Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    अस्‍पताल में चिकित्‍सकों को संक्रमण से बचाएगी आटोक्लेव मशीन, पढ़ें पूरा मामला

    By Rajesh SharmaEdited By:
    Updated: Mon, 05 Oct 2020 09:41 AM (IST)

    Himachal Coronavirus Update राजधानी शिमला में हर दिन कोरोना के मामले सामने आ रहे हैं। इससे खतरा अब बढ़ता जा रहा है। इसी बीच डेंटल काॅलेज में मरीजों को संक्रमण से बचाने के लिए कालेज प्रशासन ने व्यवस्था कर ली है।

    रशासन की ओर से उपकरणों को स्टरलाइज करने यानी साफ करने के लिए आटोक्लेव मशीन खरीदी गई है।

    शिमला, जेएनएन। राजधानी शिमला में हर दिन कोरोना के मामले सामने आ रहे हैं। इससे खतरा अब बढ़ता जा रहा है। इसी बीच डेंटल काॅलेज में मरीजों को संक्रमण से बचाने के लिए कालेज प्रशासन ने व्यवस्था कर ली है। प्रशासन की ओर से उपकरणों को स्टरलाइज करने यानी साफ करने के लिए आटोक्लेव मशीन खरीदी गई है। जहां थोड़े ही समय में मरीजों के दांतों के इलाज में इस्तेमाल किए गए उपकरणों को साफ किया जा सकेगा।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मौजूदा समय में अस्पताल के एंडोडांटिक्स विभाग में ही आटोक्लेव मशीन स्थापित की गई है। जबकि अन्य विभागों में उपकरणों को साफ करने के लिए बायलर मशीन इस्तेमाल की जाती है।

    हालांकि इस मशीन से भी उपकरणों को स्टरलाइज किया जाता है लेकिन उसमें उपकरण सही प्रकार से साफ नहीं हो पाते हैं। क्योंकि कुछ संक्रमण साधारण स्टरलाइजेशन तकनीक से नष्ट नहीं होते हैं, इसलिए आटोक्लेव मशीन की जरूरत पड़ती है।

    कोरोना संकट में संक्रमण बढऩे की कोई आशंका न रहे, इसलिए इसे स्थापित किया गया है। इसलिए सभी विभागों में आटोक्लेव मशीनें खरीदना प्रस्तावित है। फिलहाल ओपीडी से संबंधित विभाग में मशीन लगवाई गई है ताकि आगामी समय में रूटीन ओपीडी शुरू हुई तो मरीजों के इलाज में संक्रमण का खतरा न रहे।

    अस्पताल के प्रधानाचार्य डॉ. आशु गुप्ता का कहना है कि डेंटल कालेज में दांतों के इलाज में विभिन्न प्रकार के उपकरणों का उपयोग किया जाता है, जिन्हें स्टरलाइज करना बेहद जरूरी होता है। स्टरलाइज होने के बाद ही वे उपकरण दूसरे मरीज के इलाज में इस्तेमाल किए जाते हैं। स्टरलाइजेशन की तकनीक से स्टरलाइजेशन की प्रक्रिया आसान हो जाएगी।

    गंभीर मरीजों का हो रहा इलाज

    मौजूदा समय में कोरोना के खतरे के चलते रूटीन ओपीडी बंद है। अस्पताल में केवल गंभीर मरीजों का ही इलाज किया जा रहा है। ऐसे में दांतों की गंभीर समस्या होने पर मरीजों को पहले आइजीएमसी से कोरोना की नेगेटिव रिपोर्ट लाने को कहा जा रहा है। मरीज की नेगेटिव रिपोर्ट आने पर ही उसके मेजर प्रोसिजर किए जाते हैं। लेकिन हल्के दांत दर्द में डाक्टर मरीज का पीपीई किट पहनकर इलाज कर रहे हैं।   

    क्या है आटोक्लेव

    आटोक्लेव मशीन आम तौर पर मानक आपरेटिंग शर्तों का सेटअप है। इसमें दस से 15 मिनट के भीतर उपकरणों का स्टरलाइज किया जाता है। सूई और सीरिंज सहित अस्पताल में दांत के इलाज के लिए इस्तेमाल होने वाले सभी उपकरणों को इसमें साफ किया जा सकता है।