'डल झील में हो रहे नशे जैसे गलत काम, आपदा को अपनी आंखों से...', महिला ने सुनाई मणिमहेश यात्रा प्रलय की कहानी
हमीरपुर की सुषम ठाकुर ने मणिमहेश यात्रा के दौरान आई आपदा का विवरण दिया। उन्होंने बताया कि डल झील में गलत काम होने की वजह से प्रलय आई। उन्होंने श्रद्धालुओं से आग्रह किया कि वे श्रद्धा से यात्रा करें और डल झील में स्नान न करें केवल गौरीकुंड में ही स्नान करें। एनडीआरएफ और पुलिस ने यात्रियों को सुरक्षित निकाला।

संवाद सहयोगी, चंबा। 14 दिनों बाद मणिमहेश व भरमौर से चंबा पहुंची हमीरपुर की महिला सुषम ठाकुर ने कहा कि वह लंगर सेवा में पिछले छह सालों से जुड़ी हूं। मणिहमेश में उनका लंगर पिछले कई सालों से लंगर रहा है। वह व उन्हें साथ अन्य लोग 20 को भरमौर से मणिमहेश के लिए निकल गए थे। ओर 22 को मणिमहेश डल झील पर पहुंच गए थे। 23 को मौसम खराब हुआ ओर उसी दिन रात को बारिश शुरू हो गई।
उत्तर भारत की पवित्र मणिमहेश यात्रा के दौरान आई सदी की आपदा को मैंने आंखों से देखा है। भोले बाबा की कृपा रही कि मैं ओर मेरे साथ जो भी अन्य लोग थे वह सभी सुरक्षित वापिस लौट आए हैं। मणिमहेश मार्ग के साथ डल झील पर कई तरह के गलत कार्य हो रहे हैं।
लोग गंदगी फैला रहे हैं। सरेआम नशा कर रहे हैं। यहां तक की वहां पर नशा बिक भी रहा है। काफी लोग श्रद्धा की भावना से नहीं बल्कि पिकनिक मनाने व मौत मस्ती करने भोले के दरबार पहुंच रहे हैं। भगवान भोले नाथ ने आज दिन तक काफी कुछ सहन किया, लोगों को कई चांस भी दिए, कि शिव भूमि में पहुंच कर गलत काम न करें।
लेकिन कुछ लोग फिर भी नहीं समझे, लिहाजा एक दिन प्रलय तो होनी ही थी। हालांकि भोले बाबा ने फिर भी काफी रहम किया है, यातनाएं व चिंताएं जरूर दी, लेकिन श्रद्धालु सकुशल अपने घर पहुंचे हैं। ऐसे में आगामी दिनों में यात्रा पर आने वाले श्रद्धालु इससे सबक लेकर आस्था व श्रद्धा के साथ भोले के दर हाजिरी लगाएं।
ताकि भोले बाका की कृपा सब पर बनी रहे। यह कहना है कि करीब 14 दिनों बाद मणिमहेश व भरमौर से चंबा पहुंची हमीरपुर की महिला सुषम ठाकुर का। कहा कि वह लंगर सेवा में पिछले छह सालों से जुड़ी हूं।
मणिहमेश में उनका लंगर पिछले कई सालों से लंगर रहा है। वह व उन्हें साथ अन्य लोग 20 को भरमौर से मणिमहेश के लिए निकल गए थे। ओर 22 को मणिमहेश डल झील पर पहुंच गए थे। 23 को मौसम खराब हुआ ओर उसी दिन रात को बारिश शुरू हो गई। उसके बाद लगातार दिन रात इतनी बारिश हुई कि डल झील
लगातार दिन रात बारिश से डल झील यहां तक की परिक्रमा मार्ग भी पूरी तरह से जल मग्न हो गया। डल झील के साथ परिक्रमा मार्ग पूरी तरह से जल मग्न हो गया। वहां पर मौजूद दुकानदार, लंगर सेवा के लोग, टेंट आदि लगाने वालों के अलावा श्रद्धालु पूरी तरह से चिंता में डूबे रहे।
लगातार बारिश का दौर जारी रहा, ओर नीचे नाले में पानी काफी बढ़ गया। जिस कारण कुछ लंगर आदि भी बह गए हैं। हालांकि हम डल झील पर थे, लिहाजा हमें भी नीचे की अधिक जानकारी पता नहीं चल पाई। ऐसी स्थिति में यात्रा बंद कर दी गई। ओर हम डल झील पर ही फंसे रहे।
हमारे पास जितना भी राशन आदि था, उससे वहां पर फंसे लोगों को खाना खिलाया। अन्य लंगरों में भी जो भी बचा हुआ राशन था, उससे वहां पर फंसे लाेगों को खाना खिलाया गया। एनडीआरफ व पुलिस के जवानों ने हम सभी लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए रेस्क्यू अभियान चलाया। नीचे आते हुए देखा तो रास्तों आदि का नामोनिशान मिट गया है।
मणिमहेश से हम सभी लोग दो सितंबर को भरमौर पहुंचे। एक दिन भरमौर रहे उसके बाद अब चंबा पहुंचने के साथ सुरक्षित घर के लिए रवाना हो रहे हैं। यात्रा के दौरान आई कभी न भूलने वाली आपदा ने हर किसी को चिंता में डाला।
लेकिन भोले बाबा की कृपा से सब श्रद्धालु सुरक्षित व सकुशल घर पहुंच गए हैं। अब मेरी श्रद्धाुलओं से अपील है कि जब भी यात्रा पर आएं तो श्रद्धा भाव से घर से निकले व उसी श्रद्धा भाव से भाेले के दर शीष नवा कर वापिस जाएं। साथ ही महिलाएं डल झील पर स्नान न करें। महिलाएं सिर्फ गौरीकुंड में ही स्नान करें।
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