Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    राजस्व और भरण पोषण से संबंधित मामलों की भी सुनवाई कर सकती है ग्राम पंचायत

    By Richa RanaEdited By:
    Updated: Fri, 01 Jan 2021 08:16 AM (IST)

    हिमाचल प्रदेश पंचायती राज एक्ट में ग्राम पंचायतों को राजस्व से संबंधित मामले सुनने का भी अधिकार प्राप्त है लेकिन राजस्व संबंधी मामलों में ग्राम पंचायतों को सीमित शक्तियां प्रदान की गई हैं। माल संबंधी कार्यवाही सीधी पंचायत में दायर नहीं होगी।

    Hero Image
    पंचायती राज एक्ट में ग्राम पंचायतों को राजस्व से संबंधित मामले सुनने का भी अधिकार प्राप्त है।

    जसवां परागपुर, साहिल ठाकुर। हिमाचल प्रदेश पंचायती राज एक्ट में ग्राम पंचायतों को राजस्व से संबंधित मामले सुनने का भी अधिकार प्राप्त है, लेकिन राजस्व संबंधी मामलों में ग्राम पंचायतों को सीमित शक्तियां प्रदान की गई हैं। माल संबंधी कार्यवाही सीधी पंचायत में दायर नहीं होगी। मामला संबंधित राजस्व न्यायालय में दायर होगा तथा न्यायालय उसे संबंधित ग्राम पंचायत को सुनवाई के लिए भेज सकता है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मामला उस पंचायत को दिया जाएगा जिसके क्षेत्राधिकार में वह जमीन है। यदि वह भूमि दो पंचायत क्षेत्रों में स्थित हो तो जिस पंचायत क्षेत्र में उस भूमि का अधिक भाग पड़ता हो उस पंचायत को उस कार्यवाही को भेजा जाएगा। हिमाचल प्रदेश भू-राजस्व अधिनियम, 1954 की धारा 46 के अंतर्गत संबंधित राजस्व न्यायालय सभी प्राप्त प्रार्थना पत्रों को ग्राम पंचायत को हस्तांतरित करेगा। यदि अदालत माल किसी प्रार्थना पत्र को पंचायत को न भेजना चाहे तो वह कारण स्पष्ट करते हुए उप मंडलाधिकारी (नागरिक) को आदेश के लिए प्रेषित करेंगे।

    एसडीएम यह निर्णय करेगा कि यह प्रार्थना पत्र पंचायत को भेजा जाए या नहीं। ग्राम पंचायत द्वारा धारा 46 की कार्यवाही के संबंध में तथ्यों की जानकारी के लिए वही प्रक्रिया अपनाई जाएगी जो वाद या अभियोग के निपटारे के लिए निर्धारित की गई है।

    भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 125 से 128 तक पत्नी, बच्चों व माता-पिता से भरण-पोषण संबंधी सामाजिक समस्या के निवारण के लिए कानून का प्रावधान किया गया है तथा हिमाचल प्रदेश पंचायती राज अधिनियम की धारा 32(2) के अनुसार पंचायतों को भरण पोषण से संबंधित मामलों की सुनवाई का अधिकार है। इस धारा के तहत पंचायत को 500 रुपये मासिक तक भरण-पोषण खर्चा दिलाने का अधिकार है।