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    न बार-बार ब्लड सैंपल की जरूरत और न ही रिपोर्ट के लिए घंटों का इंतजार, डॉ. बाल चंद्र ने किया BAS का आविष्कार

    Updated: Sun, 14 Sep 2025 05:30 AM (IST)

    कांगड़ा में डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज के डॉ. बाल चंद्र ने एक ब्लड एनालिसिस सिस्टम (बीएएस) का आविष्कार किया है। यह उपकरण आईसीयू में भर्ती गंभीर रोगियों के लिए पल-पल की जानकारी देगा जिससे तत्काल उपचार में मदद मिलेगी। बीएएस बिना खून निकाले रक्त में मौजूद तत्वों को नियंत्रित कर सकता है। इस आविष्कार को अमेरिका और भारत में पेटेंट मिला है।

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    डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल। (फोटो जागरण)

    जागरण संवाददाता, कांगड़ा। उपचार के दौरान गंभीर रोगी का न तो बार-बार ब्लड सैंपल लेने की जरूरत होगी और न ही रिपोर्ट के लिए डेढ़ से दो घंटे इंतजार करना पड़ेगा।

    ब्लड एनालिसिस सिस्टम (बीएएस) सघन चिकित्सा वार्ड (आइसीयू) में उपचाराधीन गंभीर रोगी की पल-पल की जानकारी देगा। इससे रोगी के तत्काल उपचार में मदद मिलेगी।

    डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल, कांगड़ा के पैथोलाजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. बाल चंद्र ने इस उपकरण आविष्कार किया है। डॉ. बाल चंद्र को इसे बनाने की प्रेरणा उनके शिक्षक और एक स्कूली मित्र की असमय मौत होने से मिली।

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    इस उपकरण का अमेरिका और भारत में पेटेंट भी हो गया है। अमेरिकी पेटेंट कार्यालय के कार्यवाहक निदेशक कोक मार्गन स्टीवर्ट की ओर से प्रमाणपत्र में लिखा है कि यह नया व उपयोगी आविष्कार है।

    यूरोपीय पेटेंट कार्यालय ने भी इस उपकरण के विभिन्न घटकों, कार्य-प्रक्रियाओं और मौलिकता की पुष्टि की है। डॉ. बाल चंद्र के मुताबिक ब्लड एनालिसिस सिस्टम रोगी का एक भी बूंद खून निकाले बिना उपचार में मदद करेगा। यह उपकरण डायलिसिस से अलग है।

    रक्त में मौजूद तत्वों को नियंत्रित तरीके से हटाने और सुधारने में सक्षम है। यह शरीर में मौजूद तत्वों के स्तर को बिना दवाओं के एकसाथ नियंत्रित करने की क्षमता भी रखता है। मूल रूप से शिमला के रहने वाले डॉ. बाल चंद्र ने एमबीबीएस और एमडी (पैथोलाजी) की पढ़ाई दिल्ली एम्स से की है।

    डॉ. बाल चंद्र ने बताया कि ब्लड एनालिसिस सिस्टम को बनाने में उन्हें एक वर्ष लगा। इसे बिना किसी की सहायता लिए पूरा किया है। यह प्रोजेक्ट उन प्रशिक्षुओं को कार्य करने के लिए प्रेरित करेगा जो यह कहते हैं कि सुविधाएं नहीं हैं।

    शिक्षक और मित्र की कैसे हुई मृत्यु, नहीं पता चल सका था

    प्रोफेसर डॉ. बाल चंद्र ने बताया कि सैनिक स्कूल सुजानपुर टीहरा में छठी से 12वीं कक्षा तक पढ़ाई की। सहपाठी के साथ वह हॉस्टल में रहते थे। शिक्षक हमें अंग्रेजी पढ़ाते थे। दोनों की मौत कैंसर से हुई थी, लेकिन तब कुछ पता नहीं चला था कि शरीर में कौन से तत्व की कमी व वृद्धि मौत का कारण बनी।

    वहीं से उन्हें एक ऐसा उपकरण बनाने की प्रेरणा मिली जो यह बता सके कि शरीर में कौन सा तत्व कम है या ज्यादा। उसे बिना दवा दिए नियंत्रित किया जा सके। जो उपकरण बनाया है वह इंजीनियरिंग से संबंधित है, लेकिन उन्होंने उसे बनाने के लिए इस विषय का ज्ञान स्वयं ही अर्जित किया।

    मुख्य बातें

    1. रियल-टाइम जांच : रोगी के रक्त में मौजूद कई तरह के तत्वों जैसे ग्लूकोज, लैक्टेट, यूरिया, क्रिएटिनिन, बिलीरुबिन और सोडियम, पोटेशियम का स्तर बीएएस से लगातार मापा जा सकता है।

    2. खून की जरूरत नहीं, तुरंत परिणाम: रोगी की एक भी बूंद खून निकाले बिना ही ये जांच संभव होगी। रिपोर्ट भी एक से डेढ़ घंटे बाद नहीं बल्कि तुरंत उपलब्ध हो जाएगी।

    3. सिर्फ जांच नहीं, सुधार भी : बीएएस केवल रक्त की जांच ही नहीं करता बल्कि जरूरत पड़ने पर खून में मौजूद तत्वों का स्तर नियंत्रित करके सही भी कर सकता है, वह भी बिना दवाओं के।