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कृषि विश्वविद्यालय ने दी पालमपुर को नई पहचान

संवाद सहयोगी पालमपुर चाय नगरी पालमपुर को कृषि विश्वविद्यालय स्थापित होने से नई पहचान मिली ह

By JagranEdited By: Published: Sun, 01 Nov 2020 05:00 AM (IST)Updated: Sun, 01 Nov 2020 05:00 AM (IST)
कृषि विश्वविद्यालय ने दी पालमपुर को नई पहचान
कृषि विश्वविद्यालय ने दी पालमपुर को नई पहचान

संवाद सहयोगी, पालमपुर : चाय नगरी पालमपुर को कृषि विश्वविद्यालय स्थापित होने से नई पहचान मिली है। कृषि विवि पालमपुर की स्थापना पहली नवंबर, 1978 को हुई थी और इसका नाम जून 2001 में चौधरी सरवण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय रखा गया था। इन 42 वर्षो में विवि ने प्रदेश के कृषि परिदृश्य को बदलने में अहम भूमिका निभाई है।

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कृषि तथा अन्य संबंधित विषयों में शिक्षा के लिए कृषि विवि में चार महाविद्यालय संचालित हैं। कृषि महाविद्यालय में 13, डा. जीसी नेगी पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान महाविद्यालय में 18, गृह विज्ञान महाविद्यालय में 5 और आधारभूत विज्ञान महाविद्यालय में चार विभाग हैं। यहां छह स्नातक, 23 स्नातकोत्तर व 15 पीएचडी कार्यक्रम संचालित किए जाते हैं। वर्तमान में 8417 विद्यार्थी विवि में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।

विवि का अनुसंधान निदेशालय कृषि, पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान, गृह विज्ञान तथा आधारभूत विज्ञान संकाय के विभिन्न अनुसंधान कार्यक्रमों को समन्वित करता है। तीन अनुसंधान केंद्र बजौरा, धौलाकुआं और कुकुमसेरी में कार्य कर रहे हैं। शिमला व सोलन जिलों को छोड़कर 10 अनुसंधान उपकेंद्र कांगड़ा, मलां, नगरोटा, अकरोट, बरठीं, सुंदरनगर, सलूणी, सांगला, लियो व लरी में स्थित हैं। विवि ने क्षेत्र विशेष की जरूरतों के अनुरूप विभिन्न फसलों के लिए 155 कृषि तकनीकें विकसित की हैं। जैविक खेती पर शोध के साथ कृषि विवि ने 22.66 करोड़ रुपये की प्राकृतिक खेती की परियोजना पर कार्य शुरू किया है। विश्वविद्यालय ने कृषि आधारित बीस मॉडल प्रदेश सरकार के कृषि विभाग व पशुपालन विभाग के साथ साझा किए हैं। विवि किसानों, पशुपालकों, कृषक महिलाओं तथा ग्रामीण युवाओं के लिए विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रमों का भी संचालन करता है। प्रसार सेवाओं के लिए विश्वविद्यालय के मुख्यालय तथा प्रदेश के आठ जिलों में कृषक मित्र, लाभकारी तकनीक और अनुसंधान के प्रसार में कुल्लू, सिरमौर, हमीरपुर, ऊना, मंडी, कांगड़ा, बिलासपुर व लाहुल स्पीति में कृषि विज्ञान केंद्र कार्यरत हैं। हर कृषि विज्ञान केंद्र में प्राकृतिक खेती से संबंधित गतिविधियां संचालित हो रही हैं और सभी केंद्रों ने प्राकृतिक खेती के लिए एक-एक गांव गोद लिया है। कृषि विश्वविद्यालय में 240 शिक्षक तथा 718 गैरशिक्षक कर्मचारी तैनात हैं।


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