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    'अनुराग ठाकुर तिरपाल राजनीति में व्यस्त', सुमन भारती बोले- जनता के मुद्दे रह गए पीछे

    Updated: Fri, 19 Sep 2025 02:00 AM (IST)

    कांग्रेस नेता सुमन भारती ने अनुराग ठाकुर पर तिरपाल की राजनीति करने का आरोप लगाया। उन्होंने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह की आपदा प्रबंधन की सराहना की और अनुराग ठाकुर से धर्मपुर के लिए विशेष पैकेज की मांग करने को कहा। उन्होंने भाजपा पर गुटबाजी का आरोप लगाते हुए कहा कि विधायक आशीष शर्मा केवल अपने परिवार के मुद्दे उठाते हैं जनता के नहीं।

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    अनुराग ठाकुर पर कांग्रेस नेता सुमन भारती ने कसा तंज। (जागरण)

    जागरण संवाददाता, हमीरपुर। पूर्व केंद्रीय मंत्री और सांसद अनुराग ठाकुर अब तिरपाल की राजनीति में सक्रिय नजर आ रहे हैं।

    कांग्रेस के निवर्तमान जिला अध्यक्ष सुमन भारती ने कहा कि अनुराग ठाकुर जहां भी जाते हैं, वहां तिरपाल की गिनती में व्यस्त रहते हैं। भारती ने कहा कि अगर किसी को जनता की पीड़ा समझनी है, तो मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह से सीखना चाहिए।

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    मुख्यमंत्री न केवल आपदा के समय हर पीड़ित परिवार के साथ खड़े हैं, बल्कि जिन लोगों के कच्चे घर गिर चुके हैं, उन्हें पक्का घर बनाने के लिए 7 लाख रुपये देने की घोषणा भी कर चुके हैं।

    भारती ने कहा कि जिस तरह जय राम ठाकुर ने अपने विधानसभा क्षेत्र सराज के लिए प्रधानमंत्री से अलग पैकेज की मांग की थी, उसी तरह अनुराग ठाकुर को धर्मपुर के लिए अलग पैकेज की मांग करनी चाहिए थी।

    उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश में इस आपदा से 15,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, लेकिन प्रधानमंत्री ने केवल 10 प्रतिशत यानी 1,500 करोड़ रुपये की घोषणा की।

    कई गुटों में बंटी भाजपा

    सुमन भारती ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर आयोजित कार्यक्रमों पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि भाजपा के अलग-अलग गुटों ने अलग-अलग जगह कार्यक्रम आयोजित किए। हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र में सांसद अनुराग ठाकुर ने हवन यज्ञ किया, जबकि राज्यसभा सांसद ने दूसरी जगह कार्यक्रम किया।

    भारती ने कहा कि प्रदेश भाजपा अब धूमल गुट, नड्डा गुट, कांग्रेसी गुट और जयराम गुट में बंट चुकी है। हमीरपुर के विधायक आशीष शर्मा पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि विधायक केवल अपने परिवार के मुद्दों को विधानसभा में उठाते हैं।

    जनता की आवाज केवल हमीरपुर तक ही सीमित रह जाती है। पुलों और अन्य विकास कार्यों के लिए ज्ञापन देने की औपचारिकता पूरी की जाती है, लेकिन सही मंच यानी विधानसभा में जनता के मुद्दों को प्राथमिकता नहीं दी जाती।