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हिमाचल के इस मंदिर में होते हैं शत्रुनाशिनी यज्ञ, पांडवों ने की थी स्‍थापना, इंदिरा गांधी व राष्‍ट्रपति भी करवा चुके हैं विशेष पूजा

Kangra Famous Temple Baglamukhi Mata घरेलू कलह अदालती परेशानियों जमीन जायदात की समस्या और ग्रहों का शांत करने के लिए लोग पंडि‍तों से शांति यज्ञ या सुझाव लेते तो मिल जाते हैं। लेकिन हिमाचल प्रदेश के जिला कांगड़ा में एक मंदिर ऐसा भी है

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Published: Tue, 28 Jun 2022 06:21 AM (IST)Updated: Tue, 28 Jun 2022 07:41 AM (IST)
हिमाचल के इस मंदिर में होते हैं शत्रुनाशिनी यज्ञ, पांडवों ने की थी स्‍थापना, इंदिरा गांधी व राष्‍ट्रपति भी करवा चुके हैं विशेष पूजा
हिमाचल प्रदेश के जिला कांगड़ा में बनखंडी स्थित मां बगलामुखी का दरबार।

धर्मशाला, जागरण संवाददाता। Kangra Famous Temple Baglamukhi Mata, घरेलू कलह, अदालती परेशानियों, जमीन जायदात की समस्या और ग्रहों का शांत करने के लिए लोग पंडि‍तों से शांति यज्ञ या सुझाव लेते तो मिल जाते हैं। लेकिन हिमाचल प्रदेश के जिला कांगड़ा में एक मंदिर ऐसा भी है, जहां शत्रुनाशिनी और वाकसिद्धि जैसे यज्ञ होते हैं। मंदिर में होने वाले शत्रुनाशिनी यज्ञ में लाल मिर्च की आहूर्ति डाली जाती है। मंदिर का नाम है बनखंडी स्थित मां बगलामुखी का दरबार।

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हिंदू पौराणिक कथाओं में मां बगलामुखी को दस महाविद्याओं में आठवां स्थान प्राप्त है। मां की उत्पत्ति ब्रह्मा द्वारा आराधना करने की बाद हुई थी। त्रेतायुग में मां बगलामुखी को रावण की ईष्ट देवी के रूप में भी पूजा जाता था। रावण ने शत्रुओं का नाश कर विजय प्राप्त करने के लिए मां की पूजा की। लंका विजय के दौरान जब इस बात का पता भगवान श्रीराम को लगा तो उन्होंने भी मां बगलामुखी की आराधना की थी। बगलामुखी का यह मंदिर महाभारत काल का माना जाता है। इस मंदिर की स्थापना द्वापर युग में पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान एक ही रात में की थी। यहां सर्वप्रथम अर्जुन एवं भीम ने युद्ध में शक्तियां प्राप्त करने और मां बगलामुखी की कृपा पाने के लिए विशेष पूजा की थी।

पौराणिक कथाओं में मां बगलामुखी का महत्व

इस पूरी सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा का ग्रंथ जब एक राक्षस ने चुरा लिया और पाताल में छिप गया। तब उसके वध के लिए मां बगलामुखी की उत्पत्ति हुई। मां ने बगुला का रूप धारण कर उस राक्षस का वध किया और ब्रह्मा को उनका ग्रंथ लौटाया। पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान मां का मंदिर बनाया और पूजा अर्चना की। पहले रावण और उसके बाद लंका पर जीत के लिए श्रीराम ने शत्रुनाशिनी मां बगला की पूजा की और विजय पाई। मां बगलामुखी को पीतांबरी भी कहा जाता है। इस कारण मां के वस्त्र, प्रसाद, मौली और आसन से लेकर हर कुछ पीला ही होता है।

