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    Medicine Raw Material: चीन की चालाकी से दवाओं का कच्चा माल फिर हुआ महंगा, 70 फीसद तक की वृद्धि

    By Virender KumarEdited By:
    Updated: Mon, 11 Oct 2021 07:20 AM (IST)

    Medicine Raw Material Expensive पड़ोसी देश चीन की चालाकी ने भारतीय फार्मा उद्योगों को फिर मुसीबत में डाल दिया है। आपूर्ति कम होने से तीन माह के दौरान दवाओं के कच्चे माल यानी एक्टिव फार्मास्यूटिकल इनग्रेडिएंट (एपीआइ) के दाम में 20 से 70 फीसद तक की वृद्धि हो गई है।

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    चीन की चालाकी से दवाओं का कच्चा माल फिर महंगा हुआ । जागरण आर्काइव

    सोलन, भूपेंद्र ठाकुर। Medicine Raw Material Expensive, पड़ोसी देश चीन की चालाकी ने भारतीय फार्मा उद्योगों को फिर मुसीबत में डाल दिया है। आपूर्ति कम होने से तीन माह के दौरान दवाओं के कच्चे माल यानी एक्टिव फार्मास्यूटिकल इनग्रेडिएंट (एपीआइ) के दाम में 20 से 70 फीसद तक की वृद्धि हो गई है। कुछ एंटी बायोटिक तो ऐसे हैं, जो फार्मा उद्योगों को महंगे दाम पर भी नहीं मिल रहे हैं। अग्रिम भुगतान करने के बाद फार्मा उद्योगों को 20 फीसद एपीआइ की आपूर्ति हो रही है। यदि इसी प्रकार के हालात रहे तो देशभर में जीवनरक्षक दवाओं का संकट हो सकता है।

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    हिमाचल प्रदेश दवा उत्पादक संघ ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर मामला उठाया है। भारत में 90 फीसद एपीआइ की आपूर्ति चीन से होती है। कोरोना की पहली लहर के दौरान चीन ने एपीआइ की आपूर्ति पर करीब एक माह तक रोक लगाकर रखी थी, जिसके बाद दाम में 300 फीसद तक की वृद्धि हुई थी। दूसरी लहर के बाद दाम में थोड़ी कमी आई थी, लेकिन तीन माह से फिर से एपीआइ का दाम लगातार बढ़ रहा है।

    इसका सबसे अधिक असर छोटे फार्मा उद्योगों पर पड़ा है। लघु, सूक्ष्म एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) की श्रेणी में आने वाले फार्मा उद्योग संकट में आ गए हैं। इन उद्योगों के पास इतना बजट नहीं होता है कि करोड़ों रुपये का एपीआइ खरीद कर भंडारण कर लें। कुछ उद्योगों ने तो कच्चा माल न मिलने की वजह से उत्पादन तक बंद कर दिया है।

    देशभर में करीब 10500 फार्मा उद्योग हैं, जिनमें 8500 एमएसएमई की श्रेणी में आते हैं।देश में दवाओं की 60 फीसद आपूर्ति छोटे फार्मा उद्योग ही करते हैं।

    नीति बनाए सरकार : गुप्ता

    हिमाचल दवा उत्पादक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डा. राजेश गुप्ता का कहना है कि चीन के साथ इस मुद्दे पर बात की जानी चाहिए। प्रधानमंत्री से यह मांग भी की गई है कि टास्क फोर्स का गठन करे, जो एपीआइ का भंडारण करने वाले बड़े उद्योगों के खिलाफ कार्रवाई करे। इससे मार्केट में एपीआइ का संकट कम हो सकता है। उन्होंने कहा कि जब सरकार ने दवाओं का अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) तय किया है तो एपीआइ के रेट पर सरकार का नियंत्रण क्यों नहीं है। इस मामले में नीति बनानी चाहिए।

    तीन माह पहले व वर्तमान दाम (रुपये प्रतिकिलो)

    एपीआइ,पुराना दाम,नया दाम

    पैरासिटामोल,365,900

    सेफेक्सीमाइन,8500,10500

    सेफोडाक्सीन,9000,12000

    सेफालासप्रोरीन,9500,12000

    ऐजीथ्रोमाइसिन,80000,10800

    एक्सीपिएंट भी हुआ महंगा

    दवाएं बनाने में इस्तेमाल होने वाले एक्सीपिएंट के दाम में भी काफी बढ़ोतरी हुई है। इसका प्रयोग प्रत्येक दवा व सिरप बनाने में होता है। इसे सरल भाषा में दवा बनाने में सहायक कच्चा माल कहा जा सकता है। इसके दाम भी 300 फीसद तक बढ़े हैं। प्रोपलीन गाइकोल 100 से बढ़कर 450 रुपये प्रतिकिलो तक हो गया है। गत्ता, कार्टन, पैकिंग मैटिरियल का दाम 25 से 30 फीसद तक बढ़ा है।