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    दियोटसिद्ध व शाहतलाई में बाबा बालक नाथ के चैत्र मास मेले शुरू

    By Rajesh SharmaEdited By:
    Updated: Thu, 14 Mar 2019 04:38 PM (IST)

    chaitra month fair Baba Balak Nath temple बाबा बालक नाथ की तपोस्थली शाहतलाई में झंडा रस्म के साथ ही चैत्र मास के मेलों का शुभारंभ हो गया।

    दियोटसिद्ध व शाहतलाई में बाबा बालक नाथ के चैत्र मास मेले शुरू

    कांगड़ा, जेएनएन। विश्व सिद्धपीठ बाबा बालक नाथ मंदिर दियोटसिद्ध व शाहतलाई में चैत्र मास मेले शुरू हो गए हैं। दियोटसिद में मंदिर आयुक्त एवं उपायुक्त हमीरपुर ऋचा वर्मा झंडा चढ़ाने की रस्म के साथ चैत्र मास मेलों का शुभारंभ किया। रात-दिन निरंतर चलने वाले इस त्रैमासिक मेले में 30 लाख से ज्यादा श्रद्धालु बाबा की पिंडी के दर्शन करके अपनी मनोकामना मांगते हैं।

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    वहीं, बाबा बालक नाथ की तपोस्थली शाहतलाई में झंडा रस्म के साथ ही चैत्र मास के मेलों का शुभारंभ हो गया। यह मेले एक माह तक चलते हैं। झंडा चढ़ाने की रस्म डीसी बिलासपुर विवेक भाटिया ने अदा की। इस मौके पर डीसी बिलासपुर विवेक भाटिया ने तपोस्थली शाहतलाई में धूनामंदिर में पूजा अर्चना एवं हवन किया। बाबा बालक नाथ की तपोस्थली मे चैत्र मास मेला शुरू होने से शाहतलाई में एक महीने तक खूब रौनक लगी रहेगी। श्रद्धालु अपनी-अपनी जत्था संगत के साथ गाते-बजाते बाबा बालक नाथ जी का गुणगान करते हुए गुफा तक गए। डीसी विवेक भाटिया ने कहा यह मेला ऐतिहासिक है तथा इसमें श्रद्धालु दूर दूर से आते हैं। यह बिलासपुर जिला के लिए गौरव की बात है कि बिलासपुर की भूमि में बाबा बालक नाथ का जन्म हुआ है।

    13 अप्रैल तक झंडूता में लागू रहेगी धारा 144

    शाहतलाई में चैत्र मास के मेले के चलते झंडूता उपमंडल में धारा 144 लागू रहेगी। डीसी बिलासपुर विवेक भाटिया ने धारा 144 सीआरपीसी 1973 के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए यह आदेश जारी किए हैं। शाहतलाई में शांति बनाए रखने एवं मानव सुरक्षा के हित में कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने के लिए हथियार लाने-ले जाने पर पांबदी लगाई गई है।

    दियोटसिद की क्‍या है मान्‍यता

    बाबा बालक नाथ मंदिर दियोटसिद में चैत्र मास के मेले की शुरुआत कब और कैसे हुई इस बारे कोई वैद्धिक प्रमाण नहीं मिलता है, लेकिन किवंदतियों के मुताबिक कुछ लोगों ने इस पुण्य संक्रांति को बालयोगी बाबा बालक नाथ का जन्म दिन बताया है, तो कुछ लोगों के अनुसार माता रतनों के साथ 12 वर्ष का समय बिताने के बाद सिद्धयोगी बाबा बालक नाथ धौलगिरी पर्वत के उच्च शिक्षा में प्रविष्ट होकर दियोट नामक राक्षस की गुफा में प्रकट होना बताया।

    अत: बाबा के प्रकटोदिवस के रूप में मानने वाले इसी दिन को मेले की शुरुआत मानते हैं। चैत्र माह के मेले का विशेष महत्व है, माना जाता है कि इन मेलों में अगर सच्चे मन से श्रद्धापूर्वक बाबा बालक नाथ की पूजा अर्चना व हवन डाला जाए तो सिद्ध बालयोगी साक्षात दर्शन देते हैं। कहते हैं सिद्ध बाबा बालक नाथ कलियुग में साक्षात भगवान शिव शंकर का बाल रूप हैं, क्योंकि माता पार्वती जी ने बाबा बालक नाथ को बाल रूप में रहने का वरदान दिया था व भगवान शंकर के दर्शन करवाए थे। भगवान शिव शंकर जी ने बाबा जी को वरदान दिया था कि आप कलियुग में विभिन्न कष्टों से पीडि़त लोगों को कष्टों से मुक्ति प्रदान करोगे व बाबा बालक नाथ जी के नाम से जाने जाओगे।