PM मोदी ने प्रदेश के लिए की 1500 करोड़ की मदद, राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने जताया आभार
राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने डलहौजी में कहा कि पीएम मोदी ने आपदा में प्रदेश आकर प्रभावितों का दर्द बांटा और 1500 करोड़ की सहायता दी। केंद्रीय टीमें नुकसान का जायजा ले रही हैं और सरकार बेघर हुए लोगों के पुनर्वास के लिए प्रयासरत है। उन्होंने योगी आदित्यनाथ का आभार जताया और वनों के कटान पर चिंता व्यक्त की।

संवाद सहयोगी, डलहौजी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आपदा की इस घड़ी में प्रदेश में आकर आपदा प्रभावितों का दर्द सांझा किया। वहीं आपदा प्रभावितों के लिए प्रधानमंत्री ने 1500 करोड़ रुपये की सहायता दी। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रदेश को अपना दूसरा घर मानने का प्रमाण है। जबकि इससे पहले कोई भी प्रधानमंत्री आपदा के समय प्रदेश में नहीं आए। यह बात प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने रविवार को डलहौजी में कही।
राज्यपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री ने केन्द्रीय टीमों के आकलन के बाद प्रदेश की और मदद किए जाने पर भी विचार करने की बात कही है। जिसके लिए केन्द्रीय टीमों के द्वारा आपदा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर नुक्सान की रिपोर्ट बनाने के साथ चार चार केन्द्रीय मंत्री भी आपदा प्रभावित क्षेत्रों में नुक्सान का जायजा ले रहे हैं।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में आई आपदा से लोगों के घरों, जमीनों को काफी नुक्सान पहुंचा है और कई गांव बह गए हैं। जिससे कि कई परिवार भूमिहीन हो गए हैं। मगर प्रदेश में वन भूमि है और जब तक संबंधित विभागों की अनुमति नहीं मिल जाती तब तक थोड़ा कष्ट है।
मगर अपने आशियानों व भूमि से वंचित हुए लोगों के पुनर्वास की हर संभव व्यवस्था की जाएगी। राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने जिला चंबा के आपदा प्रभावितों के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देशों पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ के द्वारा राहत सामग्री भेजे जाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ का आभार भी जताया। उन्होंने कहा कि आपदा जैसे विषय राजनीती से बाहर होने चाहिए।
प्रदेश में आपदा से हुए नुक्सान से प्रदेश सरकार भी चिंतित है और मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के द्वारा भी प्रधामंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष अपना पक्ष रखा गया है। राज्यपाल ने कहा कि हमें विचार करना होगा कि कई लोगों ने अपने घरों को नदियों के तटों पर बना दिया और नदियों ने अपना रास्ता बनाते हुए लोगों के आशियानों को लील लिया।
वहीं हमें इस विषय पर भी विचार करना होगा कि जंगल न कटे। यदि स्लीपर बह कर नदियों में आ रहे हैं तो इससे साबित होता है कि वनों में कटान हुआ है। उन्होंने कहा कि वनों में कटान करने वालों के खिलाफ सरकार को कठोर निर्णय लेना चाहिए।
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