कांगड़ा के राजा संसार चंद कटोच भी करते थे मां बगलामुखी की अराधना

बगलामुखी माता को उत्तर भारत में पितांबरा मां के नाम से भी बुलाया जाता है। कांगड़ा के निकट कोटला किले के द्वार पर बगलामुखी का मंदिर स्थित है। द्रोणाचार्य, रावण, मेघनाद इत्यादि सभी महायोद्धाओं द्वारा माता बगलामुखी की आराधना करके अनेक युद्ध लड़े गए। नगरकोट के महाराजा संसार चंद कटोच भी प्राय: इस मंदिर में आकर माता बगलामुखी की आराधना किया करते थे, जिनके आशीर्वाद से उन्होंने कई युद्धों में विजय पाई थी।

पीला रंग ही है मंदिर की पहचान

मां बगलामुखी की आराधना करते समय पीले वस्त्र पहनते हैं। मंदिर की हर चीज पीले रंग की है। यहां तक की वस्त्र, प्रसाद, मौली, मंदिर का रंग भी पीला है। इनके कई स्वरूप हैं। इस महाविद्या की उपासना रात्रि काल में करने से विशेष सिद्धि प्राप्त होती है। मां बगलामुखी भक्तों के भय को दूर करके शत्रुओं और उनकी बुरी शक्तियों का नाश करती है।

मंदिर में होते हैं शत्रुनाशिनी यज्ञ

शत्रुनाशिनी देवी मां बगलामुखी मंदिर में मुकदमों में फंसे लोग, पारिवारिक कलह व जमीनी विवाद को सुलझाने के लिए, वाकसिद्धि, वाद-विवाद में विजय, नवग्रह शांति, ऋद्धि-सिद्धि प्राप्ति और सर्व कष्टों के निवारण के लिए शत्रुनाश हवन करवाते हैं। इनकी उपासना से शत्रुओं का नाश होता है तथा भक्त का जीवन हर प्रकार की बाधा से मुक्त हो जाता है।

बड़े से बड़े राजनेता व अभिनेता पहुंचते हैं मां के दरबार

बगलामुखी मंदिर में बड़े से बड़े नेता और फिल्मी दुनिया के अभिनेता मां के दर शीश नवा चुके हैं। राजनीति में विजय प्राप्त करने के लिए इस मंदिर में प्रथम महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी पूजा कर चुकी हैं। वर्ष 1977 में चुनावों में हार के बाद पूर्व पीएम इंदिरा ने मंदिर में तांत्रिक अनुष्ठान करवाया। उसके बाद वह फिर सत्ता में आईं और 1980 में देश की प्रधानमंत्री बनीं। बतौर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, पीएम मोदी के बड़े भाई प्रह्लाद मोदी मंदिर में पूजा कर चुके हैं। नोट फार वोट मामले में फंसे सांसद अमर सिंह, सांसद जया प्रदा, मनविंदर सिंह बिट्टा, कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर, पंजाब के पूर्व सीएम चरणजीत सिंह चन्नी, भूपेंद्र हुड्डा, राज बब्बर की पत्नी नादिरा बब्बर, गोविंदा और गुरदास मान जैसी हस्तियां यहां आ चुकी हैं। यहीं नहीं मारीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जुगनाथ ने अपनी पत्नी कोबिता के साथ तांत्रिक पूजा और हवन करवाया। इसी साल अभिनेत्री शिल्पा शेठ्ठी अपने पति के साथ मंदिर पहुंची थी और उन्होंने शुत्र नाशिनी यज्ञ भी यहां करवाया था।

कैसे पहुंचे बगलामुखी मंदिर

कांगड़ा शहर से बगलामुखी मंदिर की दूरी करीब 26 किलोमीटर है। अपने निजी वाहन में 40-45 मिनट में मंदिर पहुंचा जा सकता है। बस सुविधा भी यहां के लिए काफी रहती है। वहीं जिला ऊना से मंदिर की दूरी 80 किलोमीटर की है। इसके अलावा अगर आप हवाई मार्ग से आना चाहते हैं तो गगल कांगड़ा तक चंडीगढ़ या दिल्ली से फ्लाइट लेकर आ सकते हैं। गगल से करीब 35 किलोमीटर सड़क मार्ग से जाना होगा। वहीं रेल मार्ग से भी पठानकोट से कांगड़ा या रानीताल तक ट्रेन मिलेगी। उसके बाद निजी वाहन या बस से जाना पड़ता है।


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