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    कुठमां में बारिश के बाद लगातार गिरता मलबा बना मुसीबत, खतरे में गगल एयरपोर्ट की दीवार

    Updated: Wed, 10 Sep 2025 06:46 PM (IST)

    पठानकोट-मंडी एनएच पर कुठमां के पास भूस्खलन से गगल हवाई अड्डे की दीवार को खतरा है। लगातार मलबा आने से सड़क पर यातायात जाम लग रहा है। प्रशासनिक अधिकारियों हवाई अड्डा प्राधिकरण और एनएचएआइ में तालमेल की कमी है। मुख्यमंत्री उपायुक्त और एनएचएआइ के अधिकारियों ने निरीक्षण किया है और दिशा-निर्देश दिए हैं।

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    कुठमां में लगातार गिरता मलबा बना मुसीबत (फाइल फोटो)

    जागरण संवाददाता, धर्मशाला। पठानकोट-मंडी एनएच पर कुठमां के पास पहाड़ी से हो रहे रिसाव व भूस्खलन से हवाई अड्डा दीवार को खतरा मंडरा रहा है। कुठमां में एनएच पर आ रहा मलबा रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है। यहां बारिश में तो मलबा आ ही रहा है, लेकिन जिस दिन बारिश न हो उस दिन भी मलबा सड़क पर फैल रहा है।

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    जबकि प्रशासनिक कदम सर्वे से आगे नहीं बढ़ सके हैं। हालांकि हकीकत तो यह है कि प्रशासनिक अधिकारियों, हवाई अड्डा प्राधिकरण ऑथॉरिटी व एनएचएआइ में आपसी तालमेल की कमी के चलते कोई त्वरित कार्रवाई नहीं हो पा रही है।

    जिसके कारण लगातार मलबा सड़क पर आ रहा है। इस कारण इस मार्ग से आवाजाही करने वाले लोगों को परेशानी से दो चार करना पड़ रहा है। एनएचएआइ ने यहां पर मलबा हटाने के लिए मशीनरी तैनात की है। दो जेसीबी 27 दिनों से तैनात हैं और एक दिन में कई बार कुठमां में एनएच से मलबा हटाकर यातायात को बहाल किया जाता है।

    बावजूद इसके लगातार मलबा आ रहा है और यातायात जाम भी लग रहा है। प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू, उपायुक्त हेमराज बैरवा व एनएचएआइ के परियोजना निदेशक विकास सुरजेवाला ने भी यहांं गगल हवाई अड्डे के पास से आ रहे मलबे वाले स्थल का निरीक्षण किया है।

    उपायुक्त हेमराज बैरवा ने एनएचएआइ को गगल हवाई अड्डे की दीवार को सुरक्षित करने व यहां से बने झरने (नाले) में आ रहे पानी को चैनेलाइज करने के दिशा निर्देश दिए हैं। एनएचएआइ ने भी उपायुक्त के निर्देश पर तकनीकी सहायता उपलब्ध करवाते हुए यहां पर सर्वे किया है।

    जिसमें टीम ने बारिशें रुखने पर नाले का पानी कम होने पर नाले को चैनेलाइज करने व गगल एयरपोर्ट की सुरक्षा दीवार को मजबूत करने व गिरने से बचाने के लिए प्रोटेक्शन दीवार साथ में ही लगाने की रूपरेखा बनाई है। यह रिपोर्ट एनएचएआइ उपायुक्त कांगड़ा को सौंपेगी। जिसमें बताया जाएगा कि इस सारे काम में कितना खर्चा आएगा।

    वहीं, गगल एयरपोर्ट अथारिटी ने भी जिला प्रशासन व प्रदेश सरकार के मुखिया सुखविंदर सिंह सुक्खू के समक्ष अपना पक्ष रखा है और एयरपोर्ट की सुरक्षा दीवार को भूस्खलन से बचाने की गुहार लगाई है। यह समस्या आज की नहीं है, काफी दिनों से है। एक दो साल से यह समस्या है। लेकिन इस साल बारिशें ज्यादा हुई हैं।

    कांगड़ा के उपायुक्त हेमराज बैरवा ने बताया कि एनएचएआइ की टीम ने यहां पर विजिट किया है। मुख्यमंत्री व जिलाधीश कांगड़ा ने भी विजिट किया है। एनएचएआइ की टीम ने यहां पर सर्वे किया है। अब इसके अनुमान आदि जिला प्रशासन को दिए जाएंगे।

    समस्या से प्रशासन अवगत है। धीरेंद्र शर्मा, निदेशक, हवाई अड्डा, कांगड़ा। किस कारण से भूस्खलन हो रहा है। इसकी रोकथाम के लिए जरूरी दिशा निर्देश दिए गए हैं। एनएचएआइ को इस संबंध में तकनीकी तौर पर देखने को कहा है, ताकि भूस्खलन रुके। यातायात अवरुद्ध न हो इसके लिए भी कहा है। 

