Himachal Election: 2017 में इन दो मुद्दों ने 21 सीटों पर समेट दी थी कांग्रेस, इस बार क्या है चुनावी एजेंडा
Himachal Election 2022 हिमाचल प्रदेश में 2017 के चुनाव की बात करें तो कोटखाई सहित दो मुद्दे खूब चर्चा में रहे थे। यूं कहें तो इन मुद्दों ने कांग्रेस को सत्ता से बाहर कर दिया। इस बार जनता से जुड़े मुद्दे ही चर्चा में हैं।

मंडी, हंसराज सैनी। Himachal Election 2022, हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज गया है। 2017 के चुनाव की बात करें तो कोटखाई सहित दो मुद्दे खूब चर्चा में रहे थे। यूं कहें तो इन मुद्दों ने कांग्रेस को सत्ता से बाहर कर दिया। मंडी जिले के सराज हलके के वनरक्षक होशियार सिंह की हत्या व शिमला जिले के कोटखाई की एक स्कूली छात्रा के साथ हुए दुष्कर्म मामले से उपजी विरोध की लहर ने 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को प्रदेश की सत्ता से बेदखल कर दिया था। करसोग वन मंडल की सेरी कटांडा बीट में कार्यरत होशियार सिंह की वन माफिया ने जून में हत्या कर दी थी। उसका शव देवदार के पेड़ से लटका मिला था। कोटखाई की छात्रा से दुष्कर्म कर उसका शव जंगल में फेंक दिया था।
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दो मामलों से प्रदेशभर में दिखा था उबाल
दोनों मामलों को भाजपा ने चुनावी मुद्दा बनाया था। जनता में भी दोनों मामलों को लेकर प्रदेशभर में उबाल देखने को मिला था। वीरभद्र सिंह ने अपने पांच साल के कार्यकाल में विकास कार्यों में कोई कमी नहीं छोड़ी थी। हर विधानसभा क्षेत्र में विकास की झड़ी लगा दी थी, लेकिन दोनों मामलों में पुलिस की ओर से हुई कार्रवाई से सरकार की जमकर फजीहत हुई थी।
21 सीटों पर सिमट गई थी कांग्रेस
प्रदेश की जनता ने कांग्रेस को 21 सीटों पर समेट दिया था। भाजपा 44 सीटों पर बाजी मार गई थी। जोगेंद्रनगर व देहरा विधानसभा की सीट पर निर्दलीय विजयी हुई थे। बाद में दोनों ने भाजपा को समर्थन दिया था। शिमला जिले के ठियोग हलके में कामरेड राकेश सिंघा विजयी हुए थे।
भाजपा का मुख्यमंत्री चेहरा हार गया था चुनाव
2017 के विधानसभा चुनाव में पहले तो भाजपा ने किसी को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं किया था। बाद में दबाव में आकर मतदान से कुछ दिन पूर्व मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित कर दिया था। उन्होंने हमीरपुर जिले केे सुजानपुर हलके से चुनाव लड़ा था। वह अपने ही चेले कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार राजेंद्र राणा के हाथों गच्चा खा गए थे। कई दिनों की जद्दोजहद के बाद भाजपा हाईकमान ने जयराम ठाकुर को विधायक दल का नेता घोषित कर 10 दिनों तक चलती रही रस्साकशी पर विराम लगाया था। भाजपा को सबसे अधिक 14 सीटें मंडी संसदीय क्षेत्र में मिली थी।
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रिवाज बदलने के लिए पसीना बहा रही भाजपा
प्रदेश के इतिहास में आज तक कोई भी दल अपनी सरकार रिपीट नहीं कर पाया है। यहां पांच साल बाद सत्ता परिवर्तन की परंपरा रही है। भाजपा इस रिवाज यानी परंपरा को तोड़ने के लिए पसीना बहा रही है। पार्टी के प्रदेश व केंद्रीय नेतृत्व ने रिवाज बदलने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पांच जिलों का दौरा कर रैलियां कर चुके हैं। कांगड़ा व हमीरपुर जिला में 16 अक्टूबर को रैली प्रस्तावित है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर 68 हलकों में कार्यक्रम कर चुके हैं। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा चारों संसदीय क्षेत्रों के कार्यकर्ताओं में जोश भर चुके हैं।
महंगाई, बेरोजगारी, ओपीएस की बहाली को भुनाने में लगी कांग्रेस
कांग्रेस पार्टी भले ही गुटबाजी से जूझ रही है, लेकिन दस माह पहले चार उपचुनाव में मिली जीत की ऊर्जा कार्यकर्ताओं में अभी भी बरकरार है। कांग्रेस महंगाई, बेरोजगारी व पुरानी पेंशन योजना की बहाली को भुनाने में लगी हुई है। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस इन तीनों मुद्दों को भाजपा के विरुद्ध हथियार बना रही है।
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