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श्रीलंका से मैक्लोडगंज पहुंची महात्मा बुद्ध की स्मृतियां, धर्मगुरु दलाई लामा ने पवित्र अवशेष को किया स्‍पर्श

Dalai Lama श्रीलंका के राजा गुरु श्री सुबुति महाविहार मठ के परम पूज्य डॉ. वास्काडुवे महिंदावांसा महानायके थेरो द्वारा परम पावन दलाई लामा को बुद्ध के अवशेष की पेशकश की गई। श्रीलंका का पवित्र बौद्ध मंदिर राजगुरु श्री सुबुथी वास्काडुवा महा विहारया में स्थित है। इस मंदिर से तिब्‍बती बौद्ध गुरु को भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेष भेंट किए गए।

By Jagran News Edited By: Himani Sharma Published: Thu, 04 Apr 2024 10:04 PM (IST)Updated: Thu, 04 Apr 2024 10:04 PM (IST)
श्रीलंका के पवित्र बौद्ध मंदिर से दलाई लामा को भेंट किए गए बुद्ध अवशेष

जागरण संवाददाता, धर्मशाला। धर्मगुरु दलाईलामा की नगरी मैक्लोडगंज में वीरवार को श्रीलंका से महात्मा बुद्ध की स्मृतियां पहुंची। इनका मैक्लोडगंज बौद्ध मठ पहुंचने पर धर्मगुरु दलाई लामा भी मौजूद रहे।

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धर्मगुरु ने स्मृतियों को स्पर्श किया। इसके बाद स्मृतियों को दलाई लामा आवास पर लाया गया। बौद्ध मंत्रोच्चार और संगीतमय माहौल में श्रीलंका के वास्काडुवा बौद्ध मठ के प्रतिनिधियों ने महात्मा बुद्ध के कपिलवस्तु अवशेषों (बुद्ध की हड्डियों के टुकड़े) को दलाई लामा को अर्पित किया।

महात्मा बुद्ध की 21 स्मृतियों को सहेजा गया

दलाई लामा ने कहा कि उन्हें बहुत खुशी है कि उन्हें महात्मा बुद्ध की स्मृतियां स्पर्श करने का अवसर प्राप्त हुआ। श्रीलंका में महात्मा बुद्ध की 21 स्मृतियों को सहेजा गया है। इसमें से एक स्मृति मंगोलिया के राजा को भेंट की गई थी और अब दूसरी तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा को दी गई। इससे पहले, स्मृतियों का कांगड़ा एयरपोर्ट पर भी तिब्बती समुदाय ने स्वागत किया गया। जगह-जगह जुटे तिब्बती और बौद्ध भिक्षुओं ने स्कार्फ डाल कर आस्था जताई।

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2017 में किया था संपर्क : लिंग रिंपोछे

7वें क्याब्जे योंगजिन लिंग रिनपोछे ने बताया कि श्रीलंका के श्रीलंका-तिब्बती बौद्ध ब्रदरहुड के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. डेमेंडा पोरगे ने 2017 में दलाई लामा को कपिलवस्तु अवशेष भेंट करने के लिए उनसे संपर्क किया। छह साल की योजना और तैयारी के बाद यह कार्य पूरा हुआ है। दलाई लामा 60 वर्ष से मानवता और बुद्धत्व के लिए काम कर रहे हैं। इसके चलते श्रीलंका के बौद्ध भिक्षुओं ने धर्मगुरु को अमूल्य अवशेष सौंपे हैं। कपिलवस्तु के अवशेष अत्यधिक ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व के हैं, जो बौद्ध अनुयायियों को भगवान बुद्ध की गहन विरासत के करीब ले जाते हैं।


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