हिमाचल के इस किले से दिखता था लाहौर का नजारा, पहचान के लिए हुआ मोहताज; अब युवा संवार रहे ऐतिहासिक धरोहर
Himachal Latest News हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले में स्थित सोलहसिंगी धार का किला जो कभी लाहौर तक का नजारा दिखाता था अब पहचान के लिए मोहताज हो गया है। झाड़ियों से घिरे इस किले को युवाओं के एक समूह ने संवारने का बीड़ा उठाया है। आइए इस ऐतिहासिक धरोहर को बचाने के लिए चलाए जा रहे अभियान के बारे में विस्तार से जानते हैं।
मनोज शर्मा, हमीरपुर। ऊना जिले की सोलहसिंगी धार पर बने किले के बारे में कभी कहा जाता था कि यहां से दूरबीन से लाहौर दिखता था। दूरबीन से लाहौर देखने वालों का तो अब पता नहीं, लेकिन इस किले की हालत ऐसी हो गई थी कि झाड़ियों से किला भी नहीं दिखता था।
आसपास उगी झाड़ियों के कारण किला पूरी तरह से ढक गया था, झाड़ियों में दबे इसे किले को संवारने के लिए आगे आए युवाओं ने साबित किया कि अगर किसी काम के प्रति इच्छाशक्ति हो तो उसे आसानी से किया जा सकता है। अब किला लोगों को दिखने लगा है।
बचाव के लिए नादौल की स्वयंसेवी संस्था आई सामने
कटोच राजवंश के इस किले को संवारने के लिए हमीरपुर के नादौन की स्वयंसेवी संस्था अमोघ संकल्प आगे आई तो कारवां जुड़ता गया। कुटलैहड़ वेलफेयर सोसायटी ने भी भरपूर साथ दिया तो नादौन के क्रांति युवक मंडल पनसाई के युवाओं ने भी हाथ बंटाया। खास बात यह रही इन युवाओं ने इस काम के लिए दिन भी ऐसा चुना जिस दिन स्वामी विवेकानंद की जयंती थी।
फोटो कैप्शन: किला ऊंचाई से कुछ ऐसा दिखाई देता है
स्वामी विवेकानंद हर किसी के प्रेरणास्रोत हैं व जयंती को युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। इन साहसी युवाओं ने इसी दिन किले को संवारने का काम किया। देश में कई किले पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र हैं लेकिन सोलहसिंगी धार का किला किसी भी सरकार की प्राथमिकता में नहीं रहा, इसी वजह से यह जीर्ण-शीर्ण हो गया है।
आसपास उगी झाड़ियों के कारण इसके अंदर जाने का कोई साहस भी नहीं कर पाता है। युवाओं की पहल से अब यह किला देखने लायक तो बन गया है, लेकिन इसे संवारने के लिए सरकारी मदद की जरूरत है।
ऐतिहासिक धरोहर को सहेजने के लिए आए आगे
अमोघ संकल्प संस्था के अध्यक्ष जगदीप शर्मा कहते हैं कि हमारा प्रयास है कि युवा पीढ़ी ऐतिहासिक धरोहर को सहेजने के लिए आगे आए। इसी उद्देश्य से संकल्प लिया है। कोराना काल में भी युवाओं ने कई सराहनीय कार्य किए हैं। अमोघ ने कई रक्तदान शिविर लगाकर युवाओं को प्रेरित किया है और यह क्रम आगे जारी रहेगा।
किले को संवारने के लिए 50 से अधिक युवाओं ने साथ दिया। कुटलैहड़ के पूर्व विधायक देवेंद्र भुट्टो भी युवाओं का हौसला बढ़ाने के लिए यहां पहुंचे। भुट्टो ने कहा कि ऐसे दौर में जब युवा पीढ़ी नशे के चंगुल में फंसती जा रही है, उस दौर में युवाओं का यह काम हर किसी के लिए प्रेरणादायक है।
उनका मानना है कि इन किलों को पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जा सकता है। यह किला कुटलैहड़ की शान हैं। इसे विकसित करने के लिए प्रयास किए जाएंगे। इस अवसर पर अभय राणा, निखिल, संजीव, सिद्धार्थ, रोहित, मुकेश, विक्रांत, रितेश व सुमित सहित अन्य युवाओं ने सराहनीय कार्य किया।
पिपलू से जाता है रास्ता
हमीरपुर जिले के धनेटा से बंगाणा की तरफ जाएं तो पहाड़ की चोटी पर पिपलू नामक स्थान आता है। यहां से सोलहसिंघी धार के किले के लिए सड़क जाती है। इसकी दूरी करीब साढ़े छह किलोमीटर है। यहां से पांच किलोमीटर दूर डोलू नामक स्थान से करीब डेढ़ किलीमीटर चढ़ाई चढ़ने के बाद किले तक पहुंचा जा सकता है। किले के एक तरफ हमीरपुर जिला तो दूसरी ओर ऊना जिला दिखता है।
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