'येना मठ के मठाधीश को जलविद्युत विरोध पर दी गई यातनाएं', लंदन के मानवाधिकार समूह तिब्बत वॉच का चीन पर बड़ा आरोप
लंदन स्थित मानवाधिकार समूह तिब्बत वॉच ने चीन पर तिब्बती भिक्षुओं को प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है। ये आरोप येना मठ के मठाधीश गोंपो सेरिंग से जुड़े हैं, जिन्हें जलविद्युत परियोजना के विरोध के बाद हिरासत में यातनाएं दी गईं। उनकी हालत गंभीर है। कई अन्य भिक्षुओं और ग्रामीणों को भी गिरफ्तार किया गया है, जिससे तिब्बती विरासत को खतरा है।

लंदन स्थित मानवाधिकार समूह तिब्बत वॉच ने चीन पर तिब्बती भिक्षुओं को प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है (प्रतीकात्मक फोटो)
जागरण संवाददाता, धर्मशाला। लंदन स्थित मानवाधिकार समूह तिब्बत वच ने शीबा स्थित येना मठ के मठाधीश गोंपो सेरिंग की बिगड़ती हालत पर चिंता जताई है। वह सिचुआन प्रांत के चेंगदू स्थित एक अस्पताल में हैं। रिपोर्ट के अनुसार, पूर्वी तिब्बत में विवादास्पद जलविद्युत परियोजना के विरुद्ध शांतिपूर्ण प्रदर्शनों में भाग लेने के बाद 45 वर्षीय गोंपो सेरिंग को चीनी हिरासत में गंभीर यातनाएं दी गईं।
फरवरी 2024 में हिरासत में लिए गए गोंपो सेरिंग, येना और अन्य मठों के उन सैकड़ों भिक्षुओं और ग्रामीणों में शामिल थे, जिन्होंने खाम क्षेत्र के डेगे में कामटोक जलविद्युत बांध का शांतिपूर्ण विरोध किया था। सूत्रों का दावा है कि पूछताछ के दौरान भिक्षु को बेरहमी से पीटा, जिससे वह न तो बोल पा रहे हैं और न ही खा पा रहे हैं।
उन्हें गंभीर श्वसन संबंधी समस्या हो गई है। प्रदर्शनकारियों ने चीनी अधिकारियों के सामने घुटने टेककर घरों और मठों की सुरक्षा की गुहार लगाई थी, लेकिन इसके बजाय उन्हें हिंसक दमन, सामूहिक गिरफ्तारियां और जबरन हिरासत में लिया। बोलने की क्षमता खोने से पहले, गोंपो ने कथित तौर पर साथी भिक्षुओं से कहा, 'मेरी चिंता मत करो। मैंने सत्य व एक भिक्षु के सिद्धांतों के विरुद्ध कुछ भी नहीं किया है।'
दया की भीख मांगते वायरल हुआ था वीडियो
एक अन्य धर्मगुरु, मठाधीश जमयांग लेक्षय को भी शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शनों में उनकी भूमिका के लिए हिरासत में लिया गया था। उनका एक वीडियो प्रसारित हुआ, जिसमें उन्हें घुटने टेकते और दया की भीख मांगते हुए दिखाया गया था। उन्हें तब से चार साल की सकैद की जा सुनाई गई है।
मानवाधिकार समूहों का कहना है कि यह कदम असहमति की किसी भी अभिव्यक्ति के प्रति चीन की बढ़ती असहिष्णुता का उदाहरण है। गिरफ्तारियों के बाद, चीनी अधिकारियों ने येना मठ को 'केंद्रित सुधार और पुनर्शिक्षा' के तहत रखा, जिसे व्यापक रूप से राजनीतिक विचारधारा और धार्मिक नियंत्रण के लिए एक व्यंजना के रूप में देखा जाता है।
11 लाख किलोवाट बिजली उत्पादन के लिए डिजाइन किए गए कामटोक बांध से छह मठों और दो गांवों के जलमग्न होने का खतरा है, जिससे सदियों पुरानी तिब्बती विरासत मिट जाएगी। जुलाई 2024 में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार विशेषज्ञों के एक समूह ने चीन से इस परियोजना को रोकने का आग्रह किया था और अपरिवर्तनीय सांस्कृतिक और पारिस्थितिक क्षति की चेतावनी दी थी। फिर भी, चीन ने हमेशा की तरह, अंतरराष्ट्रीय अपीलों को नज़रअंदाज़ किया है।
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