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    मान्‍यता: इस मंदिर में महिलाओं के फर्श पर सोने से होती है संतान प्राप्‍त‍ि, स्‍वपन में मिलता है संकेत; पढ़ें खबर

    By Rajesh SharmaEdited By:
    Updated: Mon, 19 Oct 2020 11:02 AM (IST)

    Simsa Mata Temple देवभूमि हिमाचल प्रदेश के हर मंदिर का खास इतिहास और मान्‍यता है। मंडी जिला के लड़भड़ोल क्षेत्र में स्थित माता सिमसा के प्रति भी लोगों ...और पढ़ें

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    मान्‍यता है सिमसा माता मंदिर में सोने से महिलाओं को संतान की प्राप्‍त‍ि होती है।

    सिमस, लक्की कुमार। देवभूमि हिमाचल प्रदेश के हर मंदिर का खास इतिहास और मान्‍यता है। मंडी जिला के लड़भड़ोल क्षेत्र में स्थित माता सिमसा के प्रति भी लोगों की गहरी आस्‍था है। मान्‍यता है मंदिर में सोने से महिलाओं को संतान की प्राप्‍त‍ि होती है। बताया जाता है माता स्वपन में महिलाओं को फल आदि के जरिये बताती है कि उन्‍हें लड़का होगा या लड़की। जिनको सूखी लकड़ी, पत्थर आदि सपने में आते हैं, उनको संतान प्राप्‍ति‍ नहीं होती। महिलाएं हर नवरात्र में यहां पर आती हैं और सपना आने तक नौ दिन यहां फर्श पर सोती हैं। जिला के उपमंडल जोगेंद्रनगर से 60 किलोमीटर और कांगड़ा के बैजनाथ उपमंडल से 32 किलोमीटर दूर माता सिमसा का मंदिर है। माता को संतान दात्री माता के रूप में जाना जाता है।

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    सिमसा माता मंदिर में नवरात्र में होने वाले इस विशेष उत्सव को स्थानीय भाषा में “सलिंदरा” कहा जाता है। सलिंदरा का अर्थ है स्वप्न। इस समय नि:संतान महिलाएं दिन-रात मंदिर के फर्श पर सोती हैं। यहां कि मान्यता है कि माता सिमसा सपने में महिला को फल देती है तो उस महिला को संतान का आशीर्वाद मिल जाता है। देवी सिमसा आने वाली संतान के लिंग-निर्धारण का भी संकेत देती हैं। जैसे यदि किसी महिला को अमरुद का फल मिलता है तो समझ लें कि लड़का होगा। अगर किसी को स्वप्न में भिंडी प्राप्त होती है तो समझें कि संतान के रूप में लड़की प्राप्त होगी। यदि किसी को धातु, लकड़ी या पत्थर की बनी कोई वस्तु प्राप्त हो तो समझा जाता है कि उसके संतान नहीं प्राप्‍त होगी।

    कोरोना के कारण नहीं प्रवेश की अनुमति

    मंदिर कमेटी के प्रधान विनोद कुमार ने बताया आजकल मंदिर लोगों की सुरक्षा के लिए बंद किए गए हैं, ताकि शारीरिक दूरी के नियम का ध्यान रखा जा सके। मंदिर में पुजारी सुबह-शाम नियमित रूप से पूजा कर रहे हैं। सिमस गांव के निवासी पवन कुमार ने बताया माता सिमसा का मंदिर बहुत प्रसिद्ध है और यहां लोग भारत से ही नहीं अपितु अब विदेश से पहुंचते हैं।

    ऐसे प्रकट हुई माता

    बताया जाता है इस गांव में तोबा सिंह नामक व्यक्ति रहता था। एक दिन महाशिवरात्रि वाले दिन तोबा सिंह घर से करीब तीन किलोमीटर दूर नागण नामक स्थान पर तरड़ी खोदने लगा जैसे ही उसने जमीन पर पहली चोट मारी दूध बाहर निकल आया। यह देखकर तोबा सिंह बहुत प्रसन्न हुआ  उसने सोचा की तरड़ी अच्छी है तथा अधिक मात्रा में निकलेगी जब तोबा सिंह ने जमीन पर दूसरी चोट मारी तो पानी की धारा निकलने लगी। तीसरी चोट मारी तो जमीन से खून निकलने लगा। इस पर तोबा सिंह बहुत घबराया हुआ घर आ गया। रात को तोबा सिंह को स्वपन में माता ने दर्शन दिए तथा कहा तुम जहां खोदाई कर रहे थे, वहीं पर तुझे मूर्ति मिलेगी। उस मूर्ति को पालकी पर सजा कर लाना जहां पर पालकी भारी होने लगेगी, वहीं पर मेरा मंदिर बनवाना। मां की यह मूर्ति आज भी मंदिर में मौजूद है। मां का एक चमत्कार है कि नवरात्र में जब औरतें मंदिर के प्रांगण में सो रही होती हैं तो नींद में मां सिमसा पूरे श्रृंगार में चमत्कार दिखा कर भाग्यानुसार स्वपन में फल बांटती हैं। जिस औरत को जैसा फल मिलता है उसे वैसी संतान प्राप्त होती है।

    सपना आने के बाद तुरंत छोड़ना होता है मंदिर

    महिला को सपना आने के बाद तुरंत मंदिर परिसर छोड़ना पड़ता है। यदि कोई महिला अपना बिस्तर मंदिर परिसर से नहीं हटाती तो उसे शरीर में खुजली होने लगती है और साथ ही उसे लाल दाग हो जाते हैं। नवरात्र में ही यहां महिलाओं को यह आशीर्वाद माता देती हैं।

    छोटी उंगली से हिलती है चट्टान

    सिमसा माता मंदिर में एक चट्टान मौजूद है। अगर इसे हाथों से हिलाया जाए तो यह बिल्कुल नहीं हिलती, लेकिन केवल हाथ की छोटी उंगली से इसे हिलाया जाए तो यह हिलने लगती है। इस चट्टान का हिलना भी शुभ संकेत माना जाता है।