हस्त रेखा देख बना देते हैं परिवार की कुंडली
राकेश पठानिया, धर्मशाला
भारतीय सेना में धर्मगुरु रहे सेवानिवृत्त कैप्टन डॉ. लेखराज शर्मा पहले हस्त रेखा ज्योतिषी हैं जो हस्त रेखा देख कर ही किसी के परिवार की कुंडली तैयार कर देते हैं। अपनी इसी विद्वता से वह राष्ट्रपति पुरस्कार, सेना मेडल व अंतरराष्ट्रीय रोटरी अवार्ड सहित कई पुरस्कार प्राप्त कर चुकें हैं। राजनेता हो या फिल्म उद्योग की कोई हस्ती हर कोई भावी योजनाओं को अंजाम देने से पहले यहां दस्तक देने से नहीं चूकता। मंडी जिले के जोगेंद्रनगर के निवासी लेखराज शर्मा ज्योतिष पीएचडी में स्वर्ण पदक से भी अलंकृत हैं। धर्मशाला में दो दिवसीय राष्ट्रीय ज्योतिष सम्मेलन में भाग लेने आए विख्यात हस्त रेखा विशेषज्ञ लेखराज ने ज्योतिष के संबंध में अपने विचार दैनिक जागरण से साझा किए..
ज्योतिष क्या है?
ज्योतिष वास्तव में वेदों का तीसरा नेत्र है। इससे भूत, वर्तमान व भविष्य काल की जानकारी मिलती है। यह निर्भर करता है ज्योतिष के अनुरूप गणना कर भविष्य की जानकारी देने वाला कितना सक्षम है। यह विज्ञान का ही स्वरूप ही है।
ज्योतिष विज्ञान के कौन-कौन से अंग हैं?
इसमें प्रश्न वर्ग, रमल ज्योतिष, अंक ज्योतिष, वास्तुशास्त्र, कृषि शास्त्र सहित आयुर्वेद भी शामिल है। अगर आज कृषि की पैदावार या आयुर्वेदिक दवा की गुणवत्ता संकट है तो इसका बड़ा कारण ज्योतिष शास्त्र की उपेक्षा ही है। अब न तो फसल की बिजाई और न ही में आयुर्वेदिक दवा के लिए बूटियों को तोड़ने के लिए शुभ मुहूर्त देखा जा रहा है। यही वजह है कि दोनों क्षेत्रों में अच्छे परिणाम नहीं मिल रहे हैं।
जन्म कुंडली क्या है?
जन्मकुंडली वास्तव में मनुष्य का एक्सरे है, जो उसके जीवन के हर पहलू को स्पष्ट करता है।
कुंडली या हस्तरेखा में से कौन ज्यादा सटीक है?
जन्मकुडली से हस्त रेखा शास्त्र भविष्यवाणी के लिए अधिक स्टीक है। हस्त रेखा को देख कर जन्म कुंडली भी बनाई जा सकती है, लेकिन जन्म कुंडली से हस्त रेखाओं की जानकारी नहीं मिल सकती।
कुछ ज्योतिषियों का मानना है कि हस्त रेखा बदलती रहती हैं?
बिल्कुल नहीं। यह तो विज्ञान भी साबित कर चुका है कि कभी किसी की हस्त रेखाएं नहीं मिलती और इसमें बदलने का सवाल ही कहां पैदा होता है। जुड़वा बच्चे पैदा होते हैं, तो उनका समय और उनकी कुंडली एक ही जैसी होती है, लेकिन हस्तरेखा कभी नहीं मिलती।
ज्योतिष विज्ञान के संरक्षण के लिए आपका योगदान?
ज्योतिष के महत्व को देखते हुए मैंने व्यक्तिगत प्रयास किए और राजग की पूर्व सरकार में मानव संसाधन मंत्री मुरली मनोहर जोशी से इस मामले में चर्चा भी की, जिससे उन्होंने कई विवि में ज्योतिष की शिक्षा का विषय शुरू करवाया था।
आपका कोई संदेश?
अगर देश में ज्योतिष विद्या को अपनाया जाए, तो इसका लाभ आने वाली पीढि़यों को अवश्य मिलेगा। हर कार्य ज्योतिष के मुहूर्त से होगा, तो स्वाभाविक है वह सफल भी होगा।
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