हिमाचल: सतलुज घाटी में ग्लेशियर पिघलने से बनी 1632 झीलें, पानी की मात्रा में भारी वृद्धि, इन राज्यों के लिए खतरा
Himachal Pradesh Glacier Melting News हिमालयीय क्षेत्र में स्थित सतलुज घाटी में ग्लेशियरों के पिघलने से बनी झीलों की संख्या बढ़ गई है। मानसरोवर से नाथ ...और पढ़ें

शिमला, यादवेन्द्र शर्मा। Himachal Pradesh Glacier Melting News, हिमालयीय क्षेत्र में स्थित सतलुज घाटी में ग्लेशियरों के पिघलने से बनी झीलों की संख्या बढ़ गई है। मानसरोवर से नाथपा झाकड़ी तक 1632 झीलों का पता चला है, लेकिन इनमें से 17 झीलें खतरनाक हैं। ये सतलुज के पानी को बढ़ाकर बड़ा नुकसान पहुंचा सकती है। इनमें से आठ झीलें चीन के कब्जे वाले तिब्बत क्षेत्र में हैं। इनका क्षेत्रफल पांच हेक्टेयर तक है। देश व प्रदेश के विज्ञानी हिमालयी क्षेत्र की चार घाटियों चिनाब, ब्यास, रावी व सतलुज में ग्लेशियरों के पिघलने से बनी झीलों की निगरानी कर रहे हैं।
विज्ञानियों की ओर से इन झीलों पर पांच वर्ष से अध्ययन किया जा रहा है। इसमें यह बात सामने आई कि हिमाचल में सतलुज नदी में ग्लेशियरों के पिघलने से पानी की मात्रा में चार से पांच प्रतिशत तक वृद्धि हुई है। आने वाले वर्षों में और अधिक इजाफा होने की संभावना है। ये झीलें हिमाचल प्रदेश सहित पंजाब, हरियाणा, जम्मू कश्मीर सहित अन्य राज्यों के लिए भी खतरा बन सकती हैं।
बढ़ते तापमान के कारण ग्लेशियरों के पिघलने से बन रही बड़ी झीलों व अन्य परिवर्तन पर सेंटर फार क्लाइमेट चेंज हिमाचल प्रदेश पर्यावरण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद द्वारा नजर रखी जा रही है। सेटेलाइट के माध्यम से किए सर्वेक्षण के तहत 2019-2020 में सतलुज घाटी में 1359 झीलें थी, जिनकी संख्या 2021-2022 में 1632 हो गई हैं। 213 झीलें ज्यादा बनी हैं।
सतलुज घाटी में झीलें
- क्षेत्रफल, 2020, 2021, अंतर
- 5 हेक्टेयर से कम, 1312, 1577, 205
- 5-10 हेक्टेयर, 32, 34, 02
- 10 हेक्टेयर से अधिक, 15, 21, 06
- कुल, 1359, 1632, 213
पारछू ने मचाई थी तबाही
2005 में भूस्खलन से पारछू झील में टूट गई थी। इससे सतलुज का जलस्तर बढ़ गया और भारी जान और माल का नुकसान हुआ। इसने बहुत तबाही मचाई। हिमाचल प्रदेश के किन्नौर से बिलासपुर तक बहुत नुकसान हुआ था। तेज पानी में कई घर बह गए थे।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
- अतिरिक्त मुख्य सचिव पर्यावरण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग प्रबोध सक्सेना का कहना है प्रदेश की चार नदी घाटियों में ग्लेशियरों के पिघलने से बन रही झीलों की लगातार निगरानी की जा रही है। सेटेलाइट के माध्यम से इसकी निगरानी कर डाटा का विश्लेषण किया जा रहा है। जिससे खतरा होने पर समय पर कदम उठाया जा सके।
- हिमाचल प्रदेश पर्यावरण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के प्रधान विज्ञानी एसएस रंधावा का कहना है सतलुज घाटी का अध्ययन किया गया है। झीलों की संख्या बढ़ी है। इनमें 17 झीलें ऐसी हैं जो सतलुज नदी के साथ-साथ हैं। इनके टूटने से बहुत नुकसान हो सकता है। इनकी निगरानी की जा रही है। किसी भी तरह के संकट पर आपदा नियंत्रण कक्षों के माध्यम से लोगों को जानकारी दी जाती है।

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