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    नई पीढ़ी भी जाने लहना और उसके सृजक को

    By Vijay BhushanEdited By:
    Updated: Wed, 07 Jul 2021 10:04 AM (IST)

    जब रास्ता ही रोक लिया गया तो नई कोंपलें कैसे जानें कि चंद्रधर शर्मा गुलेरी नाम का एक वटवृक्ष हिमाचल का होकर भी पूरे हिंदी जगत का था। करीब 30 साल पहले उत्कृष्ट कथा उसने कहा थाÓ को शिक्षा बोर्ड की दसवीं कक्षा में पढ़ाया जाता था।

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    चंद्रधर शर्मा गुलेरी का फाइल फोटो। जागरण आर्काइव

    धर्मशाला,दविंद्र सिंह गुलेरिया। जब रास्ता ही रोक लिया गया तो नई कोंपलें कैसे जानें कि चंद्रधर शर्मा गुलेरी नाम का एक वटवृक्ष हिमाचल का होकर भी पूरे ङ्क्षहदी जगत का था। करीब 30 साल पहले निस्वार्थ प्रेम और बलिदान की उत्कृष्ट कथा 'उसने कहा थाÓ को हिमाचल प्रदेश शिक्षा बोर्ड की दसवीं कक्षा में पढ़ाया जाता था। इसका लाभ यह होता था कि जिन विद्यार्थियों को ग्यारहवीं कक्षा में विज्ञान या वाणिज्य में दाखिला लेना होता था, वे भी इस कालजयी कहानी की संवेदना से हमेशा के लिए परिचित हो जाते थे और लेखक से भी। 

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    अब आलम यह है कि मैट्रिक तक की कक्षाओं में प्रदेश के पाठ्यक्रम में गुलेरी की कोई कृति नहीं है। जमा दो में 'बालक बच गयाÓ जैसा लघु निबंध जरूर है। स्नातक के पाठ्यक्रम में उनकी कोई भी रचना पढ़ाई नहीं जा रही है। स्नातकोत्तर में कहानी साहित्य में उनका जिक्र जरूर आता है, लेकिन अलग से कुछ नहीं है। भला हो, केंद्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश का, जिसने अब भी उसने कहा था को अपने पाठ्यक्रम में स्थान दिया है।

    चूंकि दसवीं तक सभी छात्र-छात्राएं ङ्क्षहदी पढ़ते हैं। उसके बाद कुछ छात्र-छात्राएं विज्ञान व वाणिज्य में चले जाते हैं। कला संकाय में भी विषय चुनने केविकल्प रहते हैं, इसलिए हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड के दसवीं तक के पाठ्यक्रम में चंद्रधर शर्मा गुलेरी की कोई भी कृति नहीं होना अखरता है।

    दैनिक जागरण के एक सर्वेक्षण में पाया गया है कि कालेज स्तर की पढ़ाई कर रहे कई विद्यार्थी यह नहीं जानते कि चंद्रधर शर्मा गुलेरी कौन हैं और उनकी कृतियां कौन सी हैं। कुछ विद्यार्थियों ने भी कहा कि पाठ्यक्रम में जो होता है, उसे ही पढऩे का समय निकाल पाते हैं। गुलेरी की कोई रचना उनके पाठ्यक्रम में नहीं है, इसलिए वे उन्हें पढ़ नहीं पाए। अधिकतर ङ्क्षहदी शिक्षकों व छात्रों ने कहा कि गुलेरी की रचित कहानियां स्कूल व कॉलेज के पाठयक्रम में शामिल की जानी चाहिए।

    इन कालेज विद्यार्थियों से की बात

    हमीरपुर में एमए ङ्क्षहदी की पढ़ाई कर रही ममता देवी, रवीना कुमारी, सहाना बेगम, बेबी पठानिया, कविता राणा, वैशाली, वंदना देवी, शिमला के संजौली कालेज के अमित ठाकुर व मुस्कान, कन्या कालेज शिमला की अंजली ठाकुर, शिक्षा वर्मा व शिवानी, सोलन कालेज के ङ्क्षहदी के विद्यार्थियों अभिषेक व सरोज, ङ्क्षचतपूर्णी जी कालेज के विद्यार्थी गगनदीप, साक्षी, शिवानी व मोहित, चंबा कालेज के संजीव ठाकुर और शाहबाज खान।

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    चंद्रधर शर्मा गुलेरी की 'उसने कहा थाÓ कहानी स्नातकोत्तर के विद्याॢथयों को पढ़ाई जाती है। इस लोकप्रिय प्रेम कहानी को फ्लैश बैक में लिखा गया था। यह कहानी हिमाचल सहित अन्य प्रदेशों के विश्वविद्यालय में भी पढ़ाई जाती है। इसके अलावा उन्होंने बुद्धू का कांटा व सुखमय जीवन रचनाएं भी लिखीं, जो काफी प्रसिद्ध रही हैं। इनकी कहानियों को पढऩे और समझने के लिए गहराई में जाना पड़ता है। वर्तमान में तकनीक के युग में अधिकतर विद्यार्थी इन कहानियों का महत्व नहीं समझ पाते हैं।

    -डा. शिप्रा श्रीवास्तव सागर, सहायक आचार्य, वल्लभ कालेज मंडी

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