Himachal News: घर के नुकसान का क्लेम नहीं देने पर उपभोक्ता को मिला इंसाफ, SBI जनरल इंश्योरेंस को देने होंगे 18 लाख रुपये
एसबीआई जनरल इंश्योरेंस को घर की रिटेनिंग वॉल के नुकसान का क्लेम नहीं देने पर उपभोक्ता को 1823145 रुपये देने के आदेश दिए गए हैं। आयोग ने कंपनी को 6% ब्याज सहित मुआवजा और न्यायालयी शुल्क भी देने का निर्देश दिया है। उपभोक्ता ने घर का 98 लाख रुपये का बीमा करवाया था लेकिन कंपनी ने क्लेम देने से इनकार कर दिया था।

जागरण संवाददाता, धर्मशाला। घर का बीमा होने के साथ ही बारिश के दौरान परिसर की रिटेनिंग दीवार क्षतिग्रस्त होने के बाद क्लेम राशि न देने पर एसबीआई जनरल इंश्योरेंश कंपनी को 6 प्रतिशत ब्याज सहित उपभोक्ता को 18,23,145 रुपए देने के आदेश दिए गए हैं।
कंपनी को मुआवजे के तौर पर 50 हजार रुपए व न्यायालयी शुल्क 10 हजार रुपए भी उपभोक्ता को देने होंगे। जिला उपभोक्ता आयोग धर्मशाला के अध्यक्ष हेमांशु मिश्रा, सदस्य आरती सूद व नारायण ठाकुर की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया है।
98 लाख रुपए का करवाया था डांसर
आयोग के समक्ष दीपिका थापा पत्नी ब्रिगेडियर संदीप सिंह रावत निवासी मोहाल कस्बा नरवाणा तहसील धर्मशाला ने शिकायत दर्ज करवाई थी। उन्होंने शिकायत में कहा था कि उन्होंने घर का 98 लाख रुपए का बीमा करवाया था जो 16 फरवरी 2021 से 15 फरवरी 2031 तक वैध था।
इस दौरान 15 अगस्त 2022 को क्षेत्र में भारी बारिश हुई और उनकी रिटेनिंग वाल बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई। इसके बाद उन्होंने इसकी सूचना 9 सितंबर 2022 को ई-मेल और 10 सितंबर 2022 को लिखित रूप में बीमा कंपनी को दी।
मरम्मत की लागत 58.87 लाख रुपए
उन्होंने बताया था कि पति के आधिकारिक काम के चलते बाहर जाने के कारण कंपनी को सूचना देने में देरी हुई। वहीं, शिकायतकर्ता ने जब स्वयं एक निजी इंजीनियर से नुकसान का सर्वे करवाया, तो इंजीनियर की रिपोर्ट के अनुसार क्षतिग्रस्त रिटेनिंग दीवार की मरम्मत की अंतिम अनुमानित लागत 58.87 लाख रुपए आई।
इसके बाद इंश्योरेंश कंपनी की ओर से भी उन्हें 6,35,729 रुपए देने की बात कही गई, जिसे शिकायकर्ता ने लेने से इंकार कर दिया तो बीमा कंपनी ने इस राशि को बढ़ा कर 9,90,000 रुपए कर दिया और उन पर इसे लेने का दवाब बनाया जाने लगा।
इसी बीच शिकायतकर्ता ने रिटेनिंग वाल की मरम्मत करवा ली, जिस पर 42,00,759 रुपए खर्च आया। इसमें से 39.13 प्रतिशत वह हिस्सा भी थो, जोकि बीमाकृत नहीं था। वहीं कुछ समय बाद इंश्योरेंस कंपनी ने एकतरफा कार्रवाई करते हुए शिकायतकर्ता को 6,35,729 रुपए दे दिए।
इंश्योरेंश कंपनी की इस कार्यप्रणाली और सेवाओं में कमी के चलते उपभोक्ता ने आयोग के समक्ष मामले को लेकर शिकायत दर्ज करवाई। आयोग ने सभी तथ्यों को जांचने के बाद उपभोक्ता पक्ष में उक्त फैसला सुनाया है।
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