कोरोना महामारी के दौर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएगा यह लाल रंग का फल, डिमांड बढ़ी तो किसान भी मालामाल, जानिए फायदे
Cherry Boost Immunity कोरोना महामारी के दौर में हर कोई अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की जुगत में है। लोग चाह रहे हैं कि वे किस तरह का खानपान दिनचर्या में शामिल करें जिससे वह स्वस्थ रहें। लोग इम्युनिटी बढ़ाने के लिए कई तरह के उपाय कर रहे हैं।
कुल्लू, दविंद्र ठाकुर। Cherry Boost Immunity, कोरोना महामारी के दौर में हर कोई अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की जुगत में है। लोग चाह रहे हैं कि वे किस तरह का खानपान दिनचर्या में शामिल करें, जिससे वह स्वस्थ रहें। लोग इम्युनिटी बढ़ाने के लिए कई तरह के उपाय कर रहे हैं। लगातार मौसम के बदलाव के कारण इम्युनिटी क्षमता को मजबूत बनाना बेहद जरूरी है। इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने के लिए हेल्दी फूड्स की जरूरत होती है। इसके लिए कुल्लू जिला की सब्जी मंडियों में चेरी पहुंच चुकी है। चेरी हमारे शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। लाल रंग का दिखने वाला फल चेरी गुणों की खान है। यह सेहत के लिए बेहद लाभकारी होता है, इसलिए हर रोज चेरी का प्रयोग करना चाहिए।
चेरी में कार्बोहाइड्रेट, विटामिन ए, बी और सी, बीटा कैरोटीन, कैल्शियम, आयरन, पोटाशियम, फॉस्फोरस जैसे तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं जो हमारे शरीर को कई रोगों से लड़ने में मदद करते हैं। इसके लिए अब कुल्लू ही नहीं अन्य राज्यों से चेरी की डिमांड बढ़ गई है। कुल्लू के पतलीकूहल, भुंतर सब्जी मंडी में सबसे अधिक चेरी पहुंच रही है।
यहां पर 100 रुपये से 125 रुपये प्रति किलो चेरी बिक रही है, जबकि बाजार में चेरी 200 रुपये प्रति किलो बिक रही है। लगातार बढ़ रहे दाम से बागवान भी खुश हैं। हिमाचल प्रदेश में चेरी का उत्पादन कुल्लू, शिमला, किन्नौर, चंबा और लाहुल-स्पीति जिलों में होता है। जो लोग दिल के रोग से पीड़ित हों वह चेरी फल को अपनी रोज की डाइट में शामिल कर स्वस्थ रह सकते हैं। चेरी वजन कम करने में सहायक होती हैं। इसके अलावा सब्जी मंडियों में प्लम और खुमानी ने भी दस्तक दे दी है।
बाजार में शिमला की चेरी की अधिक डिमांड
प्रदेश के बाजार में शिमला की चेरी की अधिक डिमांड है। इसके दाम भी 100 रुपये अधिक हैं। ऐसे में वैज्ञानिकों का कहना है कि शिमला की चेरी की गुणवत्ता अधिक है। स्थानीय लोग भी कुल्लू और शिमला की चेरी की अधिक डिमांड करते हैं।
क्या कहते हैं किसान
कुल्लू जिला के नग्गर खंड के हरीश कुमार, नरेश ठाकुर का कहना है कि हमने दो साल पहले चेरी का उत्पादन शुरू किया। पहले तो चेरी की डिमांड कम थी लेकिन कोरोना काल में पिछले वर्ष से चेरी की डिमांड अधिक बढ़ गई है। अब इसकी डिमांड पूरी नहीं हो रही है। हरीश ने बताया उन्हें दिल्ली और पंजाब से फोन कॉल आए कि उनके लिए लोकल चेरी रखना और जैसे ही लॉकडाउन खुल जाएगा, वह लेने आएंगे।
ये होती हैं किस्में
फ्रोगमोर अर्ली, ब्लैक हार्ट, अर्ली राईवरर्स, एल्टन किस्में जल्द तैयार हाेती हैं जबकि बेडफोर्ड प्रोलोफिक, वाटरलू चेरी मध्यम समय में तैयार होती है। कुल्लू की घाटियों में इसे 1500 मीटर की ऊंचाई पर भी सफलतापूर्वक पैदा किया जा सकता है।
कोरोना काल में ज्यादा डिमांड
कुल्लू लाहुल एपीएमसी के सचिव सुशील गुलेरिया का कहना है कुल्लू की सब्जी मंडियों में चेरी पहुचना आरंभ हो गई है। इसकी डिमांड भी अधिक आ रही है। मंडियों में 125 रुपये से अधिक पहुंच गई है। कोरोना काल में इसकी अधिक डिमांड आती है।
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