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    Manimahesh yatra: सुरक्षित और सुगम होगी मणिमहेश यात्रा, पैदल यात्रियों और घोड़े-खच्चरों के लिए अलग होंगे रास्ते

    Updated: Sat, 13 Sep 2025 11:38 AM (IST)

    चंबा में मणिमहेश यात्रा अब और सुरक्षित होगी। हड़सर से डल झील तक 14 किलोमीटर के मार्ग को स्थायी रूप से सुरक्षित किया जाएगा। पैदल यात्रियों और घोड़े-खच्चरों के लिए अलग रास्ते होंगे साथ ही विश्राम स्थल भी बनाए जाएंगे। भूस्खलन संभावित क्षेत्रों को चिह्नित कर सुरक्षित किया जा रहा है। सामान की ढुलाई के लिए छह किलोमीटर लंबा स्पैन बनेगा।

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    अब सुगम और सुरक्षित होगी मणिमहेश की यात्रा

    जागरण संवाददाता, चंबा। अब उतर भारत की प्रसिद्ध मणिमहेश यात्रा सुरक्षित और सुगम होगी। हड़सर से होकर धनछो और सुंदरासी से डल झील तक कठिन चढ़ाई पर नए सिरे से रास्ता बनेगा। 14 किलोमीटर लंबे मार्ग को स्थायी रूप से और सुरक्षित करने की योजना भी प्रशासन ने तैयार कर ली है।

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    इसमें पैदल श्रद्धालुओं और घोड़े-खच्चरों के लिए अलग-अलग रास्ते होंगे। श्रद्धालुओं के लिए इस मार्ग पर विश्राम स्थल भी बनाए जाएंगे। योजना में इस तरह की व्यवस्थाएं यात्रा को पहले से कहीं अधिक सुविधाजनक बनाएंगी। बहरहाल अस्थायी मार्ग बनाना शुरू कर दिया गया, जो दो-तीन में तैयार हो जाएगा। इसके बाद ऊपरी इलाकों में फंसा सामान नीचे लाया जाएगा।

    मणिमहेश यात्रा के दौरान कई जगह बार-बार हुए भूस्खलन ने श्रद्धालुओं की मुश्किलें बढ़ा दी थीं। इसे देखते हुए प्रशासन भूस्खलन संभावित स्थानों को चिह्नित किया है। विशेषज्ञों की राय के बाद इन जगहों को और सुरक्षित बनाने का काम शुरू हो गया है।

    इस रास्ते में आने वाली पुलियों की सुध ली जा रही है ताकि भविष्य में किसी प्रकार की दुर्घटना न हो। आपदा के दौरान फंसे भारी सामान को निकालना सबसे बड़ी चुनौती रहा था। इस समस्या के समाधान के लिए प्रशासन ने छह किलोमीटर लंबा स्पैन बनाने का निर्णय लिया है। इस स्पैन के जरिए डलझील और धनछो क्षेत्र से लंगर समितियों और दुकानदारों का सामान सीधे हड़सर तक लिफ्ट किया जाएगा।

    इस बार कुगति पास और कमलकुंड मार्ग पर आक्सीजन की कमी से कई श्रद्धालुओं की मौत हुई। इस कठिन और खतरनाक रास्ते को अब केवल लाहौल और भरमौर क्षेत्र के उन श्रद्धालुओं तक ही सीमित किया गया है, जिनकी सदियों पुरानी धार्मिक परंपरा इससे जुड़ी हुई है।

    अन्य राज्यों और क्षेत्रों से आने वाले श्रद्धालुओं को अब केवल हड़सर से डलझील तक बने नए मार्ग से ही यात्रा करनी होगी। हड़सर से धनछो व सुंदरासी तक मार्ग का निर्माण तेजी से चल रहा है। दो–तीन दिन में अस्थायी रास्ता तैयार हो जाएगा और फंसा सामान नीचे लाया जाएगा।

    स्थायी रूप से 14 किलोमीटर लंबे इस मार्ग को सुरक्षित बनाने के लिए पैदल और घोड़े–खच्चरों के लिए अलग रास्ते, विश्राम स्थल और भूस्खलन प्रभावित स्थानों पर पुख्ता इंतज़ाम किए जाएंगे। साथ ही छह किलोमीटर लंबा स्पैन भी बनाया जाएगा, ताकि समान को निकाला जा सके।
-मुकेश रेप्सवाल, उपायुक्त चंबा।