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    हिमाचल: द्रंग के पहाड़ों से निकलने वाला यह चट्टानी नमक है खास, खूबियां जान हो जाएंगे हैरान, जल्‍द होगा उपलब्‍ध

    By Rajesh Kumar SharmaEdited By:
    Updated: Thu, 26 Aug 2021 07:35 PM (IST)

    Rock Salt Mines देश की जनता जल्द मंडी के द्रंग के चट्टानी नमक का स्वाद चखेगी। हिंदुस्तान साल्टस लिमिटेड ने द्रंग गुम्मा व मैगल में तीन रिफाइनरी स्थापित करने की कवायद शुरू कर दी है। प्रथम चरण में साल के अंत तक द्रंग व मैगल में दो रिफाइनरी स्थापित होगी।

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    देश की जनता जल्द मंडी जिले के द्रंग के चट्टानी नमक का स्वाद चखेगी।

    मंडी, हंसराज सैनी। Mandi HP Rock Salt Mines, देश की जनता जल्द मंडी जिले के द्रंग के चट्टानी नमक का स्वाद चखेगी। हिंदुस्तान साल्टस लिमिटेड (एचएसएल) ने द्रंग, गुम्मा व मैगल में तीन रिफाइनरी स्थापित करने की कवायद शुरू कर दी है। प्रथम चरण में साल के अंत तक द्रंग व मैगल में दो रिफाइनरी स्थापित होगी। सौर व वैक्यूम वाष्पीकरण विधि से खाने योग्य नमक तैयार होगा। द्वितीय चरण में गुम्मा में रिफाइनरी लगेगी। एचएसएल की इस पहल से मंडी संसदीय क्षेत्र के सदस्य रहे स्वर्गीय रामस्वरूप शर्मा का सपना साकार होने की उम्मीद बंध गई है।

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    116 मिलियन मीट्रिक टन नमक का भंडार

    गुम्मा व द्रंग के पहाड़ों में 116 मिलियन मीट्रिक टन नमक का भंडार मौजूद है। रिफाइनरी या नमक आधारित संयंत्र के अभाव में इसका अब तक दोहन नहीं हो पाया है। एचएसएल को रिफाइनरी स्थापित करने व नमक का उत्पादन करने में केंद्रीय खनन एवं ईंधन अनुसंधान संस्थान सहयोग करेगा।

    केंद्र से लीज पर मिली है 133 एकड़ भूमि

    केंद्र सरकार ने एचएसएल को द्रंग व गुम्मा में 133 एकड़ भूमि लीज पर दे रखी है। 2011 तक एचएसएल यहां द्रंग की खदान से निकले वाले पानी से मैगल में सौर वाष्पीकरण विधि से नमक तैयार करता था। यह नमक क्रिस्टलयुक्त होता था। इसके अलावा चट्टान के रूप में निकलने वाला नमक मवेशियों को खिलाने के काम आता था।

    मैग्नीशियम, कैल्शियम व पोटाशियम से भरपूर

    चट्टानी नमक में प्रचूर मात्रा में मैग्नीशियम, कैल्शियम, पोटाशियम पाया जाता है। पोटाशियम मवेशियों में पाचन क्रिया को बढ़ाता है। चट्टानी नमक अमूमन सर्दियों के दौरान मवेशियों को खिलाया जाता था। सर्दियों में मवेशियों को सूखा चारा मिलता है। नमक मवेशी की पाचन क्रिया को बढ़ा सूखे चारे के पाचन में मदद करता है।

    रायल्टी विवाद व आधुनिक संयंत्र का अभाव बना घाटे का सौदा

    1980 के बाद देश में नमक के कारोबार में कई बड़ी निजी कंपिनयां उतरी। लोगों को पैकेट बंद आयोडीन नमक उपलब्ध होने लगा। आधुनिक संयंत्र के अभाव में एचएसएल का खुला क्रिस्टलयुक्त नमक मार्केट में ज्यादा देर टिक नहीं पाया। उत्पादन लागत अधिक व आय कम होने पर मैगल में सौर वाष्पीकरण से बनने वाले नमक का उत्पादन एचएचएल ने बंद कर दिया। 2011 में एचएसएल व हिमाचल सरकार में रायल्टी को लेकर ठन गई। सरकार ने लीज पर दी जमीन उद्योग विभाग के नाम कर दी। उद्योग विभाग ने प्लाट बनाकर लोगों को बेचना शुरू कर दिए। एचएसएल हाईकोर्ट की शरण में गया और जमीन वापस मिली।

    यूपीए-टू में हुई थी सोल्यूशन माइन संयंत्र स्थापित करने की घोषणा

    यूपीए सरकार के दूसरे कार्यकाल में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले द्रंग में 300 करोड़ की लागत से सोल्यूशन माइन पर आधारित 300 करोड़ की लागत से आधुनिक संयंत्र स्थापित करने की घोषणा हुई थी। शिलान्यास की तैयारी हो गई थी। इससे पहले केंद्रीय उद्योग मंत्रालय यहां संयंत्र का नींव पत्थर रखता, आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू होने से मामला खटाई में पड़ गया था।

    लोकसभा सदस्य रामस्वरूप शर्मा ने जनता से किया था वादा

    मंडी संसदीय क्षेत्र से चुनाव जीतने के बाद रामस्वरूप शर्मा ने द्रंग में नमक उद्योग स्थापित करने की घोषणा की थी। अक्टूबर 2016 में भूमि पूजन कर पांच साल से बंद खदान से दोबारा नमक का उत्पादन शुरू करवाया था। इससे किसानों को मवेशियों के लिए दोबारा चट्टानी नमक मिलना शुरू हुआ था, लेकिन संयंत्र कागजी औपचारिकता व बजट के अभाव में उलझा रहा। कोरोना के चलते डेढ़ साल तक मामला लटका रहा। अब केंद्र सरकार की झंडी के बाद तीन रिफाइनरी स्थापित करने का रास्ता साफ हो गया है।

    तीन रिफाइनरी होंगी स्‍थापित

    हिंदुस्तान साल्ट्स लिमिटेड द्रंग के प्रभारी अभिमन्यु का कहना है सोल्यूशन माइन संयंत्र की जगह अब द्रंग, गुम्मा व मैगल में तीन रिफाइनरी स्थापित की जाएंगी। इसकी कवायद शुरू हो गई है। सौर वाष्पीकरण व वैक्यूम विधि से खाने योग्य नमक का उत्पादन होगा।

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