हिमाचल में अभी नियमित नहीं होंगे सरकारी भूमि पर किए कब्जे, सरकार की कैबिनेट उपसमिति ने की बैठक
Encroachment on Govt Land राज्य में सरकारी भूमि पर अतिक्रमण के मामलों को नियमित करने के उद्देश्य से गठित कैबिनेट उप समिति की बैठक बेनतीजा रही। अवैध कब ...और पढ़ें

शिमला, राज्य ब्यूरो। Encroachment on Govt Land, राज्य में सरकारी भूमि पर अतिक्रमण के मामलों को नियमित करने के उद्देश्य से गठित कैबिनेट उप समिति की बैठक बेनतीजा रही। अवैध कब्जों को नियमित करने का मामला न्यायालय में लंबित होने की वजह से उप समिति की बैठक में कोई निर्णय नहीं हो सका। सचिवालय में विधि मंत्री सुरेश भारद्वाज की अध्यक्षता में हुई उप समिति की बैठक में व्यस्तताओं की वजह से राजस्व मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर उपस्थित नहीं हो सके। बैठक में तकनीकी शिक्षा मंत्री डाक्टर राम लाल मारकंडा, राजस्व विभाग के प्रधान सचिव ओंकार शर्मा व अतिरिक्त सचिव केके शर्मा बैठक में उपस्थित रहे।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश में सरकारी भूमि पर अतिक्रमण का मामला सालों से लंबित है। हजारों छोटे व सीमांत किसानों ने सरकारी भूमि पर अतिक्रमण कर अपने रहने के लिए मकान बनाए हुए हैं। सैकड़ों अन्य लोगों ने भी सरकारी भूमि पर अतिक्रमण किया हुआ है। राजस्व कानून की धारा 163 के तहत राजस्व विभाग के अधिकारियों को अतिक्रमण को हटाने की शक्तियां हैं।
प्रदेश की पूर्व कांग्रेस सरकार के वक्त सरकारी भूमि पर अतिक्रमण को नियमित करने का महत्वपूर्ण फैसला लिया। वर्ष 2016 में प्रदेश उच्च न्यायालय ने एक आदेश में साफ कहा था कि अधिकारियों की नाक के तले सरकारी भूमि पर अतिक्रमण होना तंत्र की असफलता का प्रतीक है। उच्च न्यायालय की इस टिप्पणी के बाद कांग्रेस सरकार ने छोटे व सीमांत किसानों के सरकारी भूमि पर अवैध कब्जों को नियमित करने बारे नीति बनाने का फैसला लिया।
जनजातीय इलाकों में वनाधिकार कानून को दरकिनार कर हुए अतिक्रमण को भी इसमें शामिल करने की बात कही गई थी। इसके साथ साथ 5 बीघा से कम भूमि वाले किसानों के अवैध कब्जों को नियमित करने के लिए नीति बनाने को लेकर उच्चस्तरीय कमेटी का गठन हुआ था। कांग्रेस सरकार में गठित उच्चस्तरीय कमेटी की अंतिम बैठक फरवरी 2017 में हुई थी।
प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद भाजपा सरकार ने भी इस मामले के निपटारे के लिए मंत्रिमंडलीय उपसमिति का गठन किया। विधि मंत्री सुरेश भारद्वाज को उपसमिति का अध्यक्ष बनाया गया, लेकिन मामला अदालत में लंबित होने की वजह से कोई फैसला नहीं लिया गया। बैठक में मौजूद अधिकारियों का कहना है कि सरकार उच्च न्यायालय से इस मामले का जल्द निपटारा करने की गुहार लगाएगी।

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