Natural Farming in Himachal : हिमाचल में 50 हजार एकड़ भूमि लाई जाएगी प्राकृतिक खेती के अधीन
देवभूमि हिमाचल प्रदेश की 50 हजार एकड़ भूमि को इस वित्तीय वर्ष में प्राकृतिक खेती के अधीन लाया जाएगा। 50 हजार किसानों को प्राकृतिक कृषक के रूप में प्रमाणित किया जाएगा। रासायनिक खेती जो कैंसर के साथ स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है उसे समाप्त करने की योजना है।

शिमला, राज्य ब्यूरो। देवभूमि हिमाचल प्रदेश की 50 हजार एकड़ भूमि को इस वित्तीय वर्ष में प्राकृतिक खेती के अधीन लाया जाएगा। यही नहीं 50 हजार किसानों को प्राकृतिक कृषक के रूप में प्रमाणित किया जाएगा। रासायनिक खेती जो कैंसर के साथ स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है उसे पूरी तरह से समाप्त करने की योजना है। प्रदेश के 1.71 लाख किसानों द्वारा वर्तमान में 9421 हैक्टेयर क्षेत्र में प्राकृतिक पद्धति से खेती की जा रही है। इसमें सेब जिसे रासायनिक उर्वरकों व कीटनाशकों के इस्तेमाल के बिना असंभव माना जा रहा था अब उसे भी सफलता पूर्वक किया जा रहा है।
प्रदेश में 9.44 लाख हेक्टेयर भूमि पर काश्त होती है और सकल घरेलू उत्पाद में इसका लगभग 13.62 प्रतिशत योगदान है। कृषि में तकनीक के माध्यम से उच्च मूल्य वाली फसलों का उत्पादन बढ़ाने पर विशेष बल दिया जा रहा है। प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा प्राकृतिक खेती, खुशहाल किसान योजना चल रही है जिसमें फसल उत्पादन लागत को कम कर आय बढ़ाना है और इस योजना के तहत अब तक 58.46 करोड़ रुपये व्यय किए जा चुके हैं। कृषि क्षेत्र के लिए वर्तमान वित्त वर्ष में 628.52 करोड़ रुपये का प्रविधान किया गया है।
प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के तहत वित्तीय वर्ष में 50 हजार एकड़ भूमि को प्राकृतिक खेती के तहत लाया जाएगा। प्राकृतिक खेती को करने से तभी लाभ है जब उसके बेहतर दाम मिले। इसके लिए प्रमाणित किया जाएगा जिससे उन्हें बेहतर दाम मिलेंगे और ज्यादा से ज्यादा किसान इसे अपनाएंगे।
-वीरेंद्र कंवर, पंचायती राज व कृषि मंत्री, हिमाचल प्रदेश।
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