    गगल हवाई अड्डे से एक झरना नाला बना है। जहां से पानी आ रहा है। ज्यादा बरसात हुई है, जिस कारण पानी भी ज्यादा आ रहा है। गगल एयरपोर्ट के पास झरने की दीवार टूटी है। उपायुक्त ने एक्सपर्ट राय के लिए सर्वे के लिए कहा था। अब इस झरने में आ रहे पानी को चेनेलाइज करना पड़ेगा।

    दीवार बचाने को सुरक्षा दीवार का काम करना पड़ेगा। यह जरूरी है। हालांकि यह काम एनएचएआइ का नहीं है। हमारा काम एनएच में बिना बाधा के यातायात चलता रहे, इसके लिए मौके पर दो जेबीसी खड़ी रखी हैं। जब भी मलबा आता है उसे हटा देते हैं। 27वां दिन है, लगातार दो जेबीसी खड़ी रखी हैं। हमने सर्वे करवा दिया है अब जिला प्रशासन ने देखना है कि यह काम किससे करवाना है।

    गगल एयरपोर्ट के पास से आ रहे पानी को रोकने का काम एनएचएआइ का नहीं है। हमने तो उपायुक्त के कहने पर विशेषज्ञ सुझाव सहित आंकलन तैयार करवाया है। विकास सुरजेवाला, प्रोजेक्ट डायरेक्टर, एनएचएआइ टारगेट को अचीव करने के लिए हम सही निर्माण नहीं कर रहे और जल्दी जल्दी निर्माण कर रहे हैं।

    हमारे पहाड़ों में स्लोप एंगल स्वीप हो गए हैं। बारिश का कहर ज्यादा है। बारिशें इस लिए ज्यादा हो रही हैं क्योंकि यह ग्लोबल वार्मिंग का सीधा असर है जो दिख रहा है। कई जगह बादल फट रहे हैं। सामान्य से अधिक बारिश हो रही है, जिसके कारण बादल फट रहे हैं। हमारा पुराना ड्रेन सिस्टम पूरी तरह से प्रभावित हो चुका है।

    पहाड़ियां कट कर मैदान बन चुकी हैं और कई स्लोप नहीं बन गई हैं, कई स्लोप डिसटर्व हैं। ऐसे में पानी की निकासी सही स्थानों से नहीं हो पा रही है और ड्रेन व नालियां भी अतिक्रमण के कारण बंद है। पानी अपना रास्ता कभी भी नहीं भूलता। बेशक कई साल कोई नदी व खड्ड सूखी रहे पर उसमें फिर से उसी तादाद में उसी जगह पानी आता है। इस लिए जरूरी है कि सुधरते हुए अब पर्यावरण फ्रेंडली निर्माण की आवश्यकता है।

    सुनील धर, भूगर्भ विज्ञानीक्या बोले गगल व आस पास के क्षेत्रों के लोग :- अगर प्रशासन चाहे तो बहुत कुछ हो सकता है। लेकिन हर दिन ऐसे ही दिन बीत जा रहे हैं। कोई भी विभाग इसे हल्के में ले रहा है। जब पूरा ही मलबा सड़क पर गिर जाएगा तब प्रशासन हरकत में आएगा, तब तक बहुत देर हो गई होगी।

    अभी भी प्रशासन के पास है समय है क्योंकि सपने तो इंटरनेशनल एयरपोर्ट के देख रहे हैं लेकिन एयरपोर्ट की सुरक्षा की दीवार ही खतरे में है तो आगे क्या होगा राजीव बेदी, गगल इस पहाड़ी में जो पानी रिस रहा है यह कोई छोटी मोटी समस्या नहीं है।

    इस समस्या को हल करने के लिए प्रशासन को इसकी तह तक जाना होगा क्योंकि यह जो समस्या है यह रनवे के भीतर की हो सकती है क्योंकि यहां पहले बहुत पानी रिसता था आज यही पानी इन पहाड़ियों से टकराकर लहासे गिराने का कारण बन रहा है।

    राजीव राणा, कुठ नेशनल हाईवे कुठमां में हर दिन वाहनों के लिए मुसीबत का पहाड़ बन गया है। यह पहाड़ियों का मलबा एयरपोर्ट की दीवार को भी क्षति पहुंचा रहा है। इसी की वजह से दूर-दूर जाने वाले यात्री भी परेशान हो रहे हैं।

    सुरेश कुमार कुक्का, सनोरा नेशनल अथॉरिटी आफ इंडिया व एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया को मिलकर इस कार्य को संयुक्त रूप से करना होगा नहीं तो आने वाले समय में दिक्कत हो जाएगी।इन पहाड़ियों में प्रतिदिन पानी रिस रहा है। जिसकी वजह से एयरपोर्ट भी खतरे में है।