई है, जहां उन्हें पुष्पांजलि देकर याद किया जाता है। मेजर सुधीर वालिया की बहादुरी के अनेक किस्से हैं।
इसलिए पुकारते थे रैंबो नाम से
मेजर सुधीर वालिया को विशेष कोर्स के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका भेजा गया था यहां पर उन्होंने अपने कमांडो कोर्स में प्रथम स्थान हासिल किया था, उनकी बहादुरी साहस व हिम्मत के कारण उनके साथी व सैनिक उन्हें रैंबो नाम से पुकारते थे।
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