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    Himachal Election History: जिसकी सरकार, उसी के विधायक चुनते थे जनजातीय क्षेत्र के मतदाता

    By Jagran NewsEdited By: Virender Kumar
    Updated: Wed, 26 Oct 2022 08:00 AM (IST)

    Himachal Pradesh Assembly Election 2022 हिमाचल में पहले जनजातीय क्षेत्र के लोग प्रदेश के साथ सरकार नहीं चुन पाते थे। हिमपात के कारण 65 सीट पर पहले और तीन जनजातीय क्षेत्र की सीट पर गर्मियों में विधानसभा चुनाव होते थे।

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    Himachal Election History: जिसकी सरकार, उसी के विधायक चुनते थे जनजातीय क्षेत्र के मतदाता।

    शिमला, प्रकाश भारद्वाज। Himachal Pradesh Assembly Election 2022, हिमाचल में पहले जनजातीय क्षेत्र के लोग प्रदेश के साथ सरकार नहीं चुन पाते थे। हिमपात के कारण 65 सीट पर पहले और तीन जनजातीय क्षेत्र की सीट पर गर्मियों में विधानसभा चुनाव होते थे। 25 वर्ष में दो मौके ऐसे आए जब लाहुल स्पीति, किन्नौर व भरमौर में विधानसभा चुनाव मई या जून में हुए। ऐसे में इन तीन विधानसभा क्षेत्रों के लोगों को प्रदेश में सत्तासीन सरकार के साथ ही चलना पड़ता था। यानी जिस दल की प्रदेश में सरकार बनी होती थी, उसी दल का यहां विधायक चुना जाता था।

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    वर्ष 2007 से सभी 68 सीट पर चुनाव एक साथ हो रहा है। उसके बाद विपक्ष के विधायक भी इन क्षेत्रों से जीत रहे हैं। इस बार किन्नौर के विधायक जगत सिंह नेगी कांग्रेस, लाहुल-स्पीति से डा. रामलाल मार्कंडेय भाजपा और भरमौर से जिया लाल भाजपा के विधायक हैं। जनजातीय क्षेत्रों के लोग मानते हैं कि अलग-अलग चुनाव होने से लोकतंत्र के मायने नहीं रह जाते थे। जो दल सरकार बनाता था, उसे देखते हुए ही सरकार के साथ चलने की मजबूरी रहती थी।

    उच्च न्यायालय में याचिका

    जनजातीय क्षेत्रों की तीनों सीट पर एक साथ चुनाव करवाने के लिए उच्च न्यायालय में याचिका दायर हुई थी। इससे पहले उच्च न्यायालय से कोई निर्णय आता, केंद्रीय चुनाव आयोग ने एक साथ विधानसभा चुनाव घोषित कर दिए।

    क्षेत्रीय परिषद या विधानसभा कब से कब तक

    सी श्रेणी राज्य विधानसभा, मार्च 1952 से 31 अक्टूबर 1956

    पहली क्षेत्रीय परिषद,मई-जून 1957 से 2 अगस्त 1962

    दूसरी श्रेत्रीय परिषद,3 अगस्त 1962 से 30 जून 1963

    पहली विधानसभा,1 जुलाई 1963 से 12 जनवरी 1967

    दूसरी विधानसभा,1 मार्च 1967 15 मार्च 1972

    तीसरी विधानसभा,18 मार्च 1972 से 30 अप्रैल 1977

    चौथी विधानसभा,22 जून 1977 से 19 अप्रैल 1982

    पांचवीं विधानसभा,24 मई 1982 से 23 जनवरी 1985

    छठी विधानसभा,8 मार्च 1985 से 3 मार्च 1990

    7वीं विधानसभा,3 मार्च 1990 से 15 दिसंबर 1992

    8वीं विधानसभा,3 दिसंबर 1993 से 24 दिसंबर 1997

    9वीं विधानसभा,9 मार्च 1998 से 29 जनवरी 2003

    10वीं विधानसभा,4 मार्च 2003 से 28 दिसंबर 2007

    11वीं विधानसभा,29 दिसंबर 2007 से 21 दिसंबर 2012

    12वीं विधानसभा,22 दिसंबर 2012 से 25 दिसंबर

    13वीं विधानसभा,25 दिसंबर अभी जारी

    • प्रदेश में एक साथ चुनाव नहीं होने की स्थिति में लाहुल-स्पीति में पूरा सरकारी तंत्र काम करने उतरता था। मतदाताओं की मतदान को लेकर स्वतंत्र भागीदारी दब जाती थी। अब अटल रोहतांग सुरंग बनने से जनजातीय क्षेत्र एक दिन से अधिक समय तक बंद नहीं रहते हैं।

    -रवि ठाकुर, पूर्व विधायक।

    • जब भी तीनों जनजातीय क्षेत्रों में विधानसभा चुनाव बाद में हुए तो सरकार के साथ चलने का एकमात्र विकल्प रहता था। चुनाव लोकतंत्र की मूल आत्मा है और प्रत्येक व्यक्ति को पसंद का विधायक चुनने का अधिकार मिलना चाहिए। अलग से चुनाव होने पर दबाव का सामना करना पड़ता था।

    - रघुबीर सिंह, पूर्व विधायक।