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    बुद्धि के बल पर कठिन कार्य भी सहज

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    Updated: Mon, 12 Oct 2015 07:36 PM (IST)

    जिस प्राणी के पास बुद्धि है उसके पास सभी तरह का बल भी है। वह कठिन परिस्थितियों का मुकाबला सहजता से क

    जिस प्राणी के पास बुद्धि है उसके पास सभी तरह का बल भी है। वह कठिन परिस्थितियों का मुकाबला सहजता से करते हुए उस पर विजय पा लेता है। बुद्धिहीन का बल भी निर्रथक है क्योंकि वह उसका उपयोग ही नहीं कर पाता। बुद्धि के बल पर ही छोटे से जीव खरगोश ने महाबली सिंह को कुएं में गिराकर मार डाला। यह उसकी बुद्धि के बल पर ही संभव हो सका। यह एक सच्चाई है कि किसी भी ढंग से समझाने पर भी कोई दुष्ट सज्जन नहीं बन जाता। जैसे घी-दूध से सींचा गया नीम का वृक्ष मीठा नहीं हो जाता इसलिए बुद्धिमता से ही जीवन के हर मोड़ पर विजय पाई जा सकती है। बुद्धिमता और भावनात्मक दोनों ही एक सिक्के के अलग-अलग पहलू हैं। इसलिए यह आत्म अवलोकन करना भी जरूरी है कि हम जीवन के किसी प्रकार के भी निर्णय लेने के लिए भावनाओं से अधिक बुद्धिमता से काम लें। भावनाओं में बहकर लिए गए निर्णय कभी भी साकार नहीं होते हैं। भावनाओं से अधिक कर्तव्य ऊंचा है। कर्तव्य पालन के लिए हमें भावनाओं को अपने वश में रखना होगा ताकि कभी भी भावनाएं हमारे पर हावी न हों और हम दायित्वों की पूर्ति ईमानदारी से कर सकें। यह जरूरी है कि हम हर काम करने से पहले यह आत्म अवलोकन करें कि इस कार्य में भावना और कर्तव्य का संतुलन कितना है। बस यही एक मार्ग है जो हमें उन्नति की राह पर ले जा सकता है।

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    -एचएस खान, प्रधानाचार्य बीडी डीएवी स्कूल धर्मशाला

    (जैसा राकेश पठानिया को बताया)

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    'बुद्धिमता से ही हम सफलता के मुकाम पर पहुंच सकते हैं। बुद्धिमान व्यक्ति समाज के लिए एक आदर्श है। वह समाज व देश के कल्याण में एक मील पत्थर है।'

    -सांग्ये तेंजिन

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    'सफल जीवन के लिए कोई भी निर्णय भावना से नहीं बल्कि बुद्धि व विवेक से लें तो ही हम सफल जीवन की कामना कर सकते हैं। भावनाओं में बहने वाले इंसान को कभी सफलता नहीं मिलती।'

    -शगुन कौंडल

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    'अज्ञानता के अंधकार को बुद्धिमता से ही दूर किया जा सकता है। अंधेरे से उजाले की ओर जाने के लिए ज्ञान का दीपक जलाना जरूरी है। भावनात्मक होना कोई दोष नहीं पर भावना पर नियंत्रण जरूरी है।'

    -आंचल भारद्वाज

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    'भावना मानव के लिए अथाह सागर है लेकिन इसे पार पाने के लिए बुद्धि की है आवश्यकता है। बुद्धिमता से ही ज्ञान का चक्षु खुलता है और यही जीवन का सफल मार्ग भी है।'

    -अवेश राणा

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    ज्ञान से ही खुलता है बुद्धिमता का द्वार

    बुद्धिमान व्यक्ति हमेशा ही अन्वेषण व नई खोज पर कार्य करेगा। वह पढ़ाई में भी टॉप करेगा और उसके शोध लोगों के कल्याण के लिए भी भूमिका निभाएंगे। उसे जीवन में हर कार्य में सफलता मिलेगी। बुद्धिमान बनने के लिए ज्ञानोपार्जन करना जरूरी है। ज्ञान से ही बुद्धिमता का द्वार खुलता है जबकि भावना के लिए कोई भी विशेष मार्ग ही नहीं है। भावना तो एक अनपढ़ में भी पाई जा सकती है लेकिन इससे जीवन की राहें आसान नहीं होती। एक अच्छी भावना देश, समाज या आमजन के प्रति होनी चाहिए लेकिन महत्वपूर्ण यह भी है कि भावना से अधिक कर्तव्य को ध्यान में रखा जाना चाहिए। भावनाओं को जीवन में हावी नहीं होने देना चाहिए। अगर व्यक्ति बुद्धिमान होगा तो उसे कोई भी बाधा पार करने में कठिनाई भी नहीं होगी। जिस भी व्यक्ति के पास बुद्धि का बल है वह शक्तिशाली व्यक्ति पर भी भारी रहता है। जिस प्रकार की अंधेरे को एक छोटे से दीपक की लौ कम कर देती है।

    -संदीप कुमार, प्रधानाचार्य मानसरोवर पब्लिक स्कूल कोटला।

    (जैसा कि जीवन कुमार को बताया)

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    'बुद्धिमता एक ऐसा बल है जो सफलता की बाधाएं पारकर मंजिल तक पहुंचा देता है। भावनाएं केवल एक सोच है और अगर इसकी राह बदल जाए तो इसके दुष्परिणाम घातक हो सकते हैं।'

    -जसबीर सिंह

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    'अच्छी भावनाओं के लिए अच्छा ज्ञान होना जरूरी है। भावनाओं का सम्मान करना चाहिए, लेकिन बुद्धिमता के साथ।'

    -निशांत

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    'जीवन में सफलता का एकमात्र साधन ही बुद्धिमता है। भावनाओं के प्रकाश से जीवन को नहीं संवारा जा सकता।'

    -मुनीष जरयाल

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    बुद्धिमता एक ऐसी ज्योति है जो संसार में फैली कुरीतियों के अंधेरे को दूर कर सकती है। बुद्धिमान बनने के लिए ज्ञान की ज्योति जलाना भी आवश्यक है।

    -संगम