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    विधान बनाने वालों पर ही विधान में विघ्न डालने के आरोप आदर्श स्थिति नहीं, सवालों के घेरे में हिमाचल के नेता

    Updated: Thu, 03 Jul 2025 11:27 AM (IST)

    Himachal Leaders Dispute शिमला के भट्ठाकुफर में एक बहुमंजिला घर गिरने के बाद पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह और एनएचएआइ के अधिकारियों के बीच विवाद हो गया जिसके परिणामस्वरूप कथित तौर पर अधिकारियों को चोटें आईं। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने मुख्यमंत्री से सख्त कार्रवाई करने को कहा है। दूसरी ओर बिलासपुर में पूर्व विधायक बंबर ठाकुर एएसपी को धक्का देते हुए दिखाई दिए।

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    हिमाचल सरकार के मंत्री अनिरुद्ध सिंह और कांग्रेस के पूर्व विधायक बंबर ठाकुर।

    नवनीत शर्मा, धर्मशाला। हिमाचल प्रदेश में बरसात से कई कुछ ढहने के क्रम में शिमला के साथ सटे भट्ठाकुफर में भी एक बहुमंजिला घर गिर गया। क्योंकि पिछली रात ही उसे खाली करवा लिया गया था तो जनहानि नहीं हुई। इसके नजदीक से राष्ट्रीय राजमार्ग का कार्य चल रहा था तो स्वाभाविक है, खोदाई हुई थी। पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह वहां पहुंचे तो एनएचएआइ के अधिकारी को भी बुलाया गया। मंत्री और अधिकारी के बीच संवाद सार्वजनिक न रह कर पास के एक कमरे में स्थानांतरित हुआ। अंदर जो भी हुआ, उसके बाद राजमार्ग प्राधिकरण के दोनों अधिकारी लहूलुहान अवस्था में भागे।

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    ढली थाना की प्राथमिकी कहती है कि मंत्री ने प्राधिकरण अधिकारी अचल जिंदल की पिटाई की। सूचना यह भी है कि घड़ा सिर पर फोड़ा गया। केंद्रीय भूतल परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के साथ बात की और सख्त कार्रवाई करने को कहा। प्राधिकरण के अध्यक्ष संतोष यादव ने मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना को पत्र लिख राज्य की कानून-व्यवस्था को प्रश्नांकित किया। एक शिकायत राजमार्ग प्रधिकरण पर भी दर्ज करवाई गई कि उक्त भवन प्राधिकरण की लापरवाही से गिरा। अब क्रास एफआइआर होगी और जांच होगी। मुख्यमंत्री ने आश्वस्त किया है कि कानून के दायरे में रहते हुए कार्रवाई होगी।

    बंबर का चिरपरिचत अंदाज में एएसपी को धक्का 

    उधर, एक दूसरे प्रकरण में, बिलासपुर में कांग्रेस के पूर्व विधायक बंबर ठाकुर भी बुधवार को प्रसारित एक वीडियो में अपने चिरपरिचत अंदाज में एएसपी शिव चौधरी को धक्का देते दिखाई दिए। एएसपी कह रहे हैं-'डोंट टच मी। गाली नी देनी!' स्पष्ट है कि गाली भी दी गई है। एसडीएम बीच बचाव करते दिख रहे हैं। पूर्व विधायक द्वारा अपनी जान को निरंतर खतरे की बात कह कर ज्ञापन देने की बात थी। 

    इंटरनेट मीडिया पर दोनों प्रकरण का विरोध भी और समर्थन भी

    ये दोनों प्रकरण प्रश्न उठाते हैं कि क्या मारपीट उचित थी? इसके जवाब में इंटरनेट मीडिया में न केवल विरोध करने वाले हैं अपितु समर्थन करने वाले भी हैं। मंत्री महोदय ने विस्तृत पत्रकार वार्ता करने से पूर्व यह कह कर कुछ संकेत किया था कि अपने लोगों के साथ खड़े होने की बात आए तो किसी भी हद तक जाना चाहिए। यह स्पष्टीकरण एक राजनीतिक व्यक्ति के लिए तो उपयुक्त है किंतु एक विधायक के लिए नहीं। दूसरा पक्ष कितना भी गलत हो, विधान बनाने वालों पर ही विधान में विघ्न उत्पन्न करने का आरोप आए तो यह आदर्श स्थिति नहीं है।

    तो क्या गुस्से और भावना को कर्तव्य का स्थान ले लेना चाहिए?

    मंत्री महोदय का यह भी कहना है कि राजमार्ग प्राधिकरण ठीक कार्य नहीं करता। नब्बे डिग्री पर पहाड़ काटे जा रहे हैं, अगर कोई शिकायत करता है तो मुआवजे की बात कह कर चुप करवा दिया जाता है। उन्होंने परवाणू से शिमला राजमार्ग पर पत्थर गिरने से मार्ग बाधित रहने का सवाल भी उठाया। संभव है राजमार्ग प्राधिकरण से कई लोगों को कई शिकायतें हों। लेकिन सवाल यही है कि अब गुस्से और भावना को कर्तव्य का स्थान ले लेना चाहिए? क्या यही मार्ग बचा था कि किसी का सिर फोड़ दिया जाए? यह केवल आपा खोने का नहीं, संदेशवाहक को हानि पहुंचाने का प्रकरण भी बन गया।

    रिकार्ड में लाई जा सकती है प्राधिकरण की गलती

    पूरी प्रदेश सरकार है, कई मंत्री प्रदेश की योजनाओं के लिए निरंतर दिल्ली के संपर्क में रहते हैं। राजमार्ग प्राधिकरण कब-कब और कहां-कहां गलत है, यह बात रिकार्ड में लाई जा सकती है...सीधे केंद्रीय मंत्री को बताई जा सकती है। हर कार्य आरंभ होने से पहले समझौता पत्र बनता है, करार होते हैं, उनकी अवहेलना होने पर 'मौके पर न्याय' और उसे मिलता जनसमर्थन प्रदेश के लिए आदर्श नहीं बना रहा है। आम आदमी की नहीं सुनता होगा, पर क्या राजमार्ग प्राधिकरण प्रदेश सरकार और मंत्रियों की बात भी नहीं सुनता? जांच ही बताएगी कि कौन ठीक है, कौन गलत किंतु बड़ी चिंता यह है कि संवाद, वार्तालाप, चर्चा, विमर्श अब इतने थक चुके हैं कि नौबत पिटाई तक आ जाए? संदेह इसमें भी नहीं कि अनिरुद्ध सिंह ऐसे मंत्री हैं जो जनता की आवाज सुनते हैं। संजौली मस्जिद प्रकरण में उन्होंने जो पक्ष लिया था, वह निर्णायक साबित हुआ था। नशे के विरुद्ध पंचायतों की सहायता लेने की पहल उन्होंने ही की थी। हिमाचल प्रदेश की वित्तीय स्थिति के दृष्टिगत यह राज्य को ही सोचना है कि पर यदि आज राजमार्ग मंत्रालय सब परियोजनाओं पर पुनर्विचार का निर्णय ले ले तो क्या होगा। 

    नड्डा के बिलासपुर आने पर ही उभरती है बंबर की समस्या 

    बिलासपुर प्रशासन से भी अनुरोध है कि पूर्व विधायक बंबर ठाकुर की सुरक्षा का समुचित प्रबंध करें। यह भी विचित्र संयोग है कि जब-जब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा बिलासपुर आते हैं, बंबर ठाकुर को अपनी समस्या बढ़ी हुई दिखती है। देखना यह है कि एएसपी के साथ दिखाई देते उनके दुर्व्यवहार पर बिलासपुर प्रशासन या पुलिस क्या कदम उठाती है। आखिर यह खाकी के इकबाल का सवाल है। इंटरनेट मीडिया के इस दौर में आदर्श जितनी जल्द बनते हैं, उतनी ही शीघ्रता से ध्वस्त भी हो जाते हैं। इसलिए, कानून को हाथ में लेने की घटनाएं यदि आदर्श बनने लगेंगी तो इस प्रवृत्ति का प्रसार हर वर्ग और पक्ष तक होगा। क्या ऐसा होना चाहिए? 

    (लेखक दैनिक जागरण हिमाचल प्रदेश के राज्य संपादक हैं)

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