Himachal Disaster: चंबा में बाढ़ और भूस्खलन से अब तक 42 लोगों की मौत, प्रशासन को करोड़ों का नुकसान; कई सड़कें बंद
चंबा जिले में भारी बारिश ने तबाही मचाई है जिसमें 42 लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों घर क्षतिग्रस्त हो गए। मणिमहेश यात्रा के दौरान 16 श्रद्धालुओं की जान चली गई। सड़कों के बंद होने से राहत कार्य प्रभावित हुआ। आपदा से लगभग 368 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। प्रशासन नुकसान की भरपाई करने में जुटा है पर इसमें कई साल लग सकते हैं।

संवाद सहयोगी, चंबा। बरसात ने इस बार चंबा जिला को जख्मों से भर दिया है। महज 10 दिनों में 42 लोगों की मौत, 236 पशुओं की जान और 274 घरों का ढहना इस त्रासदी की गवाही दे रहा है। मणिमहेश यात्रा के दौरान जहां 16 श्रद्धालु काल के गाल में समा गए।
वहीं, करोड़ों रुपये के नुकसान ने सरकारी तंत्र को हिला दिया और सड़कें बंद होने से राहत कार्य ठप पड़ गए। सेना, एनडीआरएफ और प्रशासन ने हर संभव प्रयास कर हालात काबू में किए, लेकिन नुकसान की भरपाई में वर्षों लगेंगे।
24 अगस्त से अब तक 42 की मौत
गत 24 अगस्त से लेकर तीन सितंबर तक की आधिकारिक रिपोर्टों के अनुसार आपदा ने जिला में इंसानी जिंदगियों से लेकर सरकारी व निजी संपत्तियों तक को गहरी चोट पहुंचाई है। भारी वर्षा, भूस्खलन और बादल फटने जैसी घटनाओं ने जहां सैकड़ों परिवारों को बेघर कर दिया है, वहीं अब तक 42 लोगों की मौत हो चुकी है।
इनमें से 16 श्रद्धालु मणिमहेश यात्रा के दौरान काल का ग्रास बने। इनमें पंजाब, हरियाणा और हिमाचल के लोग शामिल हैं। श्रद्धालुओं की मौत अधिकतर कुगती ट्रैक और डल झील मार्ग पर ऑक्सीजन की कमी और पत्थर गिरने जैसी घटनाओं से हुई है।
33 लोग घायल
कई शव खराब मौसम और मार्ग बंद होने के कारण कई दिनों तक भरमौर और कुगती में ही पड़े रहे, जिन्हें सेना और प्रशासन ने बाद में हेलिकॉप्टर से निकालकर परिजनों तक पहुंचाया।
जिला आपदा प्रबंधन की रिपोर्ट के मुताबिक 33 लोग भी घायल हुए हैं। इसके अलावा चार लोग लापता हैं। महज इंसानी जान ही नहीं, बल्कि पशुधन को भी भारी नुकसान उठाना पड़ा है।
घर, दुकानें और बुनियादी ढांचा तबाह
प्राकृतिक आपदा में चंबा जिले में 274 घर पूरी तरह या आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं। इनमें 25 कच्चे और पक्के मकान पूरी तरह ढह गए, जबकि 282 घर आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हैं।
इसके अलावा 19 दुकानें और निजी कार्यालय, 15 पुल व पुलिया, 183 गोशालाएं और 69 चरान भी क्षति का शिकार हुए।
आपदा से करोड़ों का नुकसान
आपदा ने सरकारी विभागों के ढांचों को भी नहीं बख्शा। लोक निर्माण विभाग को 21857.90 लाख रुपये, जल शक्ति विभाग को 12086.58 लाख रुपये, विद्युत बोर्ड को 630.03 लाख रुपये, राष्ट्रीय राजमार्ग को 201.55 लाख रुपये, उच्च शिक्षा विभाग को 61.80 लाख रुपये, प्राथमिक शिक्षा विभाग को 46.25 लाख रुपये।
मत्स्य पालन विभाग को 34.21 लाख रुपये और कृषि को 122.82 लाख रुपये का नुकसान हुआ है। कुल मिलाकर जिले को अब तक लगभग 36778.97 लाख रुपये (करीब 368 करोड़ रुपये) का सीधा आर्थिक नुकसान दर्ज किया गया है।
सड़क मार्गों की स्थिति
जिला के अधिकांश मार्ग भी आपदा की भेंट चढ़ गए। रिपोर्ट के मुताबिक चंबा–पठानकोट एनएच खुला है। बनीखेत-डलहौजी-खजियार (लक्करमंडी मार्ग) भी खुला है। चंबा-खजियार मार्ग आंशिक रूप से खुला है और केवल छोटे वाहन ही जा पा रहे हैं।
चंबा-भरमौर एनएच, चंबा-होली, चंबा-भटियात (जोत मार्ग), चंबा-सलूणी, चंबा-तीसा और चंबा-पांगी (सच्चे जोत मार्ग) अभी भी बंद हैं। तुनुहट्टी-लाहड़ू-चुवाड़ी मार्ग, शाहपुर-सिहुंता और बनीखेत-डलहौजी रोड खुले हैं। मार्गों के बाधित होने से राहत व बचाव कार्यों में सबसे ज्यादा कठिनाइयां आईं।
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