कीटनाशक छिड़काव के बाद परिवार के चार लोगों की तबीयत बिगड़ी
फसल को बीमारी से बचाने तथा बेहतर पैदावार के लिए आजकल दवा का छिड़काव किया जा रहा है।

संवाद सहयोगी, घुमारवीं/भराड़ी : फसल को बीमारी से बचाने तथा बेहतर पैदावार के लिए आजकल किसान अपने खेतों में कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करते हैं। क्षेत्र में कीटनाशक दवा का छिड़काव खेतों में करने के बाद एक किसान के परिवार के सदस्य इसकी गैस की चपेट में आ गए तथा अब अस्पताल में उपचाराधीन हैं। यही नहीं कीटनाशक का प्रंभाव इतना था कि किसान की तीन बकरियों की मौत भी हो गई।
यह घटना उपतहसील भराड़ी के तहत ग्राम पंचायत मरहाणा के गांव बग में घटित हुई है। यहां एक ही परिवार के चार सदस्य कीटनाशक की चपेट में आने से बीमार हो गए, तथा उनकी तीन पालतू बकरियों की मौत हो गई। पता चला है कि मरहाणा पंचायत के गांव बग निवासी अशोक कुमार के घर के साथ लोगों के खेत हैं। यहां खेत मालिक किसानों ने अपने खेतों में कीटनाशक दवा का छिड़काव किया था। इसके बाद अशोक कुमार और उनके स्वजन की तबीयत खराब होने लगी, लेकिन उन्होंने इसे गंभीरता से नहीं लिया। अशोक कुमार ने बताया कि मंगलवार को घर में मौजूद सभी सदस्यों के सिरदर्द होने के साथ-साथ सांस रुकने की समस्या आई तो गांववासियों की मदद से सभी अस्पताल पहुंचे।
अशोक कुमार ने बताया कि कीटनाशक दवा की गैस से उनकी माता संध्या देवी, पत्नी माया व बेटे अमित की तबीयत बिगड़ गई। अशोक कुमार के मुताबिक इस जहरीली गैस के कारण उनकी तीन पालतू बकरियां भी मर गई हैं। स्थानीय पंचायत उपप्रधान रवि ने बताया कि कीटनाशक दवा की गैस के कारण चार सदस्यों की तबीयत बिगड़ी है जिन्हें तुरंत भराड़ी अस्पताल लाया गया। अस्पताल में उनका उपचार करने के बाद उनकी तबीयत में कुछ सुधार हुआ है। अभी भी परिवार के सभी सदस्य भराड़ी अस्पताल में उपचाराधीन हैं।
-----------
ये बरतें सावधानी
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भराड़ी के एसएमओ डा. डीडी शर्मा का कहना है कि ऐसी स्थिति में मरीज को जल्द अस्पताल पहुंच जाना चाहिए। साथ ही पानी का ज्यादा से ज्यादा सेवन करना चाहिए। ऐसी दवा का स्प्रे करते समय मुंह पर कपड़ा बांधे तथा पूरे शरीर को अच्छी तरह कवर करना चाहिए। इसके प्रयोग के बाद हाथों को साबुन से दो बार धोना चाहिए।
-----------------
हवा का रुख देख कर करें छिड़काव
कृषि विषय बाद विशेषज्ञ घुमारवीं बृजेश चंदेल ने कहा कि कई बार किसान द्वारा ज्यादा मात्रा में दवा डालने पर इस तरह की घटनाएं सामने आती हैं। जब भी इस तरह की स्प्रे किसान करे तो पहरे हवा का रुख देख ले। एक मिलिलीटर दवा एक लीटर पानी में डालें। एक बीघा के लिए 60 लीटर पानी का इस्तेमाल करें। स्प्रे करने के तुरंत बाद कपड़े बदल कर नहा कर दूसरे कपड़े पहने। 10 दिन तक इस दवा का असर रह सकता है। पशुओं को चारा 10 दिन के बाद ही डालना चाहिए।
पता चला है कि खेत मालिक ने पीला रतुआ रोग से फसल को बचाने के लिए प्रोपीकोनाजोलो का इस्तेमाल किया था। उन्होंने करीब पांच दिन पहले खेतों में दवा का छिड़काव किया था।


कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।