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    दलाई लामा को गांधी-मंडेला फाउंडेशन ने दिया शांति पुरस्‍कार, हिमाचल के राज्‍यपाल ने सम्‍मानित किए धर्मगुरु

    Peace Award to Dalai Lama तिब्‍बती धर्म गुरु दलाई लामा को शांति पुरस्‍कार दिया गया है। गांधी मंडेला फाउंडेशन की ओर से 14वें दलाई लामा को पहले पुरस्कार से नवाजा गया। हिमाचल के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने मैक्लोडगंज में दलाई लामा को सम्‍मानित किया।

    By Jagran NewsEdited By: Rajesh Kumar SharmaUpdated: Sat, 19 Nov 2022 12:39 PM (IST)
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    तिब्‍बती धर्म गुरु दलाई लामा को शांति पुरस्‍कार दिया गया।

    धर्मशाला, जागरण संवाददाता। Dalai Lama, गांधी मंडेला फाउंडेशन की ओर से 14वें दलाई लामा को पहले शांति पुरस्कार से नवाजा गया है। हिमाचल के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने मैक्लोडगंज में आयोजित समारोह में यह पुरस्कार दलाई लामा को भेंट किया गया। दलाई लामा ने इस पुरस्कार के लिए फाउंडेशन का आभार जताया और शुभकामनाएं व्यक्त की। उन्होंने विश्व में दया, एकता और अहिंसा पर जोर दिया।

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    इस तरह से हुआ था 2020 में चयन

    फाउंडेशन के महासचिव नंदन झा ने कहा, हम यहां परम पावन दलाई लामा को पहली बार गांधी-मंडेला पुरस्कार से सम्मानित कर रहे हैं। हमने भारत, नेपाल और बांग्लादेश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में दुनिया की सबसे बड़ी जूरी बनाई। पूर्व प्रधानमंत्रियों और राष्ट्रपतियों सहित दुनिया भर में 500 से अधिक नामांकन प्राप्त करने के बाद आखिरकार दलाई लामा का चयन वर्ष 2020 में हुआ और वे गांधी मंडेला पुरस्कार 2019 के विजेता हैं।

    कोविड महामारी के कारण नहीं हो पाया था कार्यक्रम

    धर्मगुरु का चयन 2020 में किया गया था। लेकिन कोविड महामारी के कारण पुरस्कार नहीं दिया जा सका। अब स्थिति सामान्‍य होने पर यह पुरस्कार हिमाचल के राज्यपाल के हाथों दलाई लामा को भेंट किया गया।

    1959 में तिब्‍बत से भारत आए थे दलाई लामा

    वर्ष 1959 में दलाई लामा ने अपना देश तिब्‍बत छोड़कर धर्मशाला में आश्रय लिया था। चीन ने तिब्‍बत पर आक्रमण कर दिया था, इसके बाद धर्म गुरु दलाईलामा और उनके साथ हजारों अनुयायी भारत आ गए थे। तब से भारत सरकार ने इन्‍हें शरण दिए हुए है।

    मैक्‍लोडगंज में चती है निर्वासित तिब्‍बत सरकार

    मौजूदा समय में मैक्लोडगंज में निर्वासित तिब्बत सरकार कार्य कर रही है। वहीं तिब्बत की स्वायतता के लिए आज भी निर्वासित तिब्बती संघषर्रत हैं। हर वर्ष 10 मार्च को तिब्बती जबकि 12 मार्च को तिब्ब्ती महिलाएं तिब्बत की स्वायतता के लिए सड़क पर उतरते हैं।