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    बिलासपुर में एकता का भावनात्मक संगम, पीढ़ियों से रामलीला के किरदार निभा रहे ये मुस्लिम कलाकार

    Updated: Thu, 25 Sep 2025 03:12 PM (IST)

    बिलासपुर में रामलीला हिंदू-मुस्लिम एकता का अनूठा उदाहरण है। यहां मुस्लिम समुदाय के लोग पीढ़ियों से रामलीला में पात्रों की भूमिका निभाते आ रहे हैं। इमरान खान जैसे कई मुस्लिम कलाकार दशकों से रामलीला में सक्रिय हैं और अब उनकी अगली पीढ़ी भी इसमें शामिल हो रही है। रामलीला कमेटी इस परंपरा को बनाए रखने और समुदायों के बीच सद्भाव बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।

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    राजा दशरथ की सभा की शान हैं आकिब हुसैन, ताकड़ा की भूमिका में इमरान खान (फोटो: जागरण)

    मुनीष गारिया, बिलासपुर। देश में हिंदू मुस्लमान के नाम पर यानि धर्म के नाम पर विवाद आए दिन देखने और सुनने को मिल जाते हैं और कई लोग धार्मिक त्यौहारों के नाम पर भी एक दूसरे में फूट डालने का प्रयास करते हैं। इसके विपरीत जिला बिलासपुर में मुख्यालय स्थित डियारा सेक्टर में रामलीला हिंदू मुस्लिम एकता का परिचायक है।

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    ऐसा नहीं है कि यहां सभी धर्मों के लोग मिलकर रामलीला देखते हैं, बल्कि मुस्लिम समुदाय के लोग रामलीला के पात्र बनकर दोनों समुदाय की एकता का संदेश देते हैं। यह ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है, बल्कि दशकों से यहां रामलीला में मुस्लिम समुदाय के लोग विभिन्न पात्रों की भूमिका निभा रहे हैं। पीढ़ियों से यह प्रथा यहां चली आ रही है।

    रामलीला कमेटी डियारा सेक्टर की ओर से 113 सालों से रामलीला का मंचन करवा रही है। पहले ओल्ड टाउन बिलासपुर में मंचन होता था, लेकिन भाखड़ा बांध बनने के बाद डियारा सेक्टर में होती है। इस साल भी मुस्लिम समुदाय के व्यक्ति रामलीला में शामिल हैं।

    इमरान खान ने दो दिन पूर्व ताकड़ा की भूमिका निभाई। आगे वह अंगद का पैर उठाने का प्रयास करने वाले राजाओं में शामिल होंगे। इमरान खान पिछले 30 सालों से रामलीला में अलग अलग भूमिका निभाते आ रहे हैं। बड़ी बात यह है कि उन्होंने अपने बेटे इमान खान और आनस को भी इसमें शामिल कर लिया है, वह रामलीला में छोटे किरदार निभा रहे हैं।

    इसी तरह डियारा के ही आकिब हुसैन इस बार राजा दशरथ की सभा के मंत्रियों में शामिल हैं आगे वह अंगद के पैर को उठाने का प्रयास करने वाले राजाओं की भूमिका में नजर आएंगे। बड़ी बात यह है कि आकिब हुसैन अपने परिवार की तीसरी पीढ़ी के सदस्य हैं, जोकि लगातार रामलीला के पात्र बन रहे हैं। उनके दादा अमजद हुसैन भी कलाकारों में शामिल थे।

    यहां हर साल दर्शकों की संख्या करीब तीन हजार तक पहुंच जाती है। इसमें बिलासपुर शहर के साथ गोबिंदसागर झील के पार से भी लोग पहुंचते हैं। इसके अलावा परनाली, बंदला, बरमाणा, पंजगाईं, चांदपुर घुमारवीं के ग्रामीण भी रामलीला देखने पहुंचते हैं।

    बिलासपुर में रामलीला कमेटी डियारा के प्रधान अजय चंदेल की कहना है कि यह मेरे लिए गर्व की बात है कि मैं उनकेे रामलीला कमेटी का प्रधान हूं, जहां रामलीला मंचन में सभी धर्मों का सामान योगदान रहता है। यह प्रथा दर्शकों से चलती आ रही है। कमेटी की ओर से यही प्रयास करता है कि इन प्रथा को लगातार आगे बढ़ाते हुए सभी के बीच समरसता का भाव बना रहे। इससे भी बड़ी बात यह है कि दीपावली को जितनी खुशी से हिंदू समुदाय मनाता है उतनी ही खुशी से मुस्लिम समुदाय मनाता है।