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    Dalai Lama 90th Birthday: दलाई लामा बोले, अभ्यास से मेरे चरित्र में बुद्धत्व की प्राप्ति, नौ मिनट किया संबोधन

    Dalai Lama 90th Birthday धर्मशाला के मैक्लोडगंज में दलाई लामा ने अपने 90वें जन्मदिन पर अनुयायियों को संबोधित किया। उन्होंने बुद्धचित्त और शून्यता का अभ्यास करने के महत्व पर जोर दिया। दलाई लामा ने कहा कि मानव जीवन को सार्थक बनाने के लिए वे लगातार अभ्यास करते हैं और दूसरों के हित में काम करते हैं। उन्होंने अपने अनुयायियों को भी इसी मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया

    By neeraj vyas Edited By: Rajesh Kumar Sharma Updated: Sun, 06 Jul 2025 12:44 PM (IST)
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    मैक्लोडगंज स्थित मंदिर में जन्मदिन पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान दलाई लामा व अन्य अतिथि।

    जागरण संवाददाता, धर्मशाला। Dalai Lama 90th Birthday, तिब्बती बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा रविवार छह जुलाई को 90 वर्ष के हो गए। 90वें जन्मदिन के मौके पर दलाई लामा ने देश-विदेश से पहुंचे अपने अनुयायियों को नौ मिनट तक संबोधित किया। धर्मगुरु ने कहा कि बुद्धचित व परिहित के साथ अपना जीवन जिया है। लंबे समय तक बुद्धचित व शून्यता का अभ्यास किया है। यह अभ्यास आज भी निरंतर जारी है। उन्होंने अपने अनुयायियों को संदेश बुद्ध चित व शून्यता का अभ्यास करने के लिए प्रेरित किया।

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    इस मौके पर उन्होंने कहा कि मानव शरीर प्राप्त है यह अर्थपूर्ण बन सके, इसके लिए मैं अभ्यास करता हूं। जब मैं अंतिम सांस लूंगा तो उस वक्त मुझे कोई पश्चाताप नहीं होगा। मैंने अधिकतम अभ्यास किया है, उससे मेरे चरित्र में बुद्धत्व प्राप्त हुआ है। जब मैं इस बारे में सोचता हूं कि मेरा जीवन है मैं यह नहीं दिखाता हूं कि मैं दलाई लामा बहुत बड़ा हूं, लेकिन यह विचार हमेशा रहा है कि मैं अपने में रह सकूं। भगवान बुद्ध का एक शिष्य होने के कारण लोगों का हित करना उनके दिखाए मार्ग पर चलना मेरा अभ्यास है और उस पर चल रहे हैं।

    आज हमारे मित्र, धर्ममित्र, सभी के समक्ष मैं आपसे कहना चाहता हूं कि 90 वर्ष का हो गया हूं उसके लिए आप यह कार्यक्रम कर रहे हैं और उल्लास के साथ यहां पधारे हैं, आप सभी के मन में यह प्रसन्नता है खुशी है उसको मै समझ पा रहा हूं आप सभी को धन्यवाद देना चाहूंगा।

    मानव शरीर जो मुझे प्राप्त हुआ है मनुष्य एक दूसरे से प्रेम करना यह एक स्वभावित चीज है। इस राष्ट्र धर्म और धर्म के प्रति भी बहुत सम्मान होता है। बौद्धचित में कहा गया है कि दूसरे का हित करना ही सर्व हित बात है। सभी जीवधारियों को अपने परिवार का मानकर प्रार्थना करता हूं हमेशा दूसरों का लाभ हो।

    छह बार करता हूं शून्यता का दर्शन

    शून्यता का दर्शन व बुद्धचित्र का अभ्यास दिन में करीब छह बार करता हूं। बुद्धत्व को प्राप्त करने के लिए शून्यता व बुद्धचित का अभ्यास होता है। उनकी कृपा की वजह से मैं उनको मानता हूं। रिन्पोछे की वजह से मैं भिक्षु बना और भिक्षु नियमों में रहकर उनका पालन कर रहा हूं। जिससे भी मैं मिलता हूं उससे मित्र भाव से मिलता हूं।

    लोगों का हित करना मेरा अभ्यास

    मानव शरीर प्राप्त है यह अर्थपूर्ण बन सके, इसके लिए मैं अभ्यास करता हूं। मैंने अधिकतम अभ्यास किया है, उससे मेरे चरित्र में बुद्धत्व प्राप्त हुआ है। भगवान बुद्ध का एक शिष्य होने के कारण लोगों का हित करना उनके दिखाए मार्ग पर चलना मेरा अभ्यास है और उस पर चल रहे हैं। बुद्ध चित के माध्यम से बुद्धचित व परिहित के साथ अपने जीवन को जिया